Thursday, April 25, 2013

जे पी सी पर नूरा कुश्ती करके दोनों बड़ी पार्टियां किसको बेवकूफ बना रही हैं


शेष नारायण सिंह 



नयी  दिल्ली .२५ मार्च। २ जी घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पी सी चाको के खिलाफ बीजेपी की अगुवाई में कुछ विपक्षी दलों ने अविश्वास जताया है और उनको हटाने की मांग की है .हटाने की मांग करने वालों में लेफ्ट  फ्रंट के सीताराम येचुरी और गुरुदास दासगुप्ता भी हैं तो तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी  भी . डी  एम के के टी आर बालू भी हैं और ऐ आई डी एम के के थम्बी दुराई भी . बीजेपी का दावा है की यह एक अहम् राजनीतिक संकेत है जब आपस में एक दुसरे के विरोध में खड़ी  राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ हो गयी हैं . लेकिन कांग्रेस का कहना है की आगामी चनावों  में यह सभी पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली हैं और उसी चुनाव की तैयारियों के कारण यह सभी  कांग्रेस विरोध की राजनीति में शामिल हो रही हैं . जहां तक जे पी सी के अध्यक्ष  पी सी चाको को हटाने की बात है जे पी सी के गठन में ऐसे प्रावधान नहीं हैं कि जे पी सी के अध्यक्ष को किसी अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिये हटाया  जा सके .

आज बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक जमातों को लामबंद करने की अपनी कोशिश में एक अहम सफलता हासिल की जब  जे पी सी के पंद्रह सदस्यों का विरोध पात्र लोक सभा की अध्यक्ष मीरा कुमार के सामने पेश किया और मांग की कि  २ जी घोटाले की जांच कर रही जे पी सी के मौजूदा अध्यक्ष पी सी चाको हटाकर  जे पी सी के किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष का काम सौंप दें . बीजेपी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान  रवि शंकर  प्रसाद ने बताया कि जे पी  सी के कुल सदस्यों के संख्या तीस है  जिसमें से पंद्रह  सदस्य अध्यक्ष  पी सी चाको के खिलाफ हैं इसलिए उनको हटा दिया जाना चाहिए . रविशंकर प्रसाद भारत के संविधान के अनुच्छेद १०० और अनुच्छेद ९० और ९ १ के हवाले से मीडिया को यह समझाने की  कोशिश करते रहे कि जे पी सी के अध्यक्षपी सी चाको को हटाया जाना कितना आसान है . जब उनको याद दिलाया गया कि