शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली,२१ सितम्बर.बीजेपी ने आज सरकार के उस हलफनामे की सख्त निंदा की जिसमें कथित रूप से गरीबों की संख्या घटाने की साज़िश की गयी है . बीजेपी ने एक बयान जारी करके कहा कि यह उस गरीब व्यक्ति का अपमान है जो बढ़ती मंहगाई और भ्रष्टाचार का शिकार हो रहा है.गरीब को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के बजाय सरकार ने तथ्य को नकारने और गरीब व्यक्तियों की संख्या छिपाने का रास्ता चुना यह गरीबी दूर करना नहीं बल्कि गरीब को गरीब न मानना है. बीजेपी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू पी ए सरकार के इस गरीब विरोधी रवैये का सभी उपलब्ध मंचों पर विरोध करेगी. हालांकि कांग्रेस ने इस हलफनामे को अंतिम सत्य मानने से इनकार कर दिया और कहा कि योजना आयोग के पास इस मामले में सुझाव दिए जायेगें . कांग्रेस का दावा है कि यह सुझाव कोई भी दे सकता है . एक सीधे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी भी योजना आयोग को सकारात्मक सुझाव देगी.लगता है कि अर्थशात्र के विद्वान् योजना आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने कांग्रेस के पार्टी से गरीबी की रेखा की परिभाषा तय करने के पहले हरी झंडी नहीं ली थी.
योजना आयोग ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करके कहा था कि देश के शहरी इलाकों में रह रहे लोग अगर ९६५ रूपये प्रति माह अपने परिवार के रख रखाव पर खर्च करते हैं तो वे गरीबी रेखा कि उपर मानेजायेगें जबकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले पारिवारों के पास अगर ७८१ रूपये खर्च करने के लिए उपलब्ध है तो वे गरीब नहीं माने जायेगें. बीजेपी का कहना है कि यह सरकार की गैर ज़िम्मेदार कोशिश है . बीजेपी का दावा है कि यह दिमागी दिवालियापन है और इस प्रकार का हलफनामा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की विफलता का प्रतीक है .
खाद्य सुरक्षा का कानून बनाकर गरीब आदमी के बीच लोकप्रिय बनने की कोशिश कर रही कांग्रेस के लिए योजना आयोग़ का यह हलफ़नामा बहुत मुश्किलें पैदा कर रहा है . आज जब कांग्रेस प्रवक्ता से इस बारे में जब सवाल किया गया तो तो उन्होंने साफ़ कहा कि अभी इस हलफनामे में सुधार किया जायेगा . हालांकि बात को बहुत घुमावदार तरीके से पेश किया गया लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता की बात से साफ़ था कि योजना आयोग ने उसके लिए मुश्किल पेश कर दी है . उनका कहना है कि बहुत ही सोच विचार के बाद यह आंकड़े उपलब्ध हुए हैं और योजना आयोग के बहुत ही काबिल लोगों ने इस हलफ नामे पर काम किया है . इसलिए इस पर सोच विचार के बाद कोई फैसला लिया जायेगा. कांगेस के सूत्रों का दावा है कि यह हलफनामा पार्टी को मुश्किल में डालने वाला है और बिना राजनीतिक क्लियरेंस के इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया गया है .
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