Thursday, November 26, 2020

मसूद अजहर और जैशे-मुहम्मद को तबाह करना दुनिया और भारत के लिए ज़रूरी काम है .


 

शेष नारायण सिंह

 

19 नवम्बर को जम्मू के पास नगरोटा में  भारत के सुरक्षाकर्मियों ने चार आतंकियों को मौत के घाट उतर दिया . वे चारों जम्मू-कश्मीर में चल रहे जिला  विकास परिषद के चुनाव में खलल पैदा करना चाहते थे . पता चला है कि वे  चारों हमलावर पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैशे मुहम्मद से ताल्लुक रखते थे . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस बात की जानकारी दी और  विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने  दिल्ली में तैनात पाकिस्तानी उच्चायोग के एक बड़े अफसर को बुलाकर विरोध दर्ज  कराया और उसको सख्त भाषा में चेतावनी दी.  विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने खुद कमान संभल रखा है और दुनिया के बाकी देशों के राजदूतों को पाकिस्तान की इस करतूत की जानकारी दे रहे हैं . आतंकियों के पास से जो  हथियार,दवाएं और खाने पीने की चीज़ें बरामद हुई हैं वे सभी  पाकिस्तान की हैं .  दुनिया को यह बताने की कोशिश की जा रही है कि उन्नीस नवम्बर की घटना कोई इकलौती घटना नहीं है . पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों ,खासकर जैशे मुहम्मद ने इसी साल   जम्मू-कश्मीर में करीब दो सौ वारदातें की हैं . जैशे मुहम्मद का सरगना मसूद अजहर है  जो भारत को तबाह करने का संकल्प ले चुका है . उसके तालिबान और अल-कायदा से सम्बन्ध हैं और उसका संगठन संयुक्त राष्ट्र  द्वारा घोषित खतरनाक आतंकवादी संगठन है . हालाँकि  पाकिस्तान नहीं चाहता था कि उसको आतंकवादी घोषित किए जाए क्योंकि मसूद अजहर पाकिस्तानी विदेश के आतंकवादी   शाखा का बहुत ही महत्वपूर्ण सदस्य है . जब पूरी दुनिया के सभ्य  देश मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकवादी घोषित करना चाहते और संयुक्त राष्ट्र  सुरक्षा पारिषद में  एक प्रस्ताव लाया गया था तो  अमरीका , फ्रांस और ब्रिटेन ने इसकी पैरवी कर रहे थे लेकिन चीन ने पाकिस्तान के निवेदन के बाद प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया और मसूद अजहर एक बार फिर बच निकला था  . मसूद अजहर का संगठन जैशे-मुहम्मद  पहले  ही प्रतिबंधित संगठनों की लिस्ट में मौजूद है .

मसूद अजहर  बहुत ही खतरनाक आतंकवादी है .  वह मसूद अजहर ही है जिसने भारत की संसद  पर  आतंकवादी हमले की साज़िश रची थी . उरी ,पुलवामा और पठानकोट हमले  भी उसी ने करवाए थे . मसूद अजहर १९९४ में कश्मीर आया था जहां उसको गिरफ्तार कर लिया गया था .  उसको रिहा करवाने के लिए  अल फरान नाम के एक आतंकी  गिरोह ने कुछ सैलानियों का  अपहरण कर लिया था लेकिन नाकाम रहे. बाद में उसके भाई की अगुवाई  में आतंकवादियों ने नेपाल  से दिल्ली आ रहे   भारत की सरकारी विमान कंपनी इन्डियन  एयरलाइन्स के एक  विमान को हाइजैक करके कंदहार में उतारा और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को मजबूर कर दिया कि   उसको रिहा करें. उस दौर के विदेशमंत्री जसवंत सिंह मसूद अज़हर सहित कुछ और आतंकवादियों को लेकर कंदहार गए और विमान और यात्रियों को वापस लाये . और इस तरह मसूद अजहर जेल से छूटने में सफल रहा .

