शेष नारायण सिंह
अयोध्या में भव्य रामजन्मभूमि मंदिर के
निर्माण के लिए विधिवत भूमिपूजन हो गया . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य पूजा की . इसके साथ ही पिछले 35 साल के
चल रहा विवाद समाप्त हो गया . अयोध्या में राममंदिर के
निर्माण का काम शुरू हो गया है . विश्व हिन्दू परिषद की अगुवाई में यह आन्दोलन
शुरू हुआ था.जब आन्दोलन शुरू हुआ था तो आज की मुख्य विपक्षी पार्टी सत्ता में थी .
केंद्र में और अधिकतर राज्यों में भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकारें थीं . राजीव गांधी प्रधानमन्त्री थे और उनके साथ सलाहकारों की जो टीम थी उन लोगों ने रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की बात
को सिरे से खारिज कर दिया . आन्दोलन का संचालन कर रहे
संगठन विश्व हिन्दू परिषद को मुंहमांगी मुराद मिल गयी
. विश्व हिन्दू परिषद ने देश की उस दौर की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी को भगवान राम
के खिलाफ प्रस्तुत कर दिया और तब की काल
दो लोकसभा सीट वाली पार्टी को राममन्दिर की पक्षधर के रूप में पेश कर दिया . विश्व हिन्दू परिषद के उस समय के
महत्वपूर्ण नेता प्रवीण तोगड़िया ने मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देना शुरू कर
दिया . उस आन्दोलन को सडक पर चलाने का मुख्य दस्ता , बजरंग
दल को बना दिया गया . उन दिनों दाऊद इब्राहीम भारत में ही रहता था . भारत में
अशांति पैदा करने के पाकिस्तानी एजेंडे का वह हिस्सा बन गया . पाकिस्तान की आई एस आई ने देश में बहुत सारे संगठन बना रखे थे
. दाऊद को भी पाकिस्तान ने समर्थन देना शुरू कर दिया .
नतीजा यह हुआ कि प्रवीण तोगड़िया और बजरंग दल के हर
भड़काऊ बयान का जवाब पाकिस्तान की शह पर काम करने वाले भारत में सक्रिय संगठन देने
लगे. नतीजा यह हुआ कि अयोध्या में पिछले 35 वर्षों ने अशांति का वातावरण बना हुआ था .
2020 में लगता है कि अब शान्ति रहेगी . इसका श्रेय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया जा रहा है . उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ
लेने के बाद ही स्पष्ट कर दिया था कि संविधान के दायरे
में रहकर ही राम मंदिर का निर्माण होगा और आज वह कार्य
पूरा कर लिया गया है . मंदिर निर्माण के लिए चले आन्दोलन में कई बार हिंसा की
स्थितियां पैदा हुईं लेकिन इस बार कहीं से कोई विरोध नहीं हो रहा है . मंदिर निर्माण के काम में नरेंद्र मोदी को मिलने वाले समर्थनों
में सबसे दिलचस्प मामला कांग्रेस का है . कांग्रेस
महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि
भगवान राम सब में हैं और सब के हैं। ऐसे में पांच अगस्त को अयोध्या में मंदिर
निर्माण के लिए होने जा रहा भूमि पूजन राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व
और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बनना चाहिए। दुनिया और भारतीय उपमहाद्वीप की
संस्कृति में रामायण की गहरी और अमिट छाप है। भगवान राम, माता
सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों
में प्रकाशपुंज की तरह आलोकित है। उन्होंने कबीर के राम , तुलसी के राम , रैदास के
राम के साथ साथ कई महान आत्माओं के राम का ज़िक्र किया और एक तरह से ऐलान कर दिया
कि राम मंदिर के निर्माण में कांग्रेस की
तरफ से अब कोई बाधा नहीं आयेगी . हालांकि
उन्होंने अपने बयान में कहा नहीं लेकिन उनकी भाषा के प्रवाह से ऐसा लगता है कि वे
मोदी के राम को भी उसी श्रेणी में रख रही
हैं . जिन लोगों ने 1986 से राममंदिर निर्माण के आन्दोलन को देखा है उनको मालूम है कि अगर उनके पिताजी और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने
भी शुरू में ही यही रवैया अपनाया होता तो बाबरी मसजिद के विध्वंस और राममंदिर निर्माण के आन्दोलन के नाम पर जितना खून बहा ,
वह न बहा होता. बाबरी मसजिद के टाइटिल के
मुक़दमे के मुख्य पैरोकार स्व हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने खुले दिन से
मंदिर निर्माण के काम का समर्थन किया . वे प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के भूमिपूजन समारोह में शामिल होंगे . उन्होंने एक टेलिविज़न कार्यक्रम में
कहा कि देश के मुसलमान मंदिर
निर्माण के अभियान का समर्थन करते हैं . यह उनका अति उत्साह में दिया गया
बयान है क्योंकि मुस्लिम नेता असदुद्दीन
ओवैसी और पीस पार्टी के डॉ अयूब उनकी बात
से सहमत नहीं होंगे . डॉ अयूब ने तो अखबार में विज्ञापन छपवा कर देश में निजाम-ए-मुस्तफा
का संकल्प लिया है . इसका मतलब यह है कि उनकी पार्टी के देश में संविधान को खारिज
करके एक नया इस्लामी निजाम लाने की बात कर रही है जबकि रामजन्मभूमि मंदिर का
निर्माण पूरी तरह से संविधान के दायरे में रहकर हो रहा है .
