शेष नारायण सिंह
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा की धमक भोपाल में महसूस की जा रही है . हालांकि दिल्ली के मीडिया ने इस यात्रा को आम तौर पर नज़रंदाज़ ही किया है लेकिन भोपाल के वल्लभ भवन के अधिष्ठाता को इस यात्रा का महत्व मालूम है . मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मालूम है कि उन्होंने नमामि देवि नर्मदे यात्रा करके जो मीडिया में माहौल बनाया था उसकी सच्चाई सामने आने वाली है क्योंकि दिग्विजय सिंह ने ऐलान कर दिया है कि जब नौ अप्रैल को उनकी आध्यात्मिक यात्रा का संकल्प पूरा होगा ,उसके बाद वे ओंकारेश्वर महादेव में जलाभिषेक करके राजनीतिक यात्रा पर निकल जायेगें .अपनी नर्मदा परिक्रमा यात्रा शुरू करने के पहले सितम्बर २०१७ में दिग्विजय सिंह ने देशबन्धु से एक बातचीत में बताया था कि उनकी यात्रा पूरी तरह से आध्यात्मिक है ,और उन्होंने अपनी पार्टी को लिखकर दे दिया है कि अप्रैल २०१८ तक उनको कांग्रेस के किसी भी कार्य की ज़िम्मेदारी से मुक्त रखा जाए. उन्होंने कहा था कि इस यात्रा में कोई भी राजनीतिक बयान नहीं दिया जायेगा ,किसी तरह की बाईट नहीं दी जायेगी और किसी भी राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी नहीं की जायेगी . उन्होंने बताया था कि वर्षों पहले उनके आध्यात्मिक गुरु ने उनसे कहा था कि समय निकालकर माँ नर्मदा की परिक्रमा करो, इसलिए उन्होने अपनी पत्नी के साथ इस यात्रा पर जाने का निर्णय लिया है .
यात्रा अब पूरी होने वाली है . इस यात्रा के बारे में दिल्ली में भी बहुत उत्सुकता है. जब भी किसी पत्रकार साथी ने वरिष्ठ पत्रकार और दिग्विजय सिंह की पत्नी ,अमृता राय से पूछा कि यात्रा के अब तक के क्या अनुभव हैं तो उन्होंने कहा कि वर्णन नहीं किया जा सकता, अनुभव करके ही देखा जा सकता है. कुछ पत्रकारों ने यह चुनौती स्वीकार की और एकाध दिन उनकी यात्रा में शामिल होकर देखा . कुछ उम्रदराज़ पत्रकारों ने भी इस चुनौती को स्वीकार किया और दो दिन नर्मदा परिक्रमा में शामिल हुए . तीसरे दिन पाँव में फफोले लेकर वापस दिल्ली आ गए . लेकिन यह सच है कि उस यात्रा में शामिल होना किसी भी पत्रकार के लिए अच्छा अनुभव था. बिना किसी ताम झाम के सिवनी जिले में परिक्रमा करते , दिग्विजय सिंह के साथ राह चलते लोग जुड़ रहे थे. बातें कर रहे थे, अपनी समस्याएं बता रहे थे और उनकी पत्रकार पत्नी उसको याद करती चल रही थीं. तीन हज़ार किलोमीटर की पैदल यात्रा पूरी हो चुकी थी और इस दौरान बहुत सारी सच्चाई पब्लिक डोमेन में आ चुकी थी . इसी बात को शिवराज सिंह की सरकार ने महसूस किया और दिग्विजय सिंह की नौ अप्रैल के बाद किसी तारीख को संभावित राजनीतिक यात्रा की धार को कम करने के लिए पेशबंदी शुरू कर दी.
यह जानना दिलचस्प होगा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नर्मदा यात्रा किया था . हेलीकाप्टर से जगह जगह गए थे , लाखों रूपये खर्च करके बनाए गये पंडालों में सरकारी तामझाम के साथ स्वागत हुआ था और दावा किया गया था कि नर्मदा नदी के किनारे छः करोड़ पौधे लगा दिए गए हैं, बालू की अवैध खुदाई रोक दी गयी है और नर्मदा का पुराना गौरव बहाल कर दिया गया है . रेत माफिया पर काबू कर लिया गया है .लेकिन दिग्विजय सिंह की यात्रा ने मध्यप्रदेश सरकार के इस दावे की पोल खोल दी . कहीं कोई पेड़ नहीं लगाया गया है . अवैध खनन पूरी तरह से चल रहा है और नर्मदा की रेत के ज़ालिम डाकू पूरी तरह से अपने काम पर लगे हुए हैं. नर्मदा को तबाह करने वाले ज़्यादातर लोग माफिया हैं और निर्द्वंद घूम रहे हैं .
