Friday, July 27, 2018

जन्मदिन मुबारक ,डॉ एस बी सिंह

हमारे इलाके में ज्यादातर लोगों के दो जन्मदिन होते हैं . एक तो असली वाला जिसके बारे में घर वाले जानते हैं . मसलन मेरा जन्म बृहस्पतिवार को हुआ था. उस दिन सावन का अमावस था. बस मेरी मां ने इतना ही बताया था . बाबू ने उसमें अंग्रेज़ी तारिख के हिसाब को भी जोड़ दिया. बाबू बताते थे कि ज़मींदारी उन्मूलन के बाद और बडकी बाढ़ के पहले मेरा जन्म हुआ था . बड़की बाढ़ यानी १९५५ और जमींदारी उन्मूलन यानी १९५१ . जब स्कूल गया तो पंडित राम पाल पाण्डेय ने कोई एक तारीख लिख दी . जब मेरे बच्चे बड़े हुए तो उन्होंने मेरी और अपनी माता जी के सहयोग से असली तारीख पता किया .
यही चूक मुझसे हुई थी जब विश्व होम्योपैथी दिवस के दिन अपने अज़ीज़ दोस्त डॉ समर बहादुर सिंह ( डॉ एस बी सिंह ) के जन्मदिन की बधाई लिख दी थी . वास्तव में आज उनका जन्मदिन है . २८ जुलाई १९५३ के दिन जब इनका जन्म हुआ था तो बहुत खुशी मनाई गयी थी . इनके बड़के बाबू ने उन दिनों सुल्तानपुर जिले के सबसे नामी अल्हैत ,काली सहाय को तलब किया था और पूरा इलाका आल्हा सुनने के लिये आया था. उनके असली जन्मदिन पर आज फिर उसी लेख के कुछ हिस्से यहाँ नक़ल कर रहा हूँ. मुझे खुशी है कि इस डाक्टर के बारे में में जब भी लिखता हूँ तो मेरे कई दोस्त कुछ ऐसी बीमारियों की बात करते हैं जिनका कई कई साल से इलाज़ नहीं मिल पाया है और दिल्ली के नामी होम्योपथिक डाक्टर उनका खून पी रहे है . ऐसे दोस्तों को मैं डाक्टर एस बी सिंह साहब का फोन नम्बर देता हूँ, वे फोन पर ही दवा का नाम बता देते हैं और चर्म रोग का तो गारंटी के साथ इलाज हो जाता है . जो लोग होम्योपैथी के नाम पर लाखों खर्च कर चुके होते हैं उनको जब मुफ्त में इलाज़ मिलता है तो उनकी खुशी मैं भी महसूस कर लेता हूँ.
आज उन्हीं डाक्टर एस बी सिंह का असली जन्मदिन है . जन्मदिन मुबारक मेरे दोस्त , मेरी दुआ है कि तुम जियो हज़ारों साल क्योंकि तुम्हारी ज़िंदगी का हर दिन इंसानियत की खिदमत के लिए ही होता है .
मुझे गर्व है कि मैं तुम्हारा दोस्त हूँ. अजीब शख्स है यह बहमर पुर का लड़का.जब इस डाक्टर के बारे में सोचता हूँ तो लगता है कि यह लड़का भगीरथ का अवतार है . इन्होने कभी हिम्मत नहीं हारी. माँ बाप की जैसी सेवा इस इंसान ने की ,वह बहुत कम लोग कर पाते हैं . भाई,बहनों को अपने जिगर के टुकड़ों से ज़्यादा सम्मान दिया . जिस लडकी से शादी की उसको ही रम्भा,मेनका, लक्ष्मी सब कुछ माना और अब दोनों बूढ़े हो गए हैं लेकिन यह भाई जसी तरह से अपनी पत्नी के नखरे उठाता है ,वह बहुत कम लोग उठाते हैं. उनकी हर बात को मानते हैं . उसके बारे में फिर कभी लिखूंगा ,विस्तार से . डॉ एस बी सिंह ने अपने बच्चों के लिए अच्छी से अच्छी शिक्षा का बंदोबस्त किया . गाँव में जिसका भी दर्द दिखा उसको हर लेने की कोशिश करता रहा. लाजवाब इंसान है यह आदमी. होमियोपैथी की उच्च शिक्षा तो है ही, इलाहाबाद में रहते हुए एम ए और एल एल बी भी कर लिया . इनके पिता जी ने मुझे मिडिल स्कूल में अंग्रेज़ी पढ़ाया था . जब यह लड़का आठवीं पास हुआ तो इसको मेरे सुपर्द कर दिया . जौनपुर के तिलकधारी कालेज में यह मेरे वार्ड रहे . किताबी ज्ञान तो नहीं लेकिन मुझे गर्व है कि मैंने इनको आत्मनिर्भरता का पाठ विधिवत पढ़ाया . आज जब मैं इनको देखता हूँ तो खुशी होती है कि उसी पाठ का इस्तेमाल यह हमेशा करते रहे. जितने लोग भी इनको मिलते हैं ,इनके मुरीद हो जाते हैं . मेरी इच्छा है जब भी देश में बेहतरीन इंसान का ज़िक्र हो तो उनका ही नाम आये. मैं चाहता हूँ कि हर लडकी को उन जैसा ही पति मिले, मैं चाहता हूँ कि हर बच्चे को उन जैसा ही बाप मिले और मैं चाहता हूँ कि हर मुसीबतजदा इंसान को उन जैसा ही दोस्त मिले. डॉ एस बी सिंह इस देश के चोटी के होमियोपैथी के डाक्टर हैं , मेरी इच्छा है कि उनका नाम सबसे ऊपर के इंसानों में गिना जाए .

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