Tuesday, April 2, 2013

लोकसभा चुनाव २०१४ के पहले नहीं होगें



शेष नारायण सिंह

मुंबई,१ अप्रैल. ममता बनर्जी और करूणानिधि की पार्टियों की समर्थन वापसी के बाद केन्द्र सरकार कमज़ोर पडी थी. लेकिन उसको गिरने से बचाने में उत्तर प्रदेश की दो  पार्टियों ,समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ,ने भूमिका निभाई और सरकार सही सलामत है . दिल्ली में रहने वाले राजनीतिक विश्लेषकों ने ऐसा माहौल बना रखा है कि २०१३ में ही हो जायेगें. यह काम कोई नया नहीं है . जब २००४ में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे  , तब से ही लाल कृष्ण आडवानी ने उनको कमज़ोर प्रधानमंत्री कहना शुरू किया था और लाल कृष्ण आडवानी को बहुत ही महान  नेता मानने वाले राजनीतिक विश्लेषकों ने साल भर के अंदर चुनाव की भविष्यवाणी करना शुरू कर दिया था . वे लोग गलत साबित हुए जब मनमोहन सिंह ने अपना पहला कार्यकाल पूरा किया और अब दूसरा कार्यकाल पूरा करने वाले हैं लेकिन लोकसभा का कोई भी चुनाव समय से पहले नहीं हुआ. इस बार भी चुनाव समय से पहले नहीं होगा . यह अलग बात है कि जब से उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनी है तब से ही आडवानी समर्थक और आडवानी विरोधी विश्लेषक कहते पाए जाते हैं कि बस अब चुनाव होने ही वाला है . राजनीतिक हालात ऐसे हैं कि ऐसा कुछ नहीं होगा . अब तो लगता है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी ऐसी हालत नहीं पैदा कर सकती कि लोकसभा चुनाव समय से पहले हो . अब कोई भी पार्टी कांग्रेस को चुनाव करवाने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है केवल कांग्रेस चाहे तो चुनाव समय से पहले करवा सकती है लेकिन अब तक की राजनीतिक स्थिति ऐसी है जिसमें कांग्रेस किसी भी हाल में समय से पहले चुनाव नहीं करवायेगी क्योंकि टर्की पक्षी कभी भी क्रिसमस के जल्दी आने की दुआ नहीं करता.

ममता बनर्जी तो चाहती हैं कि चुनाव जल्द से जल्द हो जाए लेकिन  उनकी राजनीतिक हैसियत यह नहीं है कि वे चुनाव  करवाने के लिए कांग्रेस को मजबूर कर सकें. हालांकि इसी मुगालते में उन्होने यू पी ए से समर्थन वापस लिया था लेकिन बी एस पी और समाजवादी पार्टी ने सरकार को समर्थन देकर समर्थक सांसदों की संख्या  २८० के पार पंहुचा दी . पिछले दिनों डी एम के ने समर्थन वापसी का नाटक किया है लेकिन वह शुद्ध रूप से नाटक ही लगता है क्योंकि तमिल भावनाओं को  राजनीतिक हित के लिए भुनाने के उद्देश्य से वापस  लिया गया समर्थन सरकार को गिराने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जायेगा . करूणानिधि को मालूम है कि अगर उन्होंने केन्द्र की सरकार को नाराज़ कर दिया तो उनके लिए तमिलनाडु की मुख्य मंत्री जी बहुत सारी परेशानियां पैदा कर देगीं . करूणानिधि ने मीडिया को बता भी दिया कि वे सरकार को गिराने नहीं जा रहे हैं . उसी तरह से उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती किसी भी हालत में यू पी ए को नाराज़  नहीं करने वाली हैं क्योंकि अगर केन्द्र सरकार भी उनके खिलाफ हो गयी तो उत्तर प्रदेश में स्थापित मौजूदा सरकार उनकी मूर्तियों को ज़मींदोज़ कर सकती है  और यह यह उनके लिए बहुत सारी मुश्किलें पैदा कर देगा .मुलायम सिंह यादव ने भी कांग्रेस को धोखेबाज़ और ठग तक कह दिया लेकिन जब समर्थन वापसी की  बात आयी तो उन्होने कह दिया कि अगर वे केन्द्र की सरकार को गिराते हैं तो साम्प्रदायिक ताक़तों को मजबूती मिलेगी और वे साम्प्रदायिकता को कभी मज़बूत नहीं होने देगें. वैसे यह भी सच है  कि अगर मुलायम सिंह यादव आज सरकार को समर्थन देना बंद कर दें तो भी चुनाव समय पर  होंगें क्योंकि उनके हटने के बाद भी यू पी ए के समर्थन में २५९ सांसद रहेगें और बीजेपी की राजनीतिक हैसियत अभी ऐसे नहीं है कि लोकसभा में वह आविशास प्रस्ताव लाकर २६० सदस्यों का समर्थन जुटा ले . इसलिए मुलायम सिंह यादव सरकार के साथ रहें या खिलाफ ,सरकार नहीं गिरेगी और चुनाव समय से ही  होंगें .

किसी अखबार में कहीं  छप गया है कि चुनाव समय से पहले होंगें और कांग्रेस ही चुनाव करवायेगी . किसी विश्लेषक ने यह ज्ञान दे  दिया और इस पर भी चर्चा चल पडी लेकिन इस बात में कोई दम नहीं है . केन्द्र सरकार ने इस साल पहली जनवरी को “ आपका पैसा आपके हाथ “ स्कीम का उदघाटन किया  है . कांग्रेस पार्टी को विश्वास  है कि यह स्कीम ठीक उसी तरह से कांग्रेस को लाभ पंहुचायेगी जिस तरह से किसानों की कर्ज माफी और मनरेगा ने पिछले चुनावों में पंहुचाया था . केन्द्र सरकार योजना है कि इस साल के अंत तक यह स्कीम पूरे भारत में लागू कर दी जायेगी . सारे देश में बैंक की शाखाएं खोली जा रही हैं और स्टेट बैंक के अधिकारी लाभार्थियों के अकाउंट खोल रहे हैं . लाभार्थियों की सूची में अभी छात्रवृत्तियां और वृद्धावस्था पेंशन आदि पाने वालों  का नाम है . बाद में इसका विस्तार होगा जब इस स्कीम की योजना कांग्रेस पार्टी और सरकार के स्तर पर बतायी गयी थी तो राहुल गांधी ने अपने जिला स्तर के पदाधिकारियों को बुलाकर इसका लाभ लेने की हिदायत दी थी और ग्रामीण विकास मंत्री ने इसको गेम चेंजर कहा था . इस योजना का असर धीरे धीरे पडेगा और मार्च अप्रैल में जब चुनाव होंगें  तो देश में ऐसे लाभार्थियों के बड़ी संख्या होगी जो कांग्रेस  के नेतृत्व वाली सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर वाली योजना का लाभ उठा चुके होगें . काँग्रेस को उम्मीद है कि  इस योजना का लाभ उठाने वाले लोग  चुनाव नतीजों पर प्रभाव डालेगें और लोकसभा २०१४ में भी उसको २००४ और २००९ की तरह सरकार बनाने लायक संख्या मिल जायेगी .इसलिए यह कहना कि कांग्रेस ही जल्दी चुनाव करवाना चाहती है बिलकुल गैरजिम्मेदार पत्रकारिता है .  

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