यह सच्चाई हर उस व्यक्ति को मालूम है जो नर्मदा के बारे में जानने के लिए उत्सुक है . यह जानकारी स्वामी नामदेव त्यागी उर्फ़ कम्यूटर बाबा और योगेन्द्र महंत के पास भी थी. इन दोनों ने ' नर्मदा घोटाला रथ यात्रा ' की योजना बनाई थी . इस यात्रा का उद्देश्य था कि नर्मदा नदी के किनारे पौधे लगाने का जो दावा राज्य सरकार ने किया था ,वह गलत था और उसमे भारी घोटाला हुआ था . यह दोनों ही संत इसको उजागर करना चाहते थे . नर्मदा जी में बेहिसाब बालू की खुदाई से नर्मदा और पर्यावरण को हो रहे नुक्सान के बारे में देश और दुनिया को जानकारी देना भी इन संतों का लक्ष्य था. इसकी बाकायदा योजना बन गयी थी और यात्रा शुरू ही होने वाली थी . लेकिन सरकार ने ज़बरदस्त हस्तक्षेप किया जिसके कारण प्रस्तावित घोटाला यात्रा को इस दोनों ही महात्माओं ने रद्द कर दिया है. यात्रा रद्द इसलिए कर दी गयी है कि यह दोनों ही महात्मा अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सरकार का हिस्सा हैं. नर्मदा के कल्याण के लिए सरकार के काम की तारीफ़ करना इनकी ड्यूटी बन गयी है. कम्यूटर बाबा ने बताया कि अब यात्रा नहीं निकाली जायेगी क्योंकि शिवराज सिंह ने संत समुदाय को सम्मान दे दिया है . इन स्वामी जी के अलावा और भी साधू हैं जो नर्मदा के घोटालों को उजागर करने वाले थे . लेकिन उन लोगों ने भी सरकार की कमियों को पब्लिक डोमेन में लाने का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया है क्योंकि उनको भी शिवराज सिंह की सरकार ने सम्मानित कर दिया है .
आखबारों में खबर है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांच बाबाओं को अपनी सरकार के राज्यमंत्री का दर्ज़ा दे दिया है. सरकार ने दावा किया है कि समाज के हर वर्ग के लोगों को राज्य के हित में काम करने के अवसर देने के लिए ऐसा किया गया है .जिन संतों को राज्यमंत्री पद का दर्ज़ा दिया गया है वे सभी किसी न किसी रूप में नर्मदा नदी को उजाड़ने की सरकार की कोशिश से जुड़े बताये जाते हैं. राज्यमंत्री का दर्ज़ा पाने वालों में कम्यूटर बाबा,भैय्यूजी महराज,नर्मदानंद जी ,हरिहरानन्द जी, और पंडित योगेन्द्र महंत शामिल हैं . इन पाँचों संतों को एक कमेटी का सदस्य बनाया गया है जिसका गठन नर्मदा के संरक्षण, स्वच्छता और वानिकी के लिए किया गया है . इस कमेटी के सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्ज़ा दे दिया गया है. इसी साल के अंत में चुनाव होने हैं और वे चुनाव मध्यप्रदेश की गाँवों और कस्बों में ही लडे जायेंगे. दिल्ली के मीडिया संस्थानों का उन गाँवों में कोई नाम भी नहीं जानता लेकिन दावा किया गया है कि इन बाबाओं को लोग वहां जानते हैं ,इनका आम जन पर थोड़ा बहुत प्रभाव है . शिवराज सिंह चौहान को मालूम है कि दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा ने उनके नामामि देवि नर्मदे यात्रा से संभावित चुनावी लाभ को कम कर दिया है . अब इन पांच संतों को नर्मदा क्षेत्र के एक सौ से अधिक चुनाव क्षेत्रों में भेजकर दिग्विजय सिंह की प्रस्तावित राजनीतिक यात्रा से शिवराज सिंह की राजनीति को संभावित नुक्सान को कंट्रोल करने की कोशिश की जायेगी .
