शेष नारायण सिंह
कांग्रेस में कुछ बदलाव किये गए हैं . संगठन में ठहराव
की स्थिति झेल रही कांग्रेस के 23 नेताओं ने पिछले
महीने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को
पत्र लिखा था जिसमें सुझाव दिया गया था कि पार्टी पुनर्जीवित करने के लिए क्या
क्या क़दम उठाये जाने चाहिए .उनके लिए फैज़ की एक नज्म में ज़रिये संकेत दे दिया गया है , फैज़ ने फरमाया था कि जहाँ चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले.
आला कमान के मर्ज़ी के खिलाफ चिट्ठी लिखने
वालों को नए बदलाव में यही सन्देश दिया गया है .
23 नेताओं की चिट्ठी के करीब
तीन हफ्ते बाद शुक्रवार की रात पार्टी में बदलाव की घोषणा कर दी गयी . सरसरी तौर
पर देखने से लगता है कि सोनिया गांधी ने यह सुनिश्चित करने की
योजना बनाई है कि राहुल गांधी के पास ही कांग्रेस के संचालन की चाभी सुरक्षित रहे
. कार्यसमिति में फेरबदल किया गया है .इसके अलावा सोनिया गांधी ने पांच लोगों की एक कमेटी बनाई है जो पार्टी चलाने की रोज़मर्रा की चिंताओं से उनको मुक्त कर देगी ,एक
केंद्रीय चुनाव अथारिटी का गठन किया है , कांग्रेस के महामंत्री पद से कई ख़ास लोगों को हटा दिया है लेकिन जो भी
बदलाव किये गए हैं उनसे बहुत क्रांतिकारी नतीजे नहीं
निकलने वाले हैं .
कांग्रेस के बड़े पदों पर हुए बदलाव को देखने से एक बाट स्पष्ट लगती
है कि जो लोग महत्वपूर्ण पदों से हटाये गए हैं उनको हटाना पार्टी के हित में बहुत ज़रूरी था .
मसलन कांग्रेस कार्यसमिति ( CWC ) से जो आठ लोग हटाये गए हैं
,कांग्रेस के हित में उनको हटाना
ठीक था . उनमें से एकाध को छोड़कर किसी की हैसियत अपने राज्य में कांग्रेस का कुछ
भी भला करने की नहीं है. मोतीलाल वोहरा, लुज़िनो फलेरियो ,
ताम्रध्वज साहू, आशा कुमारी ,गौरव गोगोई ,अनुग्रह नारायण सिंह ,रामचंद्र खूँटिया और अरुण यादव अब कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य नहीं
रहेंगे. इनमें से गौरव
गोगोई के अलावा कोई भी अपने राज्य में चुनाव नहीं जीत
सकता . गौरव गोगोई को उम्मीद है कि कार्यसमिति से
हटाकर उनको कोई और ज़िम्मेदारी दी जा सकती है . दिग्विजय सिंह को जब कांग्रेस
कार्यसमिति से हटाया गया था तो ताम्रध्वज साहू को उनकी
जगह पर भर्ती कर लिया गया
था. थोडा पूछताछ करने पर पता लगा था कि दिग्विजय सिंह
के प्रभाव को छतीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बैलेंस करने
के लिए उनको लाया गया है . यह अलग बात है कि उनको खुद
भी और धमतरी रायपुर के क्षेत्र के उनके करीबी लोगों को
भी भारी ताज्जुब हुआ था . नई कार्यसमिति में कुछ पुराने लोगों को रख लिया गया है और कुछ नए चेहरे शामिल कर लिए गए हैं
.जिन 22 लोगों को कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है उनके नाम देखकर जो बात समझ में आती है वह यह कि राहुल
गांधी का वफादार होना तो स्थाई रूप से ज़रूरी है .
जितेन्द्र सिंह , रणदीप सिंह सुरजेवाला ,तारिक अनवर और रघुवीर सिंह मीणा अब कांग्रेस
कार्यसमिति के सदस्य हैं . कुछ मज़बूत नेताओं को कांग्रेस कार्यसमिति का बनाया गया है . उस लिस्ट में दिग्विजय सिंह , मीरा कुमार ,
अधीर रंजन चौधरी , जयराम रमेश ,प्रमोद तिवारी पी एल पुनिया, शक्तिसिंह गोहिल,
दिनेश गुंडूराव , भक्तचरण दास आदि शामिल हैं .लेकिन
ज़्यादातर ऐसे लोग हैं जिनकी केवल एक योग्यता है और वह यह कि वे राहुल गांधी के वफादार हैं .
केंद्रीय चुनाव अथारिटी
वाली लिस्ट देखकर साफ़ समझ
में आ जाता है कि आने वाला वक़्त कांग्रेस के लिए क्या
लेकर आया है . उसके अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री हैं . उनकी अब तक की राजनीतिक उपलब्धियों में जो सबसे चर्चित बात
है , वह यह कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वडोदरा से लोकसभा चुनाव मैदान में थे और बिजली
के खम्बे पर चढ़कर एक पोस्टर फाड़ा था . उत्तर प्रदेश में कई पिछड़ रही कांग्रेस को
लोकसभा में 22 सीटें मिल गयी थीं और वह
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से आगे निकल गयी थी लेकिन उसी बीच मधुसूदन
मिस्त्री उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के इंचार्ज बना दिए गए . उन्होंने कांग्रेस को
ऐसी राह पर डाल दिया कि वह प्रतिदिन
पिछड़ती ही गयी और आज हालत यह है कि उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष अमेठी से चुनाव
हार चुका है और जिस रायबरेली को कांग्रेस
का सबसे मज़बूत किला माना जाता है वहां की विधायक पार्टी से बगावत कर
चुकी है .
कुल मिलाकर कांग्रेस में
किये गए बदलाव के बाद बहुत कुछ क्रांतिकारी होने की स्थिति तो नहीं बन रही है लेकिन कुछ ज़मीन से जुड़े नेताओं को जोड़ने से सफलता
की कांग्रेस की उम्मीद को बल मिल सकता है
.
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