भारत की जेल से छूटने के बाद से ही मसूद अजहर भारत को  तबाह करने के  सपने पाले हुये है. जहां तक भारत को तबाह करने की बात  हैवह सपना तो कभी नहीं पूरा होगा लेकिन इस मुहिम में पाकिस्तान तबाही के कगार  पर  पंहुंच गया है .आज पाकिस्तान अपने ही पैदा किये हुए आतंकवाद का शिकार हो रहा  है.पाकिस्तान के शासकों ने उसको तबाही के रास्ते पर डाल दिया   है. आज बलोचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ ज़बरदस्त आन्दोलन चल रहा है .सिंध  में भी पंजाबी आधिपत्य वाली केंद्रीय हुकूमत और फौज से बड़ी नाराजगी  है. इन  हालात में पाकिस्तान को एक राष्ट्र के रूप में बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी वहां के सभ्य समाज और  जनतंत्र की पक्षधर जमातों की है. हालांकि इन दिनों पाकिस्तान में जनतंत्र की पक्षधर जमातें बहुत कमज़ोर पड़ गयी हैं . प्रधानमंत्री इमरान खान तो पूरी तरह फौज के कंट्रोल में है लेकिन उनके विरोध में  सक्रिय लोग भी जब भी सत्ता में रहे फौज की गुलामी ही करते रहे थे .नवाज़ शरीफ की पार्टी की कमान आजकल उनकी बेटी  मरियम संभाल रही हैं और भुट्टो परिवार की पार्टी की लगाम बेनजीर भुट्टो के   बेटे  बिलावल के हाथ में है . आज  पाकिस्तान की छवि बाकी दुनिया में एक असफल राष्ट्र की बन चुकी है . पाकिस्तान में लोकतंत्र तो खैर ख़त्म ही है लेकिन एक देश के रूप में उसका बचे रहना बहुत ज़रूरी है लेकिन  गैरजिम्मेदार पाकिस्तानी शासकों ने इसकी गुंजाइश बहुत कम छोडी है.

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे पाकिस्तान में आतंकवादियों का इतना दबदबा कैसे हुआ ,यह समझना कोई मुश्किल नहीं है . पाकिस्तान की आज़ादी के कई साल बाद तक वहां संविधान नहीं तैयार किया जा सका.  पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की बहुत जल्दी मौत हो गयी और सहारनपुर से गए और नए देश प्रधानमंत्री लियाक़त अली को क़त्ल कर दिया गया . उसके बाद वहां धार्मिक और फौजी लोगों की  ताकत बढ़ने लगी .नतीजा यह हुआ कि आगे चलकर जब  संविधान बना  भी तो फौज देश की राजनीतिक सत्ता पर कंट्रोल कर चुकी थी. उसके साथ साथ धार्मिक जमातों का प्रभाव बहुत तेज़ी से बढ़ रहा था. पाकिस्तान के इतिहास में एक मुकाम यह भी आया कि सरकार के मुखिया को  नए देश  को इस्लामी राज्य घोषित करना  पड़ा. पाकिस्तान में अब तक चार फौजी तानाशाह हुकूमत कर चुके हैं लेकिन पाकिस्तानी समाज और राज्य का सबसे बड़ा  नुक्सान जनरल जिया-उल-हक  ने किया . उन्होंने पाकिस्तान में फौज और धार्मिक अतिवादी गठजोड़ कायम किया जिसका  खामियाजा पाकिस्तानी  समाज और राजनीति आजतक झेल रहा है . पाकिस्तान में सक्रिय सबसे बड़ा आतंकवादी हाफ़िज़ सईद जनरल जिया की ही पैदावार है . हाफ़िज़ सईद तो मिस्र के काहिरा विश्वविद्यालय में  दीनियात ( धार्मिक शिक्षा )  का   मास्टर था . उसको वहां से लाकर जिया ने अपना धार्मिक सलाहकार नियुक्त किया . धार्मिक जमातों और फौज के बीच उसी ने सारी जुगलबंदी करवाई और आज आलम यह है कि दुनिया में कहीं भी आतंकवादी हमला हो ,शक की सुई सबसे पहले पाकिस्तान पर ही  जाती है . आज पकिस्तान  एक दहशतगर्द और असफल देश  है और आने वाले वक़्त में उसके अस्तित्व पर सवाल बार बार उठेगा. आजकल  हाफ़िज़ सईद किसी पाकिस्तानी जेल में बंद है . ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि एफ ए टी एफ का दबाव  है कि आतंकवादी फंडिंग पर कंट्रोल करो वरना काली सूची में डाल दिए जाओगे. इसी सख्ती से बचने के लिए हाफ़िज़ सईद को जेल में डाला गया  है . लेकिन उसको जेल में भी ऐशो आराम की सारी सुविधा मिल रही है . मसूद अजहर बाहर  है और  उसने भारत के जम्मू-कशमीर में आतंक फैलाने के लिए अपनी और आई एस आई की सारी ताकत झोंक रखी है .काश भारत ने मसूद अजहर को रिहा न किया होता .

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