Tuesday, November 14, 2017

गुजरात में कांग्रेस बीजेपी को टक्कर दे रही है लेकिन सर्वे के कहते हैं जीत बीजेपी की ही होगी



शेष नारायण सिंह 

अहमदाबाद १२ नवम्बर . हिमाचल प्रदेश में मतदान पूरा हो जाने के बाद अब सारा राजनीतिक ध्यान गुजरात चुनाव पर है .  बीजेपी ने  सारी ताकत इस चुनाव को जीतने के लिए झोंक दी है . कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कोई  कसर नहीं छोड़ रखी है . उनको  इस चुनाव से बहुत उम्मीदें हैं , बीजेपी से माहौल में  जो नाराजगी है उसके हिसाब से राहुल गांधी की उम्मीद जायज़ लगती है  लेकिन गुजरात की सडकों में मिलने वाला हर शख्स कहता मिल जाता है कि इस  साल चुनाव में  भाजप की हालत बहुत खराब है लेकिन जीत अंत में सत्ताधारी पार्टी की ही  होगी क्योंकि बीजेपी  अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात विधानसभा के चुनाव में हार किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे इसलिए वे हर हाल में जीतेंगें . उसके लिए कुछ भी करना पड़े. बीजेपी के कार्यकर्ता कहते हैं कि अभी भले कांग्रेस का प्रचार भारी नज़र आता हो लेकिन जब प्रधानमंत्री मनीला की विदेश यात्रा से वापस आयेगें और अपने  चुनावी प्रचार शुरू करेंगे तो कांग्रेस वाले कहीं नहीं  दिखेंगे.  उनका दावा है कि पिछले २५ वर्षों में नरेंद्र मोदी ने गुजरात में गंभीर राजनीतिक  कार्य किया है और हर गली मोहल्ले और गाँव को अच्छी तरह जानते हैं .   
गुजरात चुनाव का मौजूदा प्रचार देखकर १९८० के दशक में अमेठी में होने वाले   प्रचार की याद  ताज़ा हो गयी. उन दिनों कांग्रेस नेताओं संजय गांधी और  उनकी मृत्यु के बाद राजीव  गांधी को खुश करने के लिए किसी भी चुनाव के दौरान ,कांग्रेस का  हर बड़ा नेता अमेठी  क्षेत्र के गाँवों में घूमता मिल जाता था. आजकल गुजरात में केंद्रीय मंत्रिमंडल के अधिकतर सदस्य कहीं  न कहीं मिल जा रहे हैं .
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन,  अहमदाबाद की मणिनगर में मतदाताओं के बीच पैदल घूमती नज़र आयीं . मणिनगर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनाव क्षेत्र कहा जाता है . अहमदाबाद नगर का पूर्वी  इलाका मणिनगर विनसभा क्षेत्र है  . अहमदाबाद तमिल संगम के खजांची , आर राजा  का दावा है कि इस क्षेत्र में करीब पचास हज़ार तमिल परिवार  रहते हैं .  मुख्य रूप से उनकी आबादी खोखरा  और अमराई वाडी में है . शायद इसीलिये यहाँ पर तमिलनाडु की मूल निवासी रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन को घर घर जाकर प्रचार करने को कहा गया है. १९९० से इस सीट पर भाजप का क़ब्ज़ा है .२००१ में राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद इसी सीट से नरेंद्र मोदी ने विधान सभा की सदस्यता ली थी . उस वक़्त  कमलेश पटेल विधायक थे . उन्होंने नरेंद र्मोदी के लिए सीट खाली की थी. नरेंद्र मोदी २००२, २००७ और २०१२ में यहाँ से चुने गए थे .