राम का मंदिर निर्माण संविधान के
दायरे में हो रहा
है और उसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रेय दिया जा रहा
है . ऐसा माहौल है कि कोई विरोध कर ही नहीं सकता. लेकिन जो सबसे बड़ी बात उन्होंने
की वह यह है कि अपने संगठन के सहयोगी बजरंग
दल वालों को काबू में रखा . हिन्दू धर्म में आक्रामकता लाने की कोशिश करने वाले सभी नेता सिस्टम से बाहर हो
चुके हैं . प्रवीण तोगड़िया एक समय में विश्व हिन्दू परिषद के सर्वेसर्वा हुआ करते थे. आजकल कहीं गुमनामी के अँधेरे
में बिला गए हैं . उनके साथी संगी भी अब
हाशिये पर हैं . लगता है कि नरेंद्र मोदी ने सबको यह संदेश दे दिया है
कि आपसी वैमनस्य नहीं आपसी सौहार्द से ही देश का राजकाज चलाया जाना चाहिए .
उन्होंने जे एस मिल के सिद्धांत ‘ अधिकतम संख्या का अधिकतम कल्याण ‘ को गवर्नेंस
का माडल बनाकर काम करने का फैसला किया है
.
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की
शुरुआत पांच अगस्त को होगी . ठीक एक साल पहले पांच अगस्त 2019 के दिन जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था.
राम मंदिर निर्माण के साथ साथ अनुच्छेद 370 का हटाया जाना भी आर एस एस का एक बहुत ही महत्वपूर्ण लक्ष्य
था . भारतीय जनता पार्टी अपने पूर्व अवतार
भारतीय जनसंघ के समय से ही जम्मू-कश्मीर को अलग दर्ज़ा देने का विरोध
करती रही है . जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी उसी सिलसिले में कश्मीर गए थे जब उनकी मृत्यु हुई थी . जनसंघ के कानपुर
अधिवेशन में 1952 में इस आशय का प्रस्ताव भी पास किया गया था. तब से ही पार्टी
जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने का विरोध करती आ रही है .वहां पाकिस्तान अपने कठपुतली
नेताओं के ज़रिये कश्मीर के भारत में विलय
के विरोध में आन्दोलन करवाता रहा है. सबको
मालूम है कि संविधान में अनुच्छेद 370 एक टेम्परेरी प्रावधान था लेकिन कश्मीर सहित
बाकी देश में अशांति के डर से अब तक की सरकारें 370 हटाने वाली बात को टालती रही हैं . नरेंद्र
मोदी ने कश्मीर से 370 तो हटा ही दिया , वहां पर पाकिस्तानी शह पर हिंसा करने वालों को भी औकात में ला दिया . सबसे
बड़ी बात यह हुई कि देश में कहीं कोई हिंसा नहीं हुई बल्कि खुशी ही जाहिर की गयी.
देश में पिछले कई दशकों से अशांति की जड़ बनी समस्याओं को सुलझाकर नरेंद्र मोदी ने
निश्चित कुशल राजनीति का परिचय दिया है .इसके लिए उनके विरोधियों के बीच भी उनका सम्मान बढ़ा है.
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