शेष नारायण सिंह
महंगाई के सवाल पर आज केंद्र सरकार बहुत बुरी तरह घिर गयी है . कांग्रेस के दफ्तर का माहौल देखने पर लगता है कि वहां किसी बड़े चुनाव में हार जाने के बाद वाली मुर्दनी छाई हुई है .सरकार में भी सन्नाटा है . केन्द्रीय वित्तमंत्री ने आज एक बयान दिया कि केंद्र सरकार ने नहीं ,पेट्रोल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतें बढ़ाई हैं . उनके इस बयान का सरकार के बाहर और अंदर बैठे लोग मजाक उड़ा रहे हैं . जानकार बताते हैं कि पिछले दो दशकों में केंद्र सरकार इतनी लाचार कभी नहीं देखी गयी थी. पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि,बैंक की ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मुद्रास्फीति की छलांग लगाती दर के कारण मनमोहन सिंह की सरकार को समर्थन दे रही पार्टियों ने सरकार की लाचारी को निशाने में लिया और दिल्ली की राजनीतिक हवा में आज यह संकेत साफ़ नज़र आने लगे कि लोकसभा का अगला आम चुनाव २०१४ में बताने वाले राजनीतिक तूफ़ान की रफ्तार को पहचान नहीं पा रहे हैं . यू पी ए समर्थकों तक को दर लगन एलागा है कि कहेने सरकार की छुट्टी न हो जाए. बीजेपी ने आज दिल्ली के हर मंच पर सरकार को नाकारा और भ्रष्ट साबित करने का अभियान चला रखा है . जहां तक बीजेपी का सवाल है उसके किसी भी राजनीतिक रुख से केंद्र सरकार की स्थिरता और लोकसभा के चुनाव पर कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला है . लेकिन यू पी ए में शामिल राजनीतिक पार्टियों के आज के रुख से बिलकुल साफ़ संकेत मिल रहा है कि डॉ मनमोहन सिंह की सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गयी है . केंद्र सरकार में कांग्रेस सबसे बड़ा दल है लेकिन सरकार बनी रहने में अंदर से समर्थन दे रही तृणमूल कांग्रेस और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम का योगदान सबसे ज्यादा है . सरकार में शामिल बाकी राजनीतिक पार्टियों की संख्या बहुत मामूली है . आज पहली बार डी एम के और तृणमूल कांग्रेस ने सरकार की महंगाई रोक सकने की नीति की सख्त आलोचना की . बाहर से समर्थन दे रही दो बड़ी पार्टियों,बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी , ने भी आज कांग्रेस की आम आदमी विरोधी नीतियों का ज़बरदस्त विरोध किया. बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की आर्थिक नीतियों की जमकर आलोचना की और साफ़ कर दिया कि अगर सरकार पर बुरा वक़्त आता है तो यह पार्टियां कांग्रेस के संकटमोचक के रूप में नहीं खडी होंगीं. हालांकि अब तक ऐसे कई मौके आये हैं जब इन दोनों पार्टियों ने केंद्र सरकार को तृणमूल और डी एम के की मनमानी से बच निकलने में मदद की है लेकिन इस बार लगता है कि अब कोई भी पार्टी कांग्रेस का साथ देने को तैयार नहीं है ,कम से कम आज दिल्ली में राजनीतिक गलियारों से तो यह साफ़ नज़र आ रहा है. आज दिल्ली में चारों तरफ से मनमोहन सिंह की सरकार की निंदा की आवाजें उठ रही हैं .
यू पी ए सरकार की सबसे ज्यादा कड़ी आलोचना पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों के सवाल पर हो रही है .बीजेपी ने आरोप लगाया है कि यू पी ए के सात साल के शासनकाल में पेट्रोल की कीमतों में २५ रूपये की वृद्धि हुई है . बीजेपी के प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन ने बताया कि जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कांग्रेस की अगुवाई वाली मनमोहन सरकार को चार्ज दिया था तो पेट्रोल की कीमत ४० रूपये से भी कम थी जबकि अब अवह सत्तर पार कर गयी है . बीजेपी ने मांग की है कि सरकार को फ़ौरन पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतें वापस लेनी होंगीं .अगर ऐसा न हुआ तो पूरे देश में आन्दोलन शुरू कर दिया जाएगा. किसी भी विपक्षी पार्टी के लिए आम आदमी के खिलाफ खडी किसी भी सरकार को घेरने का यह बेहतरीन मौक़ा है और बीजेपी उसका इस्तेमाल कर रही है . सरकार की परेशानी तृणमूल कांग्रेस के रुख से है . उसने मांग कर डी है कि पेट्रोल के बढे हुए दाम फ़ौरन वापस लिए जाएं . तृणमूल कांग्रेस के नेता और रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने आज एक प्रेस कानफरेंस में कहा कि सरकार ने पेट्रोल की कीमतें बढाने के पहले उनकी पार्टी से सलाह नहीं किया था. तृणमूल कांग्रेस की नाराज़गी केंद्र सरकार के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर सकती है . मनमोहन सिंह की सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मोहन सिंह ने कहा कि पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि का कोई आर्थिक कारण नहीं है . यह शुद्ध रूप से भ्रष्टाचार के कारण हुआ है . उन्होंने आरोप लगाया भ्रष्टाचार और महंगाई दोनों का बहुत करीबी साथ है . केंद्र की सरकार भ्रष्ट है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है . ज़खीरेबाज़ और बड़े पूंजीपति सरकार को पाल रहे हैं और वे ही सरकार की लचर नीतियों का फायदा उठाकर हर चीज़ के दाम बढ़ा रहे हैं . और सरकार मुनाफाखोरों के साथ खडी है . केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की कोई दिशा नहीं है . सब कुछ आकस्मिक तरीके से हो रहा है . इस लिए मंहगाई बढ़ रही है .
पेट्रोल और खाने की चीज़ों की बढ़ती कीमतों के बाद आज केंद्र सरकार के मातहत काम करने वाले रिज़र्व बैंक ने भी मध्य वर्ग को झकझोर दिया . आज ही ब्याज दर में वृद्धि की घोषणा कर दी गयी . अब मकान , कार ओर स्कूटर के लिए लिया गया क़र्ज़ और महंगा हो गया . यह खबर टेलिविज़न पर लगातार दिखाई जा रही है जिसके चलते लगता है कि केंद्र सरकार और उसके मध्यवर्गीय समर्थक और भी दबाव में आ जायेगें
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