शेष नारायण सिंह
प्रियंका गांधी को कांग्रेस में
यह तो विधान सभा चुनाव वाले राज्यों का हाल है .अन्य  महत्वपूर्ण राज्यों में भी कांग्रेस ने जिस तरह से राजनीतिक प्रबंधन किया है वह तर्क पद्धति से समझ में नहीं आता. उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया जा सकता है . सबसे ज़्यादा सांसद लोकसभा में भेजने वाले राज्य में कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन का ज़िम्मा मधुसूदन मिस्त्री नाम के एक व्यक्ति को दे दिया गया है . राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री बना दिए गए थे जिनका अपने जिले में कोई प्रभाव नहीं है राज्य की बात तो बहुत दूर की कौड़ी है . १९८० से विधान सभा का हर चुनाव जीत रहे राज्य कांग्रेस के बड़े नेता और एक वर्ग के पत्रकारों के चहेते प्रमोद तिवारी को कोई  भूमिका नहीं दी गयी तो उन्होने  मुलायम सिंह यादव की टीम की तरफ क़दम  बढ़ाना शुरू कर दिया . आज वे मुलायम सिंह यादव की कृपा से राज्य सभा के सदस्य हैं .नतीजा यह  है कि आज उत्तर प्रदेश  में जो कांग्रेसी बच गए हैं वे भारी कन्फ्यूज़न के शिकार हैं . सबसे बड़ा कन्फ्यूज़न तो राज्य में कांग्रेस के इंचार्ज महासचिव मधुसूदन मिस्त्री को लेकर ही है . उनके बारे में तरह तरह की बातें सुनने में आती  हैं . बताया जाता है कि वे एन  जी ओ सर्किट से आते हैं ,  राहुल जी की टीम में जो हारवर्ड विश्वाविद्यालय से आये हुए लोग हैं ,उनके ख़ास बन्दे हैं . दूसरी चर्चा यह है कि वे नरेंद्र मोदी के पुराने साथी हैं , उनके साथ गुजरात में काम कर चुके हैं और नरेंद्र मोदी के ख़ास कृपापात्र हैं . एक अफवाह यह भी है की मिस्त्री जी ने ही नरेंद्र मोदी की शुरुआती राजनीति को सम्भाला था और आज मोदी कहाँ से कहाँ पंहुंच गए. उनसे राहुल जी को उम्मीद है की वे उत्तर प्रदेश में भी वही कर दिखायेगें  जो उन्होंने मोदी जी के लिये गुजरात में किया था . इस बात की पूरी संभावना है कि इन बातों में कोई भी बात सच न हो लेकिन अगर उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी सर्किल में इस तरह की बातें चल रही हैं तो यह कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं है .
कांग्रेस की इस दुर्दशा के बीच में अब प्रियंका गांधी को प्रचार की ज़िम्मेदारी देने की योजना बनायी जा रही है .इस बात में दो राय नहीं है कि प्रियंका गांधी जवाहरलाल नेहरू की मौजूदा पीढ़ी की सबसे करिश्माई नेता हैं . उनके भाई राहुल गांधी की  राजनीतिक प्रबंधन की योग्यता का नतीजा दुनिया के सामने है ,उनके चचेरे भाई वरुण गांधी की ख्याति भी एक ऐसे व्यक्ति की बन गयी है जो कई बार ऐसे बयान दे देते हैं  जिसके कारण उनको जेल की हवा खानी पड़ती है . कुछ लोगों के हाथ  काटने की धमकी और साम्प्रदायिक विद्वेष फ़ैलाने के मुक़दमों का तजुर्बा उनको है .  इंदिरा गांधी की तीसरी पीढ़ी के तीनों ही लोगों में प्रियंका गांधी का व्यक्तित्व सबसे ज़्यादा  स्वीकार्य माना जाता है लेकिन जब वे खुले आम चुनाव मैदान में आयेगीं, बीजेपी और आम आदमी पार्टी की जीत के आड़े आ रही  होंगीं तो उनको खासी परेशानियों का सामना करना पडेगा . सामान्य राजनातिक समझ का तकाज़ा है कि आम आदमी पार्टी के कुमार विशवास और ही बीजेपी की मीनाक्षी लेखी  उनके परिवार की सारी कारस्तानियों का वर्णन  करेगें . उनके पति राबर्ट वाड्रा की राजस्थान में खरीदी गयी  ज़मीनों का विषद विवेचन होगा  और बीजेपी की मौजूदा सरकार उस प्रकरण में हो रही जांच को या तो सार्वजनिक रूप से और या अखबारों में लीक करके राजनीति के अखाड़े में डालेगी . ज़ाहिर है कि  यह प्रियंका गांधी के लिए बहुत ही उपयोगी नहीं होगा. इसलिए कामनसेंस का तकाजा  है  की प्रियंका गांधी की पूरे देश में सक्रियता से कांग्रेस को कोई बहुत फायदा नहीं होने वाला है . हाँ यह पक्के तौर  पर कहा जा सकता है कि  अब से मई तक राजनीतिक परिदृश्य बहुत ही दिलचस्प बना रहेगा क्योंकि आम आदमी वाले दिल्ली सरकार के ज़रिये कांग्रेस और बीजेपी के भ्रष्टाचार की कहानियाँ पब्लिक डोमेन में डालते रहेगें, स्नूप्गेट की केंद्र सरकार की जांच की प्रगति से वे बातें पब्लिक डोमेन में लीक होती रहेगीं जिनसे कांग्रेस की सरकार यह साबित कर सके कि नरेंद्र मोदी के ख़ास सिपहसलार ,अमित शाह के साहेब किस तरह के इंसान हैं और किसी लडकी का पीछा किस हद तक करवा सकते हैं .
कुल मिलाकर प्रियंका गांधी के बड़े पैमाने पर राजनीति में सक्रिय होने से राजनीतिक माहौल बिलकुल एक नयी पिच पर पंहुच जाएगा और उम्मीद की जानी चाहिये कि  २०१४ का चुनाव बहुत ही दिलचस्प होगा .
 
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