शेष नारायण सिंह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी का दौरा किया .उसके पहले उन्होंने आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उदघाटन किया और एक तरह से लोकसभा चुनाव २०१९ के प्रचार की शुरुआत कर दी. देश के सबसे बड़े अखबार ,दैनिक जागरण ने आज़मगढ़ की सभा की रिपोर्ट अपने वेबसाईट पर डाली है . अखबार लिखता है कि," परिवारवाद पर चोट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मोदी हो या योगी अब तो आप ही लोग हमारा परिवार हैं। आपके सपने हमारे सपने हैं।  मोदी ने कहा कि इन परिवार पार्टियों की पोल तो तीन तलाक ने खोल दी है। लाखों-कराड़ों मुस्लिम बहन-बेटियों की मांग थी कि तीन तलाक को बंद कराया जाए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने अखबार में पढ़ा, कांग्रेस श्रीनामदार ने कहा है कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है। पिछले दो दिनों से चर्चा चल रही है। मुझे आश्चर्य नहीं है। जब कांग्रेस की सरकार थी, तब पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर सबसे पहला हक मुस्लिमों का है। मैं तो अब श्रीनामदार से पूछना चाहता हूं, कांग्रेस पार्टी मुस्लिमों की पार्टी है, आपको ठीक लगे तो आपको मुबारक। लेकिन क्या आपकी मुस्लिमों की पार्टी सिर्फ पुरुषों की है या मुस्लिम महिलाओं तथा बहनों की भी है।प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कुछ दल पार्लियामेंट में कानून रोक कर बैठ जाते हैं। लगातार यह हो-हल्ला करते हैं। पार्लियामेंट नहीं चलने देते। मोदी को हटाने के लिए दिन-रात एक दिन करने वाली पार्टियों से कहना चाहता हूं कि अभी पार्लियामेंट शुरू होने में तीन-चार दिन बाकी हैं। तलाक पीडि़त महिलाओं से मिलकर आइए, हलाला के कारण परेशान मां-बहनों से मिलकर आइए तब पार्लियामेंट में बात कीजिए। जब भाजपा सरकार ने संसद में कानून लाकर मुस्लिम बहन-बेटियों को अधिकार देने की कोशिश की तो उसमें भी रोड़े अटकाने की कोशिश कर रहे हैं। यह चाहते हैं, तीन तलाक होता रहे मुस्लिम बहन बेटियों का जीवन नरक बनता रहे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं इन राजनीतिक दलों को समझाने की पूरी कोशिश करूंगा। उनको समझाकर हमारी बहन-बेटियों को अधिकार दिलाने के लिए उनको साथ लाने का प्रयास करूंगा। ताकि मुस्लिम बेटियों को तीन तलाक के कारण जो परेशानियां हो रही हैं, उससे मुक्ति मिल सके। "
जागरण की रिपोर्ट से बिलकुल साफ़ है कि लोकसभा के अगले चुनाव  में मुसलमान बड़ा मुद्दा बनने वाले हैं .  प्रधानमंत्री के आजमगढ़ के भाषण से ऐसा लगता है कि उनको संकेत मिल गया  है कि पिछले चार साल में जिस तरह से आपराधिक तत्वों ने मुसलमानों को मारा पीटा है ,उसके बाद उनकी पार्टी को मुसलमानों का वोट तो नहीं मिलने वाला है . प्रधानमंत्री ने इंक़लाब अखबार की उस खबर का ज़िक्र भी किया जिसका उनवान था कि ," हाँ, कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है " दर असल खबर यह थी कि राहुल गांधी ने कहा दानिश्वरों से मुलाक़ात के दौरान कहा था कि हम पर अपीजमेंट का आरोप लगता है तो लगे लेकिन अब मुसलमान भी इस देश में दूसरे दलित हो गए हैं इसलिए कांग्रेस मुसलमानों का साथ देगी और अगर कोई  कहता  है कि उनकी पार्टी मुसलमानों की पार्टी है तो जवाब  है कि  हाँ कांग्रेस मुसलमानों की र्टी है .प्रधानमंत्री ने इस खबर से यह अर्थ निकाल लिया कि कांग्रेस केवल मुसलमानों की पार्टी है . उनके प्रवक्ता और टीवी चैनल एक दिन पहले से ही इसी बात को प्रमुखता से चला रहे थे.  प्रधानमंत्री के बारे में कहा  जाता है कि वे  शिकस्त के मुंह से खींच कर  जीत निकाल लेते हैं .इसीलिये उन्होंने मुसलमानों की महिलाओं के रक्षक के रूप में अपने को पेश कर के हर मुसलमान के घर से कुछ  वोट निकाल लेने की रणनीति बना ली है . लगता है कि इस बार के चुनाव में विकास को बैकबर्नर पर डालने की तैयारी शुरू हो चुकी  है. ऐसा इसलिए है कि अखिलेश यादव ने कह दिया  है कि  मोदी-योगी की सरकार समाजवादी सरकार द्वारा  किये गए कामों का उदघाटन करके  वाहवाही लूटने की कोशिश कर रही  है ,खुद का कोई विकास नहीं किया है .
