Wednesday, October 21, 2020

पाकिस्तान में गृहयुद्ध के हालात बन रहे हैं


 

शेष नारायण सिंह

 

पाकिस्तान की हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं . लगने लगा है कि वहां गृह युद्ध  जैसी स्थिति पैदा होने वाली है .18 अक्टूबर के दिन  सेना ने कराची पुलिस के आई जी, मुश्ताक महार  को अगवा करके जिस तरह से परेशान किया उसके बाद तो ऐसा लगा कि सेना और  पुलिस आमने सामने आ गए हैं .कराची पुलिस ने आरोप लगाया कि  पाकिस्तानी फौज के अफसरों ने उनके आई जी को गिरफ्तार किया और पता नहीं कहाँ ले गए . बाद में पता चला कि उनके ऊपर तरह तरह के दबाव डाले गए कि कराची शहर में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ होने वाली रैली में शामिल हो रही नवाज़ शरीफ की पार्टी की उपधाक्ष मरियम नवाज़ को  गिरफ्तार कर लिया जाए.  पाकिस्तान में वहां की फौज का हुक्म न मानने वाला बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ सकता  है . पुलिस के आला अफसर के साथ वही हुआ. नाराज़ होकर उन्होंने छुट्टी की दरखास्त  दे दी . उनके साथ ही पुलिस के कई बड़े  अफसरों ने छुट्टी की लिए अर्जी लगा दी . कराची  देश का सबसे बड़ा व्यापारिक शहर है  .वह सिंध की राजधानी भी है . सिंध में पिछले दस साल से इमरान खान की विरोधी पार्टी  पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पी पी पी ) की सरकार है .यह पार्टी पाकिस्तान के  पूर्व प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िकार अली  भुट्टो के खानदान की राजनीतिक मिलकियत है . इसी पार्टी के बैनर  तले वे खुद प्रधानमंत्री बने थे . बाद में उनकी बेटी बेनज़ीर भुट्टो भी प्रधानमंत्री बनीं . उनके पति भी कुछ समय तक  सत्ता के मालिक रहे . आजकल पार्टी पर बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल ज़रदारी का  क़ब्ज़ा है .

पी पी पी और नवाज़ शरीफ की खानदानी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग ( नवाज़ ) एक  दूसरे के राजनीतिक विरोधी हैं लेकिन इमरान खान जिस तरह से फौज के हुक्म के गुलाम बन गए हैं उससे पाकिस्तानी अवाम में बहुत नाराजगी है . उसी नाराज़गी को भुनाने की गरज से बेनजीर भुट्टो और नवाज़ शरीफ की खानदानी पार्टियां एक मंच पर हैं . उनके साथ ही पाकिस्तानी मुल्ला तंत्र की कुछ पार्टियां भी शामिल हैं . इमरान खां सरकार ने मुल्क की जो आर्थिक हालत बना  रखी है ,उसके चलते देश में बहुत नाराज़गी है . अब पाकिस्तान को  किसी देश से क़र्ज़ मिलने की उम्मीद बहुत कम हो गयी है . चीन से  दोस्ती के चक्कर में अमरीका से भी रिश्ते खराब हो गये हैं . नतीजा यह हुआ है कि एकजुट विपक्ष ने पाकिस्तान की सडकों को आबाद कर दिया है लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान भी जमे हुए हैं क्योंकि उनको फौज का पूरा सहयोग मिल रहा है .  विपक्ष की पार्टियों ने इकट्ठा होकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट ( पी डी एम ) नाम का एक  फ्रंट बना लिया है जिसमे देश की दोनों बड़ी विपक्षी पार्टियों की मुख्य भूमिका है लेकिन उसका अध्यक्ष जमियत उलेमा ए  इस्लाम ( एफ ) के मुखिया मौलाना फ़ज़लुर्रहमान को बनाया  गया  है . पी डी एम का उद्देश्य इमरान खान की भ्रष्ट सरकार को  उखाड़ फेंकना  है . उसके बाद सभी पार्टियां चुनाव लड़ेंगी .कराची की विशाल सभा में पाकिस्तान मुस्लिम लीग ( नवाज़ ) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने ऐलान किया कि जब भी चुनाव  होगा तो पी डी एम में शामिल पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ मैदान में होंगी.

पी डी एम ने पाकिस्तानी शहर गुजरांवाला और कराची में ज़बरदस्त सभाएं करके अपने उद्देश्य का ज़बरदस्त तरीके से ऐलान कर दिया है . 25 अक्टूबर को क्वेटा में उनकी अगली रैली है. खबरें आ रही हैं कि फौज का धीरज अब जवाब देने लगा  है . कराची में पुलिस के आई जी मुश्ताक महार को अगवा करके फौज ने साफ़ सन्देश दे दिया है कि वह किसी भी हद तक जा सकती है . खबरें आ रही हैं कि क्वेटा की रैली में पी डी एम की सबसे  प्रभावशाली नेता और  पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की बेटी मरियम नवाज़ पर जानलेवा हमला भी किया  जा सकता है . फौज को भरोसा  है कि जिस तरह उस दौर की विपक्षी नेता बेनजीर भुट्टों को मारकर उन्होंने अपने तत्कालीन चेले नवाज़ शरीफ के लिए रास्ता साफ़ कर लिया था , उसी तरह  विपक्ष की सबसे मज़बूत नेता  और नवाज़ शरीफ की बेटी , मरियम नवाज़ को मार कर अपने कठपुतली प्रधानमंत्री इमरान खान को बचा लेंगे . बेनजीर भुट्टो को मारकर  फौज ने उस वक़्त की विपक्ष की योजना को कमज़ोर कर दिया था . इस बार भी सूत्रों का दावा है कि मरियम नवाज़ की ह्त्या करके भारत को ज़िम्मेदार ठहराने की कोशिश की जायेगी .बलूचिस्तान में चल  रहे आज़ादी के आन्दोलन को भी लपेटने की योजना है .

