जन्मदिन मुबारक डाक्टर एस बी सिंह
आज
डॉ एस बी सिंह का जन्मदिन है . आप इलाहाबाद में विराजते हैं . यहाँ दिल्ली
में जब मेरे किसी दोस्त या शुभेच्छु को कोई मुश्किल बीमारी हो जाती है तो
मैं उनका फोन नंबर दे देता हूँ और फोन पर
ही वे होम्योपैथिक दवा का नाम लिखवा देते
हैं . ज्यादातर लोग बिलकुल ठीक हो जाते
हैं . चार दशक से भी ज़्यादा समय से
होम्योपैथी की प्रेक्टिस कर रहे हैं
. और देश के शीर्ष होम्योपैथिक डाक्टरों में उनकी गिनती होती है . इलाहाबाद
में उनके कई स्थानों पर क्लिनिक हैं .
मुख्य ठिकाना इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पास
कटरा में हैं . वहां शाम को मरीजों का मेला लगता है . आम तौर पर डाक्टरों ने फीस बढ़ा दी है लेकिन उनकी फीस अभी
भी बहुत ही कम है . मैं कोशिश कर रहा हूँ कि
वे महीने में दो एक दिन नोयडा या ग्रेटर नोयडा में भी मरीज़ देखना शुरू कर दें . उनका एक बेटा
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में वकील है , बिटिया बायोटेक्नोलोजी की विद्वान है और
दामाद निजी क्षेत्र की एक बड़ी बैंक में बड़े पद पर
है. बड़ा बेटा भोपाल में रहता है, बड़ा बैंकर है . भाई बहन , नात रिश्तेदार
सबको साकिन बहमरपुर से इलाहाबाद लाकर जमा
देना उनका शौक़ था. आज सभी का परिवार आनन्द में है, सब के बच्चे ज़िंदगी में अच्छा
कर रहे हैं . एकाध रिश्तेदार का बेटा तो
सिविल सर्विस में चुन लिया गया है और राजपूती दहेज की बाज़ार में उसकी कीमत
करोड़ों के पार है .
डॉ साहब गांधीवादी मूल्यों से ओतप्रोत हैं . हालांकि बच्चे चलने नहीं देते
लेकिन उनकी चले तो स्लीपर क्लास में ही
यात्रा करना पसंद करते हैं . शिक्षा के महत्व
को अच्छी तरह जानते हैं इसलिए अपने गाँव में एक बढ़िया स्कूल स्थापित कर रहे हैं. उनके पिताजी लम्भुआ
मिडिल स्कूल में मेरे अंग्रेज़ी के शिक्षक थे. उन दिनों बहुत ही अच्छे कपड़े जूते वगैरह पहनते
थे . हम लोगों से बड़ी उम्र के नाक्शेबाज़ लोग उनके कपड़ों की नक़ल करते थे. सिनेमा था
नहीं तो वही फैशन के मामले में दिलीप
कुमार , देवानंद की जगह पर हीरो माने जाते
थे . वक़्त के इतने पाबन्द थे कि उनके
स्कूल जाने के समय से लोग घड़ी मिला लिया करते थे. बहुत ही सख्त शिक्षक थे . इसलिए
हर क्लास में दो चार लड़के ऐसे होते थे जो
उनकी सख्ती की हवा निकालने का काम करते थे. मेरी क्लास में इस तरह के लड़कों की
अगुवाई मैं करता था. बाद में मुझपर उनको अटूट विश्वास था. जब मैं टी डी
कालेज जौनपुर में पढता था तो डॉ एस बी
सिंह के पिताजी ने उनकी शिक्षा के लिए जौनपुर भेज दिया और मैं उनका लोकल
गार्जियन बना दिया गया . मुझे फख्र है कि मैंने एक गार्जियन के रूप में बहुत
ही अच्छा काम किया .डाक्टर साहब खुद भी कहते हैं कि आत्मनिर्भरता का
जो अभ्यास मैने उनको कराया था , आज वही उनका
पाथेय है. उनकी पत्नी ढकवा के पास बसे मानाशाही बैस ठाकुरों के परिवार में नगर गाँव के एक रईस बाबू
साहब की बेटी हैं . शादी जल्दी हो गयी थी . उन्होंने दसवीं ही पास किया था . शादी के बाद डॉ एस बी सिंह ने उनको इलाहाबाद
में
लाकर उच्च शिक्षा की प्रेरणा दी और
उन्होंने एम ए , पी-एच डी की पढाई की
और शहर के एक नामी कालेज में लेक्चरर
हुईं. अब मेरे दोस्त एस बी सिंह की रेज़ीडेंट
थानेदार हैं . और उनको पूरी तरह से कंट्रोल में रखती हैं . दोनों की मुहब्बत उसी
तरह की है जैसी आज के अड़तालीस साल पहले थी . दीवानगी की हद तक.
आज
उन्ही डॉ एस बी सिंह का जन्मदिन है
. जन्मदिन मुबारक डाक्टर साहब .
No comments:
Post a Comment