प्रधानमंत्री ने २०१४ का चुनाव नौजवानों के लिए नौकरी, महिलाओं की सुरक्षा , आर्थिक तरक्की , भ्रष्टाचार का खात्मा .लोकपाल की तैनाती जैसे मुद्दों के बारे में वायदा कर के लड़ा था. देश की जनता  ने उनका विश्वास किया और उनको वोट दिया . हालांकि उस चुनाव में भी मुज़फ्फरनगर के  दंगे का ज़िक्र उनकी पार्टी के  ज़्यादातर नेताओं ने किया था .  मुज़फ्फरनगर के  दंगे के बहुत सारे अभियुक्त बीजेपी के चुनाव प्रचार की अगली कतार में थे लेकिन चुनाव  में जीत नरेंद्र मोदी के आर्थिक विकास के नारे,किसानों की खुशहाली, महिलाओं की सुरक्षा ,पाकिस्तान  को दुरुस्त करने  और   नौजवानों की नौकरियों के वायदे की   वजह से मिली थी.   लेकिन पिछले  चार साल में ऐसा कुछ नहीं हुआ है जिसके बाद कोई भी कह सके कि  नौजवानों को नौकरियाँ मिली हैं . इसके उलटे सरकार और बीजेपी की तरफ से  नौकारियों की परिभाषा  ही बदलने की बात कर दी गयी . दावा किया गया कि  मुद्रा लोन जैसी स्कीमों से  बहुत नौकरियाँ मिल गयीं हैं . लेकिन जिसको नौकरी चाहिए वः इन बातों में नहीं आता . जब नोटबंदी की गयी थी तो दावा किया गया था अकि उसके बाद भ्रष्टाचार और आतंकवाद  ख़त्म हो जाएगा .लेकिन वह भी कहीं नज़र नहीं आ रहा है. आतंकवाद भी है बल्कि  हालात और बिगड़े हैं और  भ्रष्टाचार भी है . जब बीजेपी के प्रवक्ता और मंत्री टीवी पर दावा करते हैं  कि देश में  भ्रष्टाचार ख़त्म हो गया  है तो  पूरे देश में खबर देख रहा व्यक्ति केवल मुस्करा देता है क्योंकि भ्रष्टाचार कहीं कम नहीं हुआ है . नोटबंदी के बाद मौजूदा सरकार का एक बड़ा ऐतिहासिक क़दम था जी एस टी. उसके बाद महंगाई ख़त्म कारने का दावा किया गया था लेकिन वह भी नहीं हुआ . महंगाई तो रोज़ ही बढ़ रही है . जी एस टी से अगर कोई फायदा हो रहा  है तो बीजेपी वाले अब उसका ज़िक्र  नहीं करते . ज़ाहिर है उनको  मालूम है कि २०१४ के वायदों के ज़िक्र करना उतना उपयोगी  नहीं है .इसलिए इस बार के संकेतों से लगता है कि २०१९ का चुनाव  साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के मुद्दे पर लाने की तैयारी हो रही है .
२०१४ के चुनाव में बीजेपी   विरोधी पार्टियों ने अलग अलग चुनाव लड़कर बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों की जीत को आसान बना दिया था . लेकिन इस बार लगता है कि ऐसा नहीं होने जा रहा  है . अपने अपने प्रभाव के इलाकों में  क्षेत्रीय पार्टियां एकजुट होंगी और अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के लिए मुश्किल हो  जायेगी .  शायद इसीलिये पार्टी ने  धार्मिक मुद्दों को चुनाव का  विषय बनाने की कोशिश शुरू कर दी है .  यह तय है कि बीजेपी को इस बार २०१४ की तुलना में भारी चुनौती मिलेगी . इस बार वायदों पर नहीं,  काम पर वोट मिलेगा . अगर देश चौकन्ना रहा और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं हो सका तो सत्ताधारी पार्टी सवालों के घेरे में पूरी तरह से घिरी रहेगी .  
बीजेपी ने भी कांग्रेस के ऊपर हिन्दू-मुस्लिम विभाजन का आरोप लगाकर चुनावी माहौल को गरमाने की कोशिश शुरू कर दिया है .  बीजेपी के राष्ट्रीय मुख्यालय में प्रेस वार्ता में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि कांग्रेस खतरनाक सांप्रदायिक कार्ड खेल रही है..उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि  यदि आज से 2019 के बीच कुछ भी अप्रिय घटित होता है तो कांग्रेस पूरी तरह जिम्मेदार होगी. उन्होंने सवाल पूछा कि क्या कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है? उन्हें इस पर सफाई देनी चाहिए. राहुल गांधी को इस मुद्दे पर सामने आना चाहिए और बताना चाहिए कि मुस्लिम पार्टी से उनका क्या मतलब था." इसका  मतलब यह है कि अगर कुछ भी अप्रिय हुआ तो उसके लिए कांग्रेस को ज़िम्मेदार  ठहराने की पेशबंदी शुरू हो गयी है . इसका एक मतलब यह भी हुआ कि देश की अवाम के सब्र का भी २०१९ के चुनावों में  पूरी तरह से इम्तिहान होने  जा रहा है
 
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