इन संतों का प्रभाव समझने के लिए इनके बारे में कुछ जानकारी लेना उपयोगी होगा. स्वामी नामदेव उर्फ़ कम्यूटर बाबा , हमेशा एक लैपटाप के साथ देखे जाते हैं. इन्होने अभी कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि वे मध्यप्रदेश में नर्मदा के किनारे यात्रा करेंगे और सरकार की नाकामियों और घोटालों को उजागर करेंगे. इनके अभियान से सम्बंधित एक वीडियो आजकल खूब प्रचारित हो रहा है जिसमें यह बाबा जी और योगेन्द्र महंत के बयान भी हैं .दर्ज़ा प्राप्त मंत्री होने के बाद उन्होंने अपनी नर्मदा यात्रा की योजना को रद्द कर दिया है. दर्ज़ा प्राप्त मंत्रियों में एक अन्य हैं ,भैय्यूजी महराज . इनका असली नाम उदयसिंह देशमुख है .आप एक संपन्न ज़मींदार परिवार से हैं, खूबसूरत हैं, पहले माडलिंग भी कर चुके हैं, . इंदौर के एक आलीशान आश्रम में रहते हैं , मर्सिडीज़ कार में चलते हैं . एक कुशल कम्युनिकेटर हैं . एक और दर्जाप्राप्त हैं, स्वामी हरिहरानंद जी . इन्होने दिसंबर २०१६ में नमामि देवि नर्मदे सेवा यात्रा किया था . अमरकंटक से अलीराजपुर पैदल गए थे .जगह जगह भाषण भी दिया था. इस इलाके में इनका अच्छा प्रभाव बताया जाता है . पंडित योगेन्द्र महंत को भी राज्यमंत्री का दर्ज़ा दे दिया गया है .यह भी कम्यूटर बाबा के साथ शिवराज सरकार के कथित घोटालों का पर्दाफ़ाश करने वाले थे लेकिन अब दर्ज़ा प्राप्त वाले खेल में लपेट लिए गए हैं . इनका आरोप था कि शिवराज सिंह चौहान खनन माफिया को सहयोग देकर मां नर्मदा को तबाह कर रहे हैं .पांचवें संत हैं नर्मदानंद जी महराज. यह हनुमान जयन्ती और राम नवमी के दिन जूलूस निकालने के विशेषज्ञ हैं .
राजनीतिक सवाल यह है कि क्या यह लोग दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के बाद बनी उनकी राजनीतिक हैसियत को छोटा कर पायेंगें . इसके बारे में पड़ताल की कोशिश बड़े दिलचस्प तथ्य तक पंहुचाती है. भोपाल स्थित वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित से इस बारे में जानकारी लेने की कोशिश की . उन्होंने बताया कि इसी विषय पर उनकी लोकसभा के सदस्य और नर्मदा संस्कृति के मर्मज्ञ , प्रहलाद पटेल से बात हुई थी. उन्होंने कहा कि दर्ज़ा प्राप्त इन बाबाओं को नर्मदा के सन्दर्भ में तो कोई नहीं जानता .उनका कहना है कि अगर दिग्विजय सिंह इस यात्रा के बाद भी राजनीति में सक्रिय होते हैं तो वे बिकुल अलग तरह के राजनेता होंगे . भोपाल के ही वरिष्ठ पत्रकार और टेलीग्राफ के रेज़ीडेंट एडिटर रशीद किदवई का कहना है कि अब मध्य प्रदेश के सभी कांग्रेसी नेता मानते हैं कि नई राजनीतिक परिस्थिति में कांग्रेस की राजनीति का बिलकुल नया सन्दर्भ देखना होगा. हालांकि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होंगें लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा यह तय करने में उनकी राय महत्वपूर्ण होगी. पांच नए बाबाओं के माध्यम से उनको रोकने की शिवराज सिंह चौहान की कोशिश को भोपाल का कोई भी नेता या पत्रकार गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है . दिल्ली के कुछ गंभीर पत्रकारों से भी मध्य प्रदेश की राजनीति को समझने का प्रयास किया गया . एक बहुत ही आदरणीय पत्रकार ने भरोसे के साथ बताया कि दिग्विजय सिंह को तो कांग्रेस मध्य प्रदेश में चुनाव के प्रचार के काम में भी नहीं लगाने वाली है . जाहिर है राजनीति की नफीस गलियों की सही व्याख्या उपलब्ध सूचना के आधार पर ही की जा सकती है और दिल्ली में मध्य प्रदेश की ताज़ा राजनीतिक स्थिति के बदलते रंग की सही जानकारी बहुत कम पत्रकारों के पास है .