Sunday, September 20, 2020

 

किसी के पक्ष में ट्वीट करने के लिए अमिताभ बच्चन पर दबाव डालना सरासर गलत

शेष नारायण सिंह

 

मैं दिल्ली में जब मैं संघर्ष कर रहा था तो मेरे सबसे करीबी दोस्त  राजेंद्र सिंह थे , अब वे अमरीका में विराजते हैं . छात्र के रूप में राजेंद्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इमरजेंसी के खिलाफ मैदान में उतर  गए थे और उनपर बाकायदा मुक़दमे भी  दायर हुए थे .लेकिन अब मनईधारा रहते हैं . अमरीका में बसने वाले अपने रिश्तेदारों और हम सबके बच्चों के बुज़ुर्ग हैं . ईश्वर की कृपा से वज़न भी खूब बढ़ा लिया है  ,तोंद भी सही हो गयी है .अट्ठावन इंच तो नहीं है लेकिन खासी घेरेदार है .उनको हर भारतीय चीज अपनी लगती  है . वे अमिताभ बच्चन और नरेंद्र मोदी को भी अपना मानते हैं.  भारतीय व्यक्तियों के उनके इस प्रेम ने  मुझे अपने बचपन की कुछ यादें ताज़ा कर दीं .जब लडकियां  गौने में विदा होकर जाती थीं तो उनको मालूम  रहता था कि यह गाँव, यह आंगन, यह दुआर अब सब पराया हो रहा है . चीख चीख कर  रोती  थी, शुरू में तो बाप , काका ,भाई ,भतीजे उनके ससुरे जाते  थे लेकिन धीरे धीरे वह भी कम हो जाता था. उन लड़कियों  के लिए हर वह  चीज अपनी  लगती थी जो उनके गाँव से सम्बंधित होती थी .उसी  तरह जो लोग अमरीका में रहते हैं उनको हर भारतीय चीज  बिलकुल अपने  नैहर की लगती है .  जब अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार को  ट्राल बिरादरी ने घेर लिया तो मेरे साथी और  दोस्त राजेंद्र सिंह को वही नैहर वाली चिंता हुई थी .

 

रात मुझे फोन करके उन्होंने कहा कि उनके कुछ फेसबुकिया दोस्तों ने एक अभियान चला रखा है जिसके तहत सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन पर मुसलसल हमले किये जा रहे हैं . राजेंद्र का मानना  है कि यह गलत बात है .  अमिताभ बच्चन से  यह उम्मीद नहीं करना चाहिए कि वे हर  विषय पर टिप्पणी करें . मैं भी यही मानता हूँ . अमिताभ बच्चन या किसी भी व्यक्ति को केवल उन्हीं विषयों पर टिप्पणी करनी  चाहिए जिसपर टिप्पणी करने की उसकी इच्छा हो . अमिताभ बच्चन तो खैर बहुत  बड़े आदमी हैं, सदी के महानायक जैसी उपाधियों से विभूषित किये जा चुके हैं . टिप्पणी की उम्मीद तो भाई लोग हर उस  इंसान से करते हैं जो टीवी पर नज़र आता हो या किसी तरह के लेखन आदि के काम में लगा  हुआ हो. मेरे जैसे मामूली आदमी से भी कई लोग यह कहते पाए  गए हैं कि आप फलां विषय पर क्यों नहीं लिखते ? आपने किसी एक्टर की मृत्यु पर क्यों कुछ नहीं लिखा, आपने किसी अभिनेत्री के घर ढहाने जैसी घटना पर क्यों नहीं लिखा या टीवी पर क्यों नहीं कुछ कहा  ? आम  तौर पर तो इस तरह की बातों को टाल देना ही उचित रहता है लेकिन कुछ अपने मित्रों के इस सवाल का जवाब मैं यह देता हूँ कि ,’ भाई मैं वही लिखता हूँ जो लिखने का मेरा मन कहता है . अखबार में या वेबसाइट पर उस विषय पर  लिखता हूँ जिस पर मेरे सम्पादक जी लिखने को कहते हैं . हां,  जो लिखता हूँ ,वह मेरे अपने विचार होते  हैं . लेकिन अगर सम्पादक जी  किसी ऐसी वैसी बात पर लिखने को कहते हैं तो बता  देता हूँ उस विषय में लिखने में मैं प्रवीण नहीं हूँ . “ मेरा ख्याल है कि यह बात अमिताभ बच्चन पर भी लागू होती है.

