Tuesday, July 27, 2010

महिलाओं का हुजूम देगा संसद पर दस्तक

शेष नारायण सिंह

नयी दिल्ली में महिला संगठनों की नेताओं ने आज ऐलान किया कि अब संसद और विधान सभाओं में महिलाओं को ३३ प्रतिशत आरक्षण देने से सरकार बच नहीं सकती. अपनी बात को और जोरदार तरीके से कहने के लिए महिलाओं का एक बड़ा हुजूम २९ जुलाई को नयी दिल्ली के जंतर मंतर के पास इकठ्ठा होगा और संसद के तरफ कूच करेगा . महिला आरक्षण बिल राज्य सभा में पास हो चुका है . अब उसे लोक सभा को पास करना है . लोक सभा में पास होने के बाद कम से कम १५ राज्यों की विधान सभाओं में उसे मंज़ूर लेनी पड़ेगी . जिसके बाद राष्ट्रपति के दस्तख़त के बाद वह कानून बन जाएगा. यह आसान नहीं होगा और दिल्ली में जुटी महिला नेताओं को यह मालूम भी है . इसी लिए महिलाओं ने ऐलान किया है कि अब लड़ाई आर पार की होगी . और राजनीतिक दल महिलाओं को उनका हक देने में आनाकानी नहीं कर सकते . प्रेस कांफेरेंस को अनहद की शबनम हाशमी, जनवादी महिला समिति की सुधा सुन्दरम, सेंटर फोर सोशल रिसर्च की रंजना कुमारी और नेशल फेडरेशन ऑफ़ इन्डियन वीमेन की एनी राजा ने संबोधित किया . एनी राजा ने कहा कि यू पी ए सरकार ने बार बार कहा है कि वह बिल को पास करवाना चाहते हैं लेकिन लगता है कि उनके पास राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव है .. जो दल महिला आरक्षण का विरोध कर रहे हैं वे महिलाओं की पुरुषों से बराबरी की बात को नहीं मानते . यह बात महिला अधिकार नेता, ज्योत्सना चटर्जी ने भी दोहराया . उन्होंने कहा कि पिछले १५ वर्षों से वे सभी पार्टियों के नेताओं से समर्थन के मांग करती रही हैं . जो लोग विरोध कर रहे हैं उनका कहना है कि उनके लिए महिलाओं के लिए १८० सीट छोड़ देने का फैसला करना बड़ा ही मुश्किल काम है . मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सुधा सुन्दरम ने कहा कि बिल का विरोध करने वाले पितृसत्तात्मक समाज को समर्थन करते हैं और आम सहमति के राजनीतिक हथियार का इस्तेमाल करके महिला आरक्षण बिल को रोक रहे हैं .डॉ रंजना कुमारी ने कहा कि जब राज्य सभा में बिल पास कराया गया तो तीन बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने तय कर रखा था . हालांकि बी जे पी, कांग्रेस और वाम मोर्चे में कहीं कोई भी राजनीतिक समझ का रिश्ता नहीं है सब एक दूसरे की मुखालिफ जमाते हैं लेकिन बिला पास हुआ क्योंकि यह आज के दौर की ऐतिहासिक आवश्यकता है . हम पूरी कोशिश करेगें कि बिल इस मानसून त्र में ही हर हाल में पास कर लिया जाए.. .

अनहद की संयोजक शबनम हाशमी ने कहा कि समाज के पुरातन पंथी लोग धर्म का इस्तेमाल करके बिल को रोकना चाहते हैं उन्होंने मांग की कि यू पी ए के नेताओं को चाहिए कि सामंती सोच के लोगों के मशविरे को दरकिनार करके महिला आरक्षण बिल्ल्के समर्थन में सामने आयें और सामाजिक बराबरी की दिशा में यह महान क़दम उठायें

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