नवाज़ शरीफ ने गुजरांवाला की  रैली को संबोधित किया था लेकिन कराची में उनका भाषण नहीं  कराया गया . वे लंदन में फरारी का जीवन काट रहे हैं  पाकिस्तान में उनकी गिरफ्तारी का  डर है इसलिए वे खुद पाकिस्तान नहीं आ सकते इसलिए उनका भाषण  वर्चुअल तरीके से कराया जाता है . इमकान है कि क्वेटा की रैली में भी नवाज़ शरीफ  की तक़रीर होगी और इमरान खान की पी टी आई सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील कौम से की जायेगी .अजीब बात यह  है  विपक्ष को सरकार इमरान खान की हटानी है लेकिन नवाज़ शरीफ के वर्चुअल भाषण के हमले के निशाने पर पाकिस्तानी फ़ौज के मौजूदा प्रमुख कमर जावेद बाजवा थे . ऐसा पहली बार हो रहा है कि  पाकिस्तान में किसी सर्विंग आर्मी चीफ के खिलाफ राजनीतिक मोर्चा खोला गया  है . इसके पहले उन जनरलों को निशाना बनाया जाता था जो  सत्ता पर सिविलियन सरकार को बेदखल करके कब्ज़ा जमाये रहते थे .इसका कारण शायद यह है कि अब पाकिस्तान में बच्चे बच्चे को मालूम है कि सिविलियन प्रधानमंत्री तो जनरल बाजवा के हुक्म की तामील करने के लिए सत्ता पर काबिज़ है .सेना प्रमुख को सीधे निशाने पर लेने की कीमत भी ज़्यादा होगी . अपनी सत्ता बचाए रखने के लिए  पाकिस्तानी फौज किसी भी नेता को कुर्बान कर सकती है .नवाज़ शरीफ के इस रवैये से  पी डी एम में शामिल अन्य  राजनीतिक पार्टियों को दिक्क़त हो सकती है क्योंकि  वहां सभी राजनीतिक पार्टियां फौज को खुश रखना चाहती हैं . नवाज़ शरीफ खुद भी फौज की कृपा से प्रधानमंत्री बने थे . जनरल जियाउल हक ने ही उनको राजनीति में महत्व दिलवाया था . अभी  पाकिस्तान में फौज का विरोध करना बहुत ही आसान नहीं माना जाता . वैसे भी पी डी एम की  रैलियों में भीड़ तो खूब हो रही है लेकिन उसको अभी राजनीतिक रूप से इतना सक्षम नहीं माना जा सकता कि वे देश को फौज के खिलाफ खड़ा कर दे . इस बीच भारत वहां हर राजनीतिक विमर्श में शामिल हो चुका है . पाकिस्तान में भारत के खिलाफ ज़हर उगलकर सत्ता हासिल करने की पुरानी परम्परा है . प्रधानमंत्री इमरान खान ने मरियम नवाज़ पर आरोप लगा दिया है कि वे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ज़बान बोलती हैं . मरियम नवाज़ ने भी  उनको जवाब दे दिया है कि नरेंद्र मोदी के वे ज्यादा करीबी  हैं . उधर भारत विरोध को हवा देने का  माहौल सेना प्रमुख जनरल बाजवा भी बना रहे हैं. उन्होंने एल ओ सी का दौरा किया और लौटकर पाकिस्तानी अखबारों में छपवाया कि सेना पूरी तरह से तैयार है .पाकिस्तानी प्रधानमंत्री  इमरान खान एक हारे हुए सिपाही जैसे दिखने लगे  हैं . उनको सबसे बड़ा भरोसा  फौज पर था . उनको लगता था कि किसी तरह की राजनीतिक आंधी को वे फौज  की मदद से पार कर लेंगे .शायद इसीलिये वे अभी भी धमकी की भाषा का प्रयोग कर  रहे  हैं . जिस पंजाब को वे अपनी ज़मीन मानते हैं ,वहीं उनके खिलाफ माहौल बन गया है . पंजाब प्रांत में इमरान खान की पार्टी की सरकार है . पंजाब नवाज़ शरीफ का गढ़ भी माना जाता है लेकिन पंजाब में इमरान खान बहुत कमज़ोर पड़ गए हैं . एक नालायक नेता को उन्होंने मुख्यमंत्री बना रखा है . नौकरशाही पहले से ही नाराज़ है . कराची में सिविलियन  पुलिस के आई जी मुशताक के साथ जो हुआ उससे नाराजगी और बड़ी है . ऐसे माहौल में सिंध , बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वाँ में तो विरोध हो ही रहा है ,जब मरियम नवाज़ पंजाब में मोर्चा संभालेंगी तो फौज के लिए भी इमरान खान को संभाल पाना  मुश्किल होगा .सारी हालात को देखकर लगता है कि पाकिस्तान अराजकता और सिविल वार की तरफ बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है .

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