Tuesday, September 11, 2018

मारु जुझारु बजै बजना ,केउ दूसर राग बजावत नाहीं , बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद की दिल्ली .


                                                              
शेष नारायण सिंह   

दिल्ली में अब हर राजनीतिक बातचीत २०१९ के लोकसभा चुनाव के हवाले से  ही की जाती है . मध्यप्रदेश,राजस्थान, छतीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा के चुनाव इसी साल होने वाले हैं लेकिन उनकी चर्चा राजनीतिक चर्चा का स्थाई भाव नहीं रहता. नई दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी  में भी यही फोकस रहा . २०१८ के विधानसभा चुनावों की बात होती भी है तो इस सन्दर्भ में कि उसके नतीजों का २०१९ पर असर क्या होगा. इस बात में दो राय नहीं है कि बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात के प्रति चौकन्ना है कि २०१९ का चुनाव् बहुत ही अहम मुकाबला होगा . राष्ट्रीय  कार्यकारिणी के बीजेपी अध्यक्ष, अमित शाह के भाषण का विश्लेषण करने से सन्दर्भ  और भी साफ़ हो जाता है . उन्होंने पार्टी के हर कार्यकर्ता को आगाह किया कि चिदंबरम एंड कंपनी के आरोपों का ज़बरदस्त तरीके से जवाब देने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को तैयार रहना पडेगा .  कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की तरफ से ही सत्ताधारी पार्टी की आर्थिक  नीतियों पर सबसे धारदार हमले हो रहे हैं . चिदम्बरम के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री  डॉ मनमोहन सिंह का बयान भी अखबारों में सुर्खियाँ बना कि अर्थव्यवस्था  में बड़ी बड़ी असफलताएं  दिशाहीन आर्थिक नीतियों और उनके लागू  करने में हुई गलतियों के कारण हैं . अपने अध्यक्षीय भाषण में अमित शाह ने डॉ मनमोहन सिंह को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि डॉ मनमोहन सिंह  प्रधानमंत्री के रूप में फालोवर थे जबकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में लीडर हैं.  उनके भाषण के बाद जब रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों को उनके  भाषण की ख़ास बातें बताईं तो उन्होंने सारी बातें  डिटेल में बताईं. ज़्यादातर बातें वही थीं जो अमित शाह आम तौर पर कहते हैं. इस बार की ख़ास बात यह थी कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी का यह अधिवेशन पूर्व प्रधानमंत्री अटल  बिहारी   वाजपेयी को समर्पित था . अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष थे . बीजेपी की  पूर्ववर्ती  भारतीय जनसंघ और जनता  पार्टी की स्थापना में भी उनका योगदान था .  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक शाखा में उनकी पहचान अपेक्षाकृत उदार नेता के रूप में होती थी. संसद में  विपक्ष के सदस्य के रूप में आम तौर पर  उनकी प्रतिभा का लोहा उनके  विपक्षी भी मानते थे . यह सामान्य जानकारी है कि एक संसद सदस्य के रूप में अटल जी की  बहुत इज्ज़त थी और जवाहरलाल नेहरू ने खुद उनकी तारीफ की  थी. अटल बिहारी  वाजपेयी की मृत्यु के बाद बीजेपी की यह पहली कार्यकारिणी की बैठक है .
अटल बिहारी   वाजपेयी की याद का राजनीतिक लाभ मिलने की  उम्मीद भी बीजेपी को है . शायद इसीलिये देश भर में उनकी अस्थियों का विसर्जन किया गया और  अमित शाह ने अपने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के भाषण में भी  स्व. वाजपेयी से सम्बंधित कार्यकर्मों की रूपरेखा  भी बतायी . भाषण में उन्होंने एस सी /एस टी एक्ट और बढ़ती पेट्रोल की कीमतों के बाद चल रहे कई  प्रदेशों के आन्दोलन को विपक्ष का झूठा प्रचार बताया और  कार्यकताओं का आवाहन किया कि इस  प्रचार का   माकूल जवाब दिया जाना चाहिए . इस बात में दो राय नहीं  है कि बीजेपी में  एस सी /एस टी एक्ट और पेट्रोल की कीमतों को लेकर असुविधा है , उनको मालूम है कि इससे  नुक्सान होगा. इसीलिये जब  निर्मला सीतारामन से इन मुद्दों पर सवाल पूछे गए तो मीडिया सेल  के उप प्रमुख संजय मयूख ने सभा ही बर्खास्त कर दी और कहा कि अभी इस  विषय पर बात करने के और मौके आयेंगें .  इन दोनों ही मुद्दों पर बीजेपी के बड़े नेता और सांसद  चिंता का  इज़हार तो करते हैं लेकिन पार्टी की लाइन यही है  कि  विपक्ष की तरफ से इन मुद्दों को हाईलाईट नहीं करना चाहिए और अगर वे करते हैं तो उसका जवाब दिया जाएगा .पार्टी अध्यक्ष ने अपने भाषण में कहा कि यह कुप्रचार है.

