शेष नारायण सिंह 
 
नई दिल्ली,५ अप्रैल.अरब क्रान्ति की नेता और सबसे कम उम्र में नोबेल शान्ति पुरस्कार जीतने वाली यमन की पत्रकार तवक्कुल  कारमान ने आज यहाँ कहा कि हर तानाशाह आतंकवादी होता है और हर आतंकवादी निश्चित रूप से तानाशाह होता है. वे आज यहाँ बाबू जगजीवन राम राष्ट्रीय संस्थान के तत्वावधान में आयोजित पांचवें स्मारक व्यख्यान के आयोजन  की मुख्य वक्ता थीं. अरब स्प्रिंग रिवोल्यूशन की नेता और वीमेन जर्नलिस्ट्स विदाउट चेन्स की संयोजक तवक्कुल कार्मान ने अरब दुनिय में परिवर्तन की आंधी ला दी  है . जिन अरब देशों में महिलायें बाहर नहीं निकलती थीं वहीं आज तवक्कुल की प्रेरणा से  हज़ारों महिलायें सडकों पर आ कर तानाशाही  का विरोध कर रही हैं . वे खुद महात्मा  गांधी को अपना आदर्श मानती हैं और अरब दुनिया में  परिवर्तन की बहुत बड़ी समर्थक हैं .वे खुद भी अहिसंक तरीकों से चलाये जा रहे अरब देशों के परिवर्तन के आन्दोलन का नेतृत्व कर रही हैं.
बहुत ही लचर तरीके से आयोजित सरकारी कार्यक्रम में कुछ भी ठीक नहीं था . समय से करीब ४५ मिनट बात तक आयोजक तैयारी में ही लग एराहे . हद तो तब हो गयी  जब मुख्य अतिथि के  आ जाने  के बाद भी सीटों पर आरक्षण की पट्टियां लगाई जाती रहीं . आयोजक और उनका मंत्रालय बिलकुल गाफिल थे क्योंकि सम्बंधित मंत्री ने पंजाब विधानसभा के स्पीकर को पंजाब की लोकसभा का स्पीकर बताया और अपनी गलती को सुधारने तक की परवाह नहीं की..सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की खामियों को लोकसभा की स्पीकर और बाबू जगजीवन राम की बेटी ने अपने स्वागत भाषण में बखूबी  लिया . उन्होंने कहा कि वे तवक्कुल कारमान की बेख़ौफ़  पत्रकारिता का सम्मान करती हैं .  मीरा कुमार ने इस अवसर पर अपने महान पिता को याद किया और कहा कि वे कहा करते थे हमारे देश के लिए लिक्तंत्र बहुत ज़रूरी  है  क्योंकि वह हमें बराबरी का अवसर देती है . वे कहा करते थे कि बराबरी का लक्ष्य हासिल करने के लिए लोक तंत्र ज़रूरी है लेकिन जाति प्रथा इसमें सबसे बड़ी बाधा है . बाबू जगजीवन राम कहा करते तह कि या तो जाति प्रथा अरहेई आ लोकतंत्र . क्योंकि  दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं . मीरा कुमार ने बताया अपने देश में  लोकतंत्र और जातिप्रथा , दोनों ही साथ साथ चल रहे हैं .उन्होंने उम्मीद जताई कि हमारा लोकतंत्र जाति प्रथा को ख़त्म कर डा और बराबरी उसी रास्ते से  आयेगी.
जब तवक्कुल कारमान ने माइक संभाला तो दर्शकों में कोई  बहुत उत्साह नहीं था लेकिन जब उन्होंने अपना भाषण  ख़त्म किया तो सभी दर्शक खड़े हो कर तालियाँ बजा रहे थे.उन्होंने कहा कि अरब दुनिया में शासक वर्गों ने अजीब तरीके अपना रखे हैं .वे देश की संपत्ति को अपनी खेती समझते हैं और अपने परिवार वालों के साथ मिलकर सारी संपदा को लूट रहे हैं . अरब देशों में हर तरफ तानाशाही का बोलबाला है लेकिन अपने देशों के नाम सभी ने इस तरह के रख छोड़े हैं कि उसमें रिपबलिक कहीं ज़रूर  आ जाता है . उनके अपने देश, यमन के तानाशाह ने पूरी कोशिश की  कि उनके आन्दोलन को इस्लामी आतंकवादी आन्दोलन करार दे दिया जाए.. लेकिन अरब नौजवानों ने  तानाशाहों की कोशिश को सफल नहीं होने दिया. नौजवानों ने कुर्बानियां दीं क्योंकि वे अपने भविष्य को तानशाही के हवाले नहीं करना चाहते . अपनी  कुर्बानियों एक बल पर अरब नौजवानों ने साबित कर दिया कि वे आतंकवादी  नहीं है क्योंकि वे महात्मा गांधी के अहिंसक आन्दोलन  को अपने संघर्ष का तरीका बना चुके हैं .इन नौजवानों की ताक़त संघर्ष कर सकने की क्षमता  है .. अरब देशों  के तानाशाह आम लोगों को उनका हक नहीं देना चाहते इसलिए वे उन्हें बदनाम करने के लिए उन पर आतंकवादी  का लेबल लगाने की  कोशिश करते हैं लेकिन अब पूरी दुनिया को मालूम है कि अरब दुनिया बहुत बड़े बदलाव के मुहाने पर खडी है और उम्मीद से पहले ही अरब देशों में लोकशाही के स्थापना हो जायेगी.
 
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