शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली, १३ मई ..तीसरे मोर्चे की बात रह रह कर हवा में उछलती रहती है . ममता बनर्जी को बीजेपी और कांग्रेस से बराबर की दिक्क़त है इसलिए वह विपक्ष की एकता तो चाहती हैं लेकिन ऐसी उनको एकता चाहिए जिसमें कांग्रेस न हो . टी आर एस के नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव भी कांग्रेस के बिना ही विपक्षी एकता चाहते हैं . दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के शीर्ष नेता भी कुछ ऐसा ही चाहते हैं . उनकी सोच है कि अगर विपक्ष कांग्रेस और गैर कांग्रेस के खेमे में बंटा रहा तो बीजेपी के लिए २०१९ में आसानी होगी लेकिन अगर सारा विपक्ष एक हो गया तो बीजेपी के लिए ख़तरा है. विपक्ष को तितर बितर होने से बचाने के लिए शरद पवार ने सबसे पहले अपनी पोजीशन साफ़ की . उन्होंने कह दिया कि कांग्रेस के बिना विपक्ष की एकता का कोई मतलब नहीं है .अब समाजवादी नेता शरद यादव ने भी कह दिया है कि तीसरे मोर्चे की राजनीति का अब समय नहीं है . बीजेपी से परेशान सभी राजनीतिक नेताओं और जमातों को एक ऐसी रणनीति बनानी पड़ेगी जिसके तहत बीजेपी के उम्मीदवार को हर क्षेत्र में चुनौती देने वाला उम्मीदवार एक ही व्यक्ति हो और मोटे तौर पर उसको पूरे विपक्ष का समर्थन मिल रहा हो .
एक समाचार एजेंसी के साथ बातचीत में शरद यादव ने कहा कि २०१९ के पहले किसी तीसरे मोर्चे की संभावना बिलकुल नहीं है. उन्होंने कहा कि विपक्ष की पार्टियों को ऐसी रणनीति बनानी चाहिए जिससे बीजेपी को कारगर तरीके से चुनौती दी जा सके . ममता बनर्जी और के चंद्र्शेखर राव अभी तो तीसरे मोर्चे की बात कर रहे हैं लेकिन कुछ समय बाद वे भी विपक्षी एकता की बात करने लगेंगे. उन्होंने दावा किया कि २०१९ के इस चुनाव में संविधान की रक्षा करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है . उनको भरोसा है कि देश को जिस खतरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कथित रूप से धकेल दिया है उससे राजनीतिक पार्टियां देश को बचाने में सफल होंगी. शरद यादव कहते हैं कि वे सभी विपक्षी नेताओं से संपर्क में हैं और जब सही अवसर आएगा तो सब एक होने के लिए तैयार हो जायेंगे. हालांकि यह काम कठिन है लेकिन असंभव नहीं है .
शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता भी खतरे में है लेकिन वे कहते हैं कि उसकी चिंता नहीं है . उनके समर्थकों ने एक नयी राजनीतिक पार्टी का गठन कर लिया है . लोकतांत्रिक जनता दल नाम के इस दल में शरद यादव के ज़्यादातर समर्थक हैं लेकिन शरद यादव पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं . उन्होंने बताया कि इस पार्टी को उनका आशीर्वाद मिलता रहेगा .पार्टी का राष्ट्रीय सम्मलेन १८ मई २०१८ को नई दिल्ली में आयोजित किया गया है जिसमें विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ,समाजवादी आन्दोलन के प्रतिनिधियों , सामाजिक संगठनों और जनांदोलन के नेताओं को बुलाया गया है .
शरद यादव इस पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल नहीं हो रहे हैं लेकिन पार्टी की कोशिश है कि लोकतंत्र के चारों खम्बों , विधायिका,कार्यपालिका, न्यायपालिका और पत्रकारिता पर आये संकट के बादल को हटाने की बात की जा रही है .पार्टी की बुनियाद में भारत के समाजवादी आन्दोलन के मूल तत्व हैं . अज समाजवादी आन्दोलन बिखराव के दौर से गुज़र रहा है. इसी बिखराव को रोकने के लिए लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया गया है .
विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने के सन्दर्भ में शरद यादव की बात में दम इसलिए भी लगता है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी कांग्रेस समेत सभी पार्टियों के साथ मिलकर साम्प्रदायिक ताक़तों को पराजित करने की राजनीतिक लाइन ले ली है . उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ आंशिक एकता फूलपुर और गोरखपुर के उपचुनावों में दिखी थी और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. अब कैराना और नूरपुर के उपचुनावों में उस एकता को मुकम्मल कर लिया गया है . अब अजीत सिंह की पार्टी और कांग्रेस भी बीजेपी विरोधी वोटों को मज़बूत करने में जुट गए हैं .अखिलेश यादव और मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी एकता २०१९ तक तो पक्की है , आगे की बाद में देखी जायेगी . बिहार में भी नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने के बाद बीजेपी विरोधी ताकतें एकजुट हो रही हैं . खबर आ रही है कि मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की अगुवाई में मायावती और अखिलेश कुछ एडजस्टमेंट की बात कर रहे हैं . कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू के दौर की इलाकाई क्षत्रपों को महत्व देने की बात का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है. अब वही प्रयोग मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी दोहराया जा सकता है और अगर इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को बहुजन समाज पार्टी का सहयोग मिल गया तो बीजेपी के लिए २०१९ में मुश्किल पेश आ सकती है . उड़ीसा , बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों में भी एक ही विपक्षी उमीदवार की योजना पर काम चल रहा है. और तीसरे मोर्चे की बातों को नेता लोग सिरे से खारिज कर रहे हैं . ऐसी हालत में लगता है कि विपक्ष को कई टुकड़ों में विभाजित करके २०१९ का चुनाव बीजेपी के भाग्य में नहीं है . उसको विपक्ष की साझा ताकत का मुकाबला करना पड़ेगा और इस मुहिम में शरद यादव और शरद पवार अहम भूमिका निभायेंगे .
No comments:
Post a Comment