Tuesday, June 10, 2014

प्रधानमंत्री के चुनावी नारों को राष्ट्रपति के अभिभाषण में शामिल किया गया .




शेष नारायण सिंह

 संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ ही सोलहवीं  लोकसभा का विधवत आगाज़ हो गया. मानी हुयी बात है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में उनकी सरकार की नीतियों और योजनाओं का ज़िक्र होता है  लेकिन आज का राष्ट्रपति का अभिभाषण इस बात  के लिए ख़ास तौर पर याद रखा जाएगा कि उसमें मौजूदा प्रधानमंत्री के उन भाषणों के अंश भी थे जिनको उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान नारों की शक्ल में इस्तेमाल किया था  सबको मालूम है कि राष्ट्रपति हर काम मंत्रिमंडल की सलाह से करते हैं  ,उनके सार्वजनिक भाषण भी सरकार की तरफ से लिखे जाते हैं , उनके हर भाषण में सरकार की नीतियों का ही उल्लेख होता है लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि राष्ट्रपति महोदय अपने भाषण में सत्ताधारी पार्टी के चुनावी नारों का बड़े विस्तार से उल्लेख करें . आज का भाषण इस सन्दर्भ में बहुत ही उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव भाषणों के कई नारों का अपने भाषण में इस्तेमाल किया .
आज के भाषण में जो सबसे प्रमुख बात समझ में आई वह  यह कि महिलाओं को संसद और विधानमंडलों में ३३ प्रतिशत आरक्षण की बीजेपी और कांग्रेस की करीब बीस साल से चल रही योजना  को लागू किया जा सकेगा . इसका कारण यह है कि बीजेपी की सरकार किसी भी ऐसी पार्टी के सहयोग की मुहताज नहीं है जो आम तौर पर महिलाओं के आरक्षण की बात शुरू होने पर हंगामा करते थे .  समर्थन की बात  तो दूर इस तरह  की विचारधारा  के लोग लोकसभा के सदस्य भी नहीं हैं . कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इस मामले पर एकमत  रहे हैं . आज राष्ट्रपति जी ने महिलाओं के लिए जिन सकारात्मक बातों का उल्लेख किया उसमें से एक यह भी है . ज़ाहिर है कि दशकों से ठन्डे बसते में पडी यह योजना  मानसून सत्र में ही लागू की जा सकती है . महिलाओं के लिए अभिभाषण में और भी अहम् बाते  कही गयी हैं जिनपर सबकी नज़र रहेगी . मसलन महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा पर काबू  करने की जिस  मंशा की बात की गयी है अगर वह  लागू हो गयी तो भारत दुनिया के सभ्य देशों की सूची में काफी ऊपर पंहुंच जायेगा .

अपने अभिभाषण में केंद्र सरकार की पांच साल की योजनाओं का ज़िक्र तो राष्ट्रपति जी ने किया ही , कई बार उन्होंने ऐसी योजनाओं का ज़िक्र भी किया जिनके पूरा होने में दस साल से भी ज़्यादा समय लग सकता है . मूल रूप से बड़े उद्योगों के ज़रिये रोज़गार सृजन करने की सम्भावनाओं का लगभग हर योजना में उल्लेख था . खेती में निबेश को बढ़ावा देने की बात थी तो रेलवे के  विकास के बारे में उनकी रूपरेखा से बिलकुल साफ़ लग रहा था कि अब रेलवे में बड़े पैमाने पर तथाकथित पी पी पी माडल के ज़रिये निजीकरण की शुरुआत होने वाली है . पानी की सुरक्षा और उसकी व्यवस्था के बारे में मौजूदा सरकार बहुत गंभीर है और प्रधानमंत्री सिंचाई योजना लाने की मंशा का ऐलान भी बाकायदा किया गया  . शिक्षा के क्षेत्र में प्रधानमन्त्री के हुनर विकास योजना  को प्रमुखता से लागू करने की बात भी की गयी. उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ,सेना में समान रैंक ,सामान पेंशन योजना ,प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए नीति,सुरक्षाबलों के लिए आधुनिक ,सागरमाला प्रोजेक्ट ,नेशनल मिशन ऑफ हिमालय ,हर परिवार को पक्का घरशौंचालय, १००  नए शहर, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में रेल नेटवर्क,हाई स्पीड ट्रेन , काला धन लाने के लिए एसआईटी , स्वच्छ भारत मिशन आदि बहुत सारे नारों का उल्लेख किया जो कि मौजूदा सरकार की योजनाओं  का हिस्सा हैं . हर हाथ को हुनर , हर खेत को पानी का जो बीजेपी या उसकी पूर्ववर्ती जनसंघ का पुराना ऩारा  है उसको भी अपने भाषण में शामिल किया
सरकारी हिसाब किताब का डिजिटाइजेशन,बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम , कश्मीरी पंडितों को घाटी में लौटाने की योजना, राज्य और केंद्र का टीम इंडिया की अवधारणा आदि ऐसी योजनायें हैं जिनपर पूरे देश की नज़र रहेगी .

एक भारत , श्रेष्ठ भारत , प्रधानमंत्री का प्रिय चुनावी नारा था जो राष्ट्रपति जी के भाषण में इस्तेमाल हुआ .  यह अलग बात है कि इस नारे  को नीति के स्तर पर कैसे लागू किया जाएगा ,इसके बारे में सही योजना का  उल्लेख नहीं किया गया . कुल मिलाकर राष्ट्रपति का अभिभाषण उन सभी वायदों से भरा हुआ था . देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कितनों को मौजूदा सरकार लागू कर पाती है .

1 comment:

  1. शेष जी,
    सारगर्भित समीक्षा. प्रधानमंत्री के इस पहले भाषण में भी सबसे ज्यादा जोर लोकप्रियता समेटने पर ही दिखा. इसीलिए वाह-वाह की आवाजें भी खूब गूंज रहीं हैं. असलियत तो बजट से सामने आएगी.
    एक जिज्ञासा है, महात्मा गाँधी को बार-बार उद्धरित करने के पीछे मंशा क्या है क्योंकि आरएसएस के गाँधी के बारे में विचारों को पर कुछ कहने की जरूरत नहीं है, फिर मोदी ऐसा क्यों-किसलिए कर रहे हैं?

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