मणिनगर विधान सभा बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है लेकिन  यहाँ भी उसके विरोध के सुर साफ़ नज़र आये .  हालांकि हर जगह बीजेपी के कार्यकर्ता रक्षामंत्री का खूब जोर शोर से स्वागत करते नज़र आये लेकिन एक  व्यक्ति उनको काला कपडा दिखाने में सफल रहा.. बाद में महेश पटेल नाम के उस व्यक्ति ने  बताया कि ,”मैं पाटीदार  हूँ ,और पिछले बीस साल से भाजप का  सदस्य हूँ . लेकिन अब मैं निराश हूँ . पार्टी के नेता लोग सरकारी पैसे को लूट रहे हैं और अपनी जेबें भर रहे हैं .सडकों के निर्माण में बहुत ही  घटिया माल लगाया गया है . मैं कई बार इन लोगों से शिकायत कर चुका हूँ लेकिन कोई सुनता ही नहीं “. पाटीदार ( पटेल )  बिरादरी में बीजेपी से नाराज़गी है .  सरदार पटेल और महात्मा गांधी के  समय से ही पटेल लोग कांग्रेस को वोट देते  रहे थे लेकिन लाल कृष्ण आडवानी की सोमनाथ से अयोध्या रथयात्रा के बाद से पटेल लगभग पूरी तरह से बीजेपी  को वोट देते  रहे हैं . पहली बार हार्दिक पटेल के  आन्दोलन के बाद आजकल वे बीजेपी से दूर जाते नज़र आ रहे हैं . हालांकि जानकार इस बात को भी पक्का बता रहे हैं कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी की यात्राओं के बाद बड़ी संख्या में पटेल वोट हार्दिक को छोड़ देंगें  इस बात में दो राय नहीं है कि पटेल समुदाय इस बार पूरी तरह से बीजेपी के साथ नहीं होगा . ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर तो  कांग्रेस में औपचारिक रूप से शामिल ही  गए हैं , दलितों के नेता जिग्नेश भी  कांग्रेस की तरफ झुक चुके हैं . बीजेपी को अगर कोई नुक्सान होगा तो उसमें   इन  तीनों नौजवान नेताओं के अलावा  बहुत ही ख़ास योगदान राज्य भर में फैले हुए  छोटे व्यापारियों का होगा . वे अभी चुप  हैं लेकिन थोड़ी देर बात करने पर साफ़ समझ में आ जाता है कि वे बीजेपी के जी एस टी वाले  काम से बहुत परेशान हैं .इन्हीं कारणों  से शायद  प्रचार में अभी कांग्रेस का माहौल दिख रहा है .
प्रचार में कांग्रेस की हवा को चुनाव सर्वे सही नहीं मानते . लोकनीति सी एस डी एस के   सर्वे के अनुसार  बीजेपी को इस बार भी गुजरात में सत्ता मिलेगी . सर्वे के अनुसार जीत तो होगी लेकिन २०१२ से कम सीटें आने की उम्मीद है .बीजेपी के मतदान प्रतिशत में भी मामूली कमी आ सकती है.२०१२ में ४७.९ प्रतिशत मिला था जो इस साल ४७ प्रतिशत  रहने की संभावना है .कांग्रेस को पिछली बार ३८ प्रतिशत वोट मिले थे जो इस बार ४१ प्रतिशत तक बढ़ जाने  का आकलन सर्वे में किया  गया है . . सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस को फिलहाल बढ़त है . सर्वे के अनुसार बीजेपी और कांग्रेस  दोनों को ही सौराष्ट्र में ४२-४२ प्रतिशत वोट मिल सकते हैं . अगर इसी में किसी  को थोडा तल विचल हुआ तो नतीजे भारी बदलाव का कारण बन सकते हैं . दक्षिण और मध्य गुजरात में बीजेपी की  मजबूती बनी हुयी  है. क्योंकि वहां उसको ५१ प्रतिशत वोट मिल  सकते हैं जिसके कारण बड़ी संख्या में सीटें मिल सकती हैं .
मतदान के लिए गुजरात में अभी करीब महीना भर बाकी है . नतीजा जो भी ,चुनाव बहुत ही दिलचस्प हो गया है .

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