अमिताभ बच्चन हिंदी सिनेमा के बहुत बड़े कलाकार हैं . उनका हिंदी भाषा पर अधिकार है . संतुलित और शुद्ध हिंदी बोलते हैं . अवधी क्षेत्र के देशज  शब्दों का सही जगह पर प्रयोग करना उनको आता है . हिंदी  सिनेमा में बहुत सारे कलाकार हैं जो  आम बोलचाल में हिंदी नहीं अंग्रेज़ी में बात  करते हैं .अमिताभ बच्चन ने बुरे वक़्त में जिससे भी मदद ली ,क़र्ज़ लिया उसको वापस लौटाया .जिसने एहसान किया उसके साथ खड़े रहे . मुझे परेशानी तब होती  है जब कोई यह उम्मीद करने लगे कि एहसान के बदले अमिताभ बच्चन ज़िंदगी भर   एहसान करने वाले की बात मानते रहें . अपने घरेलू और पारिवारिक मसलों में  भी एहसान करने वाले का  हस्तक्षेप स्वीकार करते रहें . एहसानकर्ता को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए .जो लोग अमिताभ  बच्चन से उम्मीद कर रहे  हैं कि वे उनकी  पार्टी की लाइन के लठैत बन जाएँ , वे गलत हैं .   स्व. प्रधानमंत्री राजीव  गांधी के वे बालसखा हैं  . उनके पिताजी, डॉ हरिवंश राय बच्चन के घर में राजीव और सोनिया की शादी हुई थी . फिल्म कुली के दौरान जब उनको चोट लगी तो राजीव गांधी उनका हालचाल लेने असपताल भी गए थे . लेकिन एक समय ऐसा आया जब  उनकी राजीव गांधी के परिवार से उतनी अपनैती नहीं रही . अमर सिंह ने उनकी मदद की  थी . अमर सिंह के आग्रह  पर उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव से भी दोस्ती की . उनकी पत्नी आज भी उसी पार्टी के टिकट पर  राज्यसभा की सदस्य हैं . 2010 के आसपास उन्होंने  गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से निकटता बढ़ाई जो आज तक बनी हुई है .  उनकी  पत्नी समाजवादी  पार्टी की सदस्य हैं लेकिन अमिताभ बच्चन नरेंद्र मोदी के करीबी हैं . इसमें कोई भी विरोधाभास नहीं है . जब उन्होंने मुलायम सिंह यादव की पार्टी से दोस्ती बनाई थी तो समाजवादी पार्टी के कई  नेता उम्मीद करने लगे थे कि वे पार्टी की लाइन का प्रचार करें. आज फेसबुक और ट्विटर पर मौजूद बीजेपी के बहुत सारे लोग उनसे उम्मीद करते हैं कि अमिताभ बच्चन बीजेपी के  ट्विटर और फेसबुक अभियानों में शामिल हो जाएँ. यह गलत है . ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए .

इस बात में दो राय नहीं है कि वे एक गंभीर व्यक्ति हैं . सिनेमा की एक अभिनेत्री ने उनकी पत्नी , बेटी और बेटे के हवाले से अपनी बात कहने की कोशिश की . इस उकसाऊ कारस्तानी के बाद भी उन्होंने उस कलाकार के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की. अब यह उम्मीद करना सरासर गलत होगा  कि वे उस कलाकार के पक्ष में वे ट्वीट करें . ट्वीट करना उनकी अपनी मर्जी है ,उसके लिए उनपर दबाव बनाना ठीक नहीं है .अमिताभ बच्चन को उनकी फिल्मों के कारण जाना  जाता है . उनकी फिल्मों में उनका  काम हर बार उच्चकोटि का होता है .उसी के आधार पर उनका आकलन किया जाना  चाहिए . कलाकार लठैत  नहीं होता. और वह फरमाइशी काम भी नहीं करता .


जिन लोगों ने फिल्म तीसरी क़सम देखी है, उन्हें मालूम है कि ज़ालिम ज़मींदार की फरमाइश के आगे ,फणीश्वर नाथ रेणु की नौटंकी कलाकार क्यों नहीं झुकती.. उसे मालूम है कि ठाकुर तंगनज़र है , तंगदिल है और जिद्दी है लेकिन महिला कलाकार अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करती. उसे यह भी मालूम है कि ठाकुर खतरनाक है लेकिन वह उसे सीमा में रहने को मजबूर कर देती है.  इसलिए आज जो लोग अमिताभ बच्चन से अपनी जिद पूरी करवाना चाहते हैं उनको यह फिल्म देखकर ही अमिताभ बच्चन पर दबाव डालना चाहिए . उनको यह पता होना चाहिए कि अमिताभ बच्चन अपनी मर्जी के मालिक हैं और वही करेंगे जो उनका करना है .


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