शेष नारायण सिंह
समकालीन इतिहास का सबसे बड़ा अजूबा संजय गाँधी को माना जाना चाहिए . कभी स्व इंदिरा गाँधी उसके गुण गाया करती थीं और आजकल लालकृष्ण आडवानी उसको सही आदमी मानने लगे हैं जिन्हें उसने कभी जेल में ठूंस दिया था .संजय गाँधी करीब चालीस साल पहले भारतीय राजनीति के क्षितिज पर उभरे . अपनी माँ स्व इंदिरा गाँधी के चहेते बेटे संजय गाँधी की शुरुआती योजना यह थी कि उद्योग जगत में सफलता हासिल करने के बाद राजनीति का रुख किया जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ . मारुति लिमिटेड नाम की एक फैक्ट्री लगाकार उन्होंने कारोबार शुरू किया लेकिन बुरी तरह से असफल रहे. अटल बिहारी वाजपेयी, मधु लिमये , ज्योतिर्मय बसु , पीलू मोदी, जार्ज फर्नांडीज़ और हरि विष्णु कामथ के लोकसभा में दिए गए भाषणों से हमें मालूम हुआ कि संजय गाँधी को उद्योगपति बनाने के लिए बहुत से दलालों , चापलूसों, कांग्रेसियों और मुख्य मंत्रियों ने कोशिश की लेकिन संजय गाँधी उद्योग के क्षेत्र में बुरी तरह से फेल रहे . उसी दौर में दिल्ली के उस वक़्त के काकटेल सर्किट में सक्रिय लोगों ने उन्हें कमीशन खोरी के धंधे में लगा दिया . बाद में तो वे लगभग पूरी तरह से इन्हीं लोगों की सेवा में लगे रहे. शादी ब्याह भी हुआ और काम की तलाश में इंदिरा गाँधी के कुछ चेला टाइप अफसरों के सम्पर्क में आये और नेता बन गए. भारतीय राजनीति का सबसे काला अध्याय संजय गाँधी के साथ ही शुरू होता है. जब हर तरफ से फेल होकर संजय गाँधी ने देश की जनता का सब कुछ लूट लेने की योजना बनाई तो बड़े बड़े मुख्य मंत्री उनके दास बन गए . नारायण दत्त तिवारी, बंसी लाल आदि ऐसे मुख्य मंत्री थे जिनकी ख्याति संजय गाँधी के चपरासी से भी बदतर थी. न्यायपालिका संजय गाँधी की मनमानी में आड़े आने लगी. संजय गाँधी ने अपनी माँ को समझा कर इमरजेंसी लगवा दी और माँ बेटे दोनों ही इतिहास के डस्टबिन में पंहुच गए. कांग्रेस ने बार बार इमर्जेंसी की ज्यादतियों के लिए माफी मागी लेकिन इमरजेंसी को सही ठहराने से बाज़ नहीं आये . अब कांग्रेस के 125 पूरा करने के बाद इमरजेंसी को गलत कहते हुए कांग्रेस ने यह कहा है कि उसके लिए संजय गाँधी ज़िम्मेदार थे , इंदिरा गाँधी नहीं . जहां तक इमरजेंसी का सवाल है ,उसके लिए मुख्य रूप से इंदिरा गाँधी ही ज़िम्मेदार हैं और इतिहास यही मानेगा .कांग्रेस पार्टी की ओर से एक किताब छपवा देने से कांग्रेस बरी नहीं हो सकती . इमरजेंसी को लगवाने और उस दौर में अत्याचार करने के लिए संजय गाँधी इंदिरा से कम ज़िम्मेदार नहीं है लेकिन यह ज़िम्मेदारी उनकी अकेले की नहीं है . वे गुनाह में इंदिरा गाँधी के पार्टनर हैं .यह इतिहास का तथ्य है और इसकी जांच की अब कोई ज़रुरत नहीं है . अब इतिहास की फिर से व्याख्या करने की कोशिश न केवल हास्यास्पद है बल्कि अब्सर्ड भी है . कांग्रेस की इस कोशिश को मजाक के विषय के रूप में ही स्वीकार किया जाना चाहिये . लेकिन इस सारे नाटक में जो सबसे हास्यास्पद पहलू है वह बीजेपी की तरफ से आ रहा है . दुनिया जानती है कि जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन को उन प्रदेशों में ही सबसे ज्यादा ताक़त मिली जहां आर एस एस का संगठन मज़बूत था . आज की बीजेपी को उन दिनों जनसंघ के नाम से जाना जाता था. इमरजेंसी की प्रताड़ना के सबसे ज्यादा संख्या में शिकार आज की बीजेपी वाले ही हुए थे. अटल बिहारी वाजपेयी ,लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली जेल में थे . यह सज़ा उन्हें संजय गाँधी की कृपा से ही मिली थी. यह बात बिलकुल सच है और इसे कोई भी नहीं झुठला सकता . ताज्जुब इस बात पर होता है जब इनमें से कोई भी संजय गाँधी को धर्मात्मा बताने की कोशिश करता है . ऐसी कोशिश को अब्सर्ड का प्रहसन ही कहा जा सकता है . संजय गाँधी को पिछले दिनों इमरजेंसी की बदमाशी से बरी करने की कोशिश शुरू हो गयी है. सबसे अजीब बात यह है कि उस अभियान की अगुवाई इमरजेंसी के भुक्तभोगी, लालकृष्ण आडवानी ही कर रहे हैं . अपने ताज़ा बयान में श्री आडवाणी ने कहा है कि इमरजेंसी के लिए संजय गाँधी को बलि का बकरा बनाने की कोशिश की जा रही है ..आडवाणी कहते हैं कि , 'अपने मंत्रिमंडल या यहां तक कि अपने कानून मंत्री और गृहमंत्री से संपर्क किए बगैर उन्होंने [इंदिरा गांधी ने] लोकतंत्र को अनिश्चितकाल तक निलंबन में रखने के लिए राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद से अनुच्छेद 352 लगवाया।' उनका कहना है कि इंदिरा गांधी इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पचा नहीं पाईं और उन्होंने आपातकाल लगा दिया। इस फैसले में इंदिरा गांधी को चुनावी धांधली के लिए दोषी ठहराया गया था।आडवाणी ने कहा है, 'कांग्रेस पार्टी यह स्वीकार कर चुकी है कि आपातकाल के दौरान एक लाख से अधिक जेल में डाल दिए गए। जेल में डाले गए लोगों की संख्या एक लाख 10 हजार आठ सौ छह थी। उनमें से 34 हजार 988 आतंरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए लेकिन कैदी को उसका कोई आधार नहीं बताया गया। अजीब बात है कि अब लाल कृष्ण आडवानी इस सबके लिए संजय गाँधी को ज़िम्मेदार नहीं मानते . शायद इसलिए कि संजय गाँधी की पत्नी और बेटा उनकी पार्टी के सांसद हैं और संजय गाँधी का सबसे ख़ास लठैत , बीजेपी के राज में मंत्री रह चुका है
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