आर्थिक मुद्दों पर सरकार की नाकामियाँ गिनाना अगर कुप्रचार है तो  इस तरह का प्रचार करने वालों में कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह  भी  हैं . जब उनको बताया गया कि बीजेपी के लोग समझते हैं कि  कांग्रेस की तरफ से झूठा प्रचार किया जा रहा है तो उनका जवाब  दो टूक था. उन्होंने कहा बीजेपी की सरकार हर मोर्चे पर नाकाम है .मंहगाई बेलगाम बढ़  रही है , रूपया दिनों दिन कमजोर हो रहा है जिसके चलते अर्थव्यवस्था रसातल को जा  रही है .पेट्रोल ,डीज़ल और रसोई गैस की कीमत  पर सरकार  असहाय खड़ी है . नौजवानों को नौकरी देने में सरकार नाकाम है .  उद्योगों की हालत खस्ता है .  धार्मिक ध्रुवीकरण करके चुनाव जीतने वाली पार्टी ने अब जातीय ध्रुवीकरण करना भी शुरू कर दिया है नतीजा यह है कि सामाजिक वैमनस्य  बहुत ही बढ़ गया  है .अपनी इन सारी नाकामियों को छुपाने के लिए सरकार अपने लोगों को उकसा कर जातीय और सामाजिक संघर्ष को  बढ़ावा दे रही है . दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि आर्थिक नाकामी के  मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी ने अपने लोगों को आगे करके छः   सितंबर के भारत बंद का आयोजन करवाया .  उनका कहना  था  कि जनता तो  सरकार से नाराज़ है ही  लेकिन सरकार को चाहिए कि उसको भीड़ का हिस्सा बनाने न बनाये .  बीजेपी को अल्पकालिक लाभ के लिए ऐसा नहीं करना चाहिए .
कांग्रेस का यह भी आरोप है कि बीजेपी के नेता एक ही मुद्दे पर भिन्न भिन्न बयान देते  रहते हैं . दिग्विजय सिंह ने  उदाहरण दिया कि आरक्षण के मुद्दे पर अमित शाह कहते हैं कि आरक्षण बना रहेगा जबकि  आर एस एस के प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि इसकी  समीक्षा की जायेगी .शिवराज चौहान कहते हैं कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता तो नितिन गडकरी  कहते  हैं कि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए .  दिग्विजय सिंह का आरोप  है कि सभी मोर्चों पर फेल रही मोदी सरकार की  नाकामियों को छिपाने के लिए  बीजेपी बाकाम कोशिश कर रही है लेकिन हर बार विरोधाभासी बयानों की शिकार हो रही है .
नई दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में आजकल माहौल  बिलकुल चुनावी है ,हर शख्स २०१९ के बारे में पूछता नज़र आता है और बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अब  चुनावी चर्चा को सप्तम में ला दिया है . बिगुल बज चुका है और २०१९ स्थाई रूप से दिल्ली की  राजनीतिक आबो हवा का हिस्सा बन जाएगा .

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