Tuesday, August 26, 2014

विश्व सिनेमा के गांधी ,रिचर्ड एटनबरो , एक श्रद्धांजलि



 शेष नारायण सिंह 

लार्ड रिचर्ड एटनबरो नहीं रहे. हर शाट को परफेक्ट शूट करने वाला स्टार अपना आख़िरी शाट अपनी मर्जी का नहीं ले पाया . उनकी योजना थी कि वे अपने अंतिम क्षणों तक सिनेमा की शूटिंग करते रहें . लार्ड रिचर्ड एटनबरो ने एक बार कहा था कि उनकी इच्छा है की वे दिन की शूटिंग खत्म करें और कहें कि पैकअप और वहीं अंतिम सांस  ले लें . लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 2008 में उनको ब्रेन हैमरेज का अटैक हुआ था उसके बाद वे बहुत दिन तक कोमा में रहे और ठीक होने के बाद भी व्हील चेयर पर ही चलते थे . बोलने में भी दिक्क़त होती थी . आज 90 साल की उम्र में विश्व सिनेमा के गांधी की मौत हो गयी. लार्ड रिचर्ड एटनबरो  
 ने फिल्म गांधी बनाकर अपने आपको सिनेमा के उस मुकाम पर स्थापित कर दिया था जहां बहुत ही सन्नाटा रहता है . कला के क्षेत्र में वह बुलंदियां बहुत कम लोगों को मिली हैं . उस ऊंचाई पर  बिरले ही पंहुंच पाते  हैं  क्योंकि एक ही सिनेमा के बल पर आठ आस्कर जीतने वाले लोग कहाँ हैं ?.
उनका जन्म ब्रिटेन के शहर कैम्ब्रिज में १९२३ में हुआ था .गांधी, जुरासिक पार्क, ब्राइटन रॉक, ,द ग्रेट एस्केप और व्हाट ए लवली वार कुछ ऐसी फ़िल्में हैं जो सिनेमा के साथ साथ कई पीढ़ियों के जीवन बेहतरीन यादों की भी सच्चाई बन चुकी हैं . दिल्ली में जब फिल्म  गांधी की शूटिंग हुयी थी तो वह घटना दिल्ली में बहुत बड़े मोबिलाइज़ेशन के रूप में याद की जाती है . जमुनापार और मंगोलपुरी आदि के इलाकों में डुगडुगी बजी थी और ऐलान किया गया था की महात्मा गांधी के अंतिम संस्कार की यात्रा की शूटिंग होनी थी और ज्यादा से ज्यादा लोग इण्डिया गेट पंहुंचे . हिदायत दी गयी थी कि कोई भी रंगीन कपड़ा पहनकर नहीं आयेगा . अस्सी के दशक में इंदिरा गांधी का दूसरा कार्यकाल था . एच के एल भगत केंद्र में मंत्री थे और पूर्वी दिल्ली के एम पी हुआ करते थे. उन्होंने ही भीड़ को जुटाने में अपने लोगों को लगाया था. इंदिरा जी खुद फिल्म के निर्माण में रूचि ले रही थीं लिहाज़ा उनके सबसे करीबी सरकारी नौकर के. नटवर सिंह को लार्ड रिचर्ड एटनबरो की सेवा का ज़िम्मा दिया गया था . नटवर सिंह बाकायदा एटनबरो के सेवक के रूप में रहते थे .फिल्म में भारत सरकार का भी कुछ हिस्सा था . उस फिल्म की दिल्ली में हुयी शूटिंग ने  दिल्ली की बड़ी आबादी को एक बड़े प्रोजेक्ट से जुड़ने का अवसर दे दिया था . और जब फिल्म ने एक के बाद एक दुनिया के शीर्ष पुरस्कार जीतना शुरू किया तो हर दिल्ली वाला उसमें अपने को भागीदार मानता था.फिल्म गांधी  को आठ आस्कर  पुरस्कार मिले थे. वह उस साल की बेस्ट फिल्म थी . 
लार्ड रिचर्ड एटनबरो  के फ़िल्मी जीवन की शुरुआत १९४२ में हुयी थी . लेकिन ग्राहम ग्रीन की किताब ब्राइटन रॉक को जब नाटक के रूप में पेश किया गया तो उसके चरित्र पिंकी में रिचर्ड एटनबरो  को ब्रिटेन भर में नोटिस किया गया . उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा . 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने के बाद उन्होंने निर्देशन का काम शुरू किया . फिल्म गांधी उनके जीवन के उसी दौर का नतीजा है . आज सही मायनों में एक महान आदमी, बहुत बड़े आदमी और बहुत ही जिंदादिल आदमी की मौत का दिन है . अलविदा सिनेमा के गांधी .

1 comment:

  1. ​बहुत ही जानकारी भरा लेखन ! नटवर सिंह जो कभी गांधी फैमिली के सबसे करीबी नौकर थे आज उसी फैमिली के खिलाफ खड़े हुए हैं !

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