Saturday, July 18, 2020

अमरीकी नागरिक अधिकारों के चैंपियन जॉन लुईस नहीं रहे


शेष नारायण सिंह  

अमरीका में नागरिक अधिकारों के बड़े चैंपियन, जॉन राबर्ट लुईस नहीं रहे . अस्सी साल की उम्र में उनका देहांत हुआ . उनको कैंसर था.  सभी जीवित अमरीकी पूर्व राष्ट्रपतियों ने उनकी मृत्यु पर शोक सन्देश भेजा  है लेकिन ट्विटर पर हमेशा मौजूद रहने वाले वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक कुछ नहीं कहा है . वे गोल्फ खेल रहे  हैं .

अमरीका में काले लोगों के खिलाफ बहुत ही विद्वेषपूर्ण रवैया अपनाया जाता था , १९६४ तक उन लोगों को वोट देने का अधिकार तक नहीं था, बसों में अलग सेक्शन होता था .कैंटीनों में उनके खाने के लिए अलग जगह तय रहा करती थी. बस के लिए इंतज़ार करते हुए उनको  गोरों से दूर रहना पड़ता था .  इस सब के खिलाफ १९६१ में दक्षिणी राज्य टेनेसी की राजधानी  नैशविल में एक आन्दोलन शुरू हुआ. उस आन्दोलन में अधिकतर नैशविल की फिस्क यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राएं शामिल थे . इस आन्दोलन को दिशा देने का काम जेम्स लासन ने किया . तीन साल तक भारत में रहकर उन्होंने महात्मा गांधी के सत्याग्रह के राजनीतिक हथियार की बारीकियां समझ लीं थी .इसलिए जब जेम्स लासन ने काम शुरू किया तो उनका सबसे बड़ा हथियार महात्मा गांधी का सत्याग्रह था। इसके पहले अमरीका के अफ्रीकी मूल वाले नागरिक, मानवाधिकारों की लड़ाई के लिए हिंसक तरीके अपनाते थे लेकिन जेम्स लासन ने महत्मा गांधी की तरकीब अपनाई और लड़ाई सिविल नाफरमानी के सिद्धांत पर केंद्रित हो गई। वहां के क्लू, क्लास, क्लान के श्वेत गुंडों ने इन लोगों को बहुत मारा-पीटा, आतंक का सहारा लिया लेकिन लड़ाई चलती रही, शांति ही उस लड़ाई का स्थाई भाव था। इस  सत्याग्रही  संघर्ष में जॉन लुईस अगली कतार के नेता थे . उनके साथ जो ने लोग थे वे सभी बीस से पचीस वर्ष की आयु के बीच के ही  थे.

बाद में मार्टिन लूथर किंग भी इस संघर्ष में शामिल हुए और अमरीका में अश्वेत मताधिकार सेग्रेगेशन आदि की समस्याएं हल कर ली गईं। अमरीकी मानवाधिकारों को दबा देने की कोशिश कर रहे सभी अश्वते गुंडे आतंक का सहारा ले रहे थे  आतंकवाद को राजनीतिक हथियार बनाने वाले व्यक्ति का उद्देश्य हमेशा राजनीतिक होता है और वह भोले भाले लोगों को अपने जाल में फंसाता है. जॉन लुईस के साथियों ने आतंक का विरोध किया और अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन केनेडी की मदद से ऐसे  क़ानून बनवाने में सफलता पाई जो कि किसी भी सभी समाज के लिए ज़रूरी होते हैं.

जॉन  लुईस बाद में चुनावी राजनीति में शामिल हुए और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से जार्जिया से अमरीकी संसद की प्रतिनिधि सभा के सदस्य रहे . पहली बार १९८७ में जीते थे तब से लेकर  १७ जुलाई  २०२० को अपनी मृत्यु तक वह सीट लगातार जीतते रहे .

वे बहुत ही शिष्ट और  विनम्र व्यक्ति थे. उन्होंने  अहिंसा का रास्ता अपनाया और सिविल  नाफ़रमानी के राजनीतिक अधिकार से अमरीका के इतिहास को बदल कर रख दिया “

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