शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली ,१३ सितंबर. नक्सल प्रभावित जिलों के कलेक्टरों की बैठक में प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि मुश्किल इलाकोंमें काम करने वालों को हर हाल में सुरक्षा दी जानी चाहिए . उन इलाकों में रहने वालों को नाक्साली हिंसा से बचाने के लिए हर कारगर उपाय किया जाना चाहिए. इसके पहले इसी वर्कशाप में गृह मंत्री ने नक्सल प्रभावित इलाकों में कानून व्यवस्था को पूरी तरह से राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी बताया और कहा कि केंद्र सरकार की भूमिका केवल राज्य सरकार की कोशिश में सहयोग करने तक ही सीमित है . लेकिन प्रधान मंत्री की बात उनसे अलग थी. लगता है कि प्रधान मंत्री ने गृह मंत्री की बात को सुधारने की कोशिश की . बहर हाल केंद्र सरकार के सर्वोच्च स्तर पर नक्सली हिंसा को हल करने के तरीकों में मतभेद सामने आ गए. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना ( मनरेगा ) की मजदूरी लाभार्थी को सही तरीके से मिल सके. इसके लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में बैंको की शाखाओं की कमी को आड़े नहीं आने दिया जायेगा . उन्होंने सुझाव दिया कि बैंकों की शाखाओं को पुलिस तानों में खोला जा सकता है . नीचे की मंजिल पर थाना रहे और पहली मंजिल पर बैंक की ब्रांच खोल दी जाए. ऐसा करने से बैंकों की सुरक्षा के लिए अलग से व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी. लेकिन केवल सुरक्षा बलों के सहारे ही देश के सबसे पिछड़े इलाकों का विकास करने की कोशिश को प्रधान मंत्री ने सहे एनाहेने ठहर्या. उन्होंने कहा कि इन इलाकों में रहने वाले लोग तथाकथित विकास की प्रक्रिया से बिलकुल अलग थलग पड़ गए हैं . उनको लगता है कि विकास का जो भी काम हो रहा है उसमें उनका कोई योगदान नहीं है. प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि जब तक नक्सल प्रभावित इलाकों के लोगों को विकास के काम में भागीदार बनाने की ज़रुरत है .
प्रधान मंत्री ने कहा कि जब तक प्रशासन ज़मीनी सच्चाई से मुक़ाबिल नहीं होगा तब तक विकास की गाडी बेढंगी ही रहेगी. उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रभावी हस्तक्षेप के ज़रिये विकास के काम में लोगों की भागीदारी का एक मेकनिज्म तैयार किया जा सकता है . इसी सम्मलेन में सड़क और परिवहन मंत्री डॉ सी पी जोशी ने कहा कि आदिवासी इलाके के लोगों में सरकार के प्रति भरोसा नईं है . उसको ठीक किये बिना कोई भी काम नहीं हो सकेगा.जब तक लोग यह नहीं महसूस करेगें कि वे इलाके में हो रहे सारे काम में हिस्सेदार के रूप में शामिल हो रहे हैं तब तक उनका विश्वास नहीं हासिल किया जा सकता .. प्रधान मंत्री ने भी इस बात को सही बताया और कलेक्टरों से कहा कि आप का काम लोगों हर नए विकास कार्य में शामिल होने के लिए राजी करना है लेकिन जब तक आप सच्चे मन से कोई काम नहीं करेगें आपकी विश्वसनीयता कभी नहीं बनेगी.
दिनमें वर्कशाप में कुछ कलेक्टरों ने अपने जिले की बात भी रखी . उत्तर प्रदेश का केवल एक जिला, सोनभद्र नक्सल प्रभावित इलाका है . वहां के कलेक्टर विजय विश्वास पन्त ने भी अपने ज़िले की समस्याओं का ज़िक्र किया . बैठक में ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश दिन भर जमे रहे . उन्होंने ऐसे कुछ नियमों को बदल देने की दिशा में पहल की जिनकी वजह मनरेगा और प्रधान मंत्री ग्राम सड़क परियोजना के काम में बाधा आती है . प्रधान मंत्री ग्राम सड़क परियोजना में छोटे पुलों को भी शामिल करने के सुझाव को उन्होंने लगभग मंज़ूर कर लिया. और सुझाव दिया कि प्रेफैब पुलों क इस्तेमाल किया जाना चाहिए . मुकामी दादा टाइप ठेकेदारों से बचने के लिए ई टेंडरिंग की व्यवस्था में कुछ ढीले देने के सुझाव को भी उन्होंने विचार करने के लिए स्वीकार किया . ग्रामेने विकास मंत्री ने घोषित किया कि जंगल में पैदा होने वाली १२ जिन्सें अब केंद्र सरकार की सरकारी खरीद योजना में शामिल कर ली जायेगीं . जिसका लाभ आदिवासी इलाकों में रहने वाले लोगों को होगा
No comments:
Post a Comment