शेष नारायण सिंह
और क्या शाम गुज़री
है . एक आदमी जिस को करीब तीस साल की उम्र तक अपना जन्मदिन नहीं मालूम था ,फेसबुक
पर मौजूद दोस्तों ने उसके जन्मदिन को भी एक खुशी का अवसर बना दिया . जो फेसबुक पर नहीं थे , उन्होंने टेलीफोन के
ज़रिये एस एम एस किया ,बहुत सारे दोस्तों ने व्हाट्स एप्प के रास्ते बधाई सन्देश
भेजे. मेरे बच्चों के बच्चों ने जश्न मनाये और मेरे बुढापे को दिलचस्प बनाया . कुल
मिलाकर जन्मदिन की कहानी पूरी हो गयी .
आज मेरा मन कह रहा
है कि सभी दोस्तों को शुक्रिया कहूं , खुद फोन मिलाकर कहूं कि , मेरे जिगर , तुम
मेरे दोस्त हो और अब आगे भी जिंदा रहने के हौसले इसलिए बनते रहेगें कि हर साल
जन्मदिन के मौके पर तुम्हारी शुभेच्छा का इंतज़ार रहेगा .
अगस्त की एक तारीख
की रात को बारह बजे से दोस्तों ने शुभ कामना देनी शुरू कर दी थी. पहला सन्देश उस
बहादुर महिला का आया था जिसने अभी अभी कैंसर के मैदान में दुशमन की अठारह अक्षौहिणी
सेना को परास्त किया है . दो बेहतरीन बच्चियों की मां और मेरे ऐसे दोस्त की जीवनसाथी जिसके साथ मैं घोषित रूप से
गप्प मारने के लिए मुंबई जाता हूँ . इस नाट्यकर्मी, साहित्यकार ,प्रशासक सृजनशील
दोस्त की बहादुरी को मैंने मन ही मन पहला सलाम किया था .
उसके बाद दो
सदिच्छाओं का तूफ़ान आ गया . लगातार संदेशे
आते रहे और मैं खुश होता रहा. बहुत सारी ऐसे नौजवान पत्रकारों ने अपने भैया को जन्मदिन की बधाई दी जिनका नाम
सासे भारत में जाना जाता है . एक बहुत अच्छी बात यह हुई कि किसी ने भी मेरी वाल पर हैप्पी बर्थडे नहीं लिखा .
मैं साल भर से हर फेसबुक दोस्त को जन्मदिन की शुब्खामना देता रहा हूँ सब को मैंने
इनबाक्स में ही सन्देश लिखा था . शायद संकेत को समझ कर सभी दोस्तों ने इनबाक्स में
ही सन्देश भेजे . मेरी दोस्ती को पब्लिक डोमेन में नहीं डाला ,क्योंकि मेरे हर
दोस्त से मेरी दोस्ती बिलकुल निजी है और बिलकुल निराली है . मेरी दोस्ती मेरे
दोस्तों के प्रति मेरे निजी सम्मान की भावना की अभिव्यक्ति है . इसलिए मैं इन चार
लाइनों को लिखकर सबका व्यक्तिगत रूप
से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ .
मैंने सोचा था कि
सभी दोस्तों को निजी तौर पर धन्यवाद कहूँगा.कल सुबह शुरू भी किया ,कुछ देर करता
रहा लेकिन इनबाक्स में सन्देश इतनी तेज़ी से आ रहे थे कि मैंने सोचा कि अपनी फेसबुक
की दीवार और अपने ब्लॉग में लिखकर आभार ज्ञापन करूंगा . मेरे दोस्तों की एक मामूली
संख्या ऐसी भी है जो हिंदी नहीं जानते . उन सब को मैं उनकी भाषा में धन्यवाद कह
चुका हूँ . अब जब इतने दोस्त जन्मदिन की दुआ देते हैं तो लगता है कि अभी बहुत दिन
ज़िंदा रहना चाहिए .आपकी शुभकामनाओं में बहुत ताक़त
है जानी , मैं ज़िंदगी को नए मायने देने की कोशिश करूंगा और अगले जन्मदिन का इंतज़ार
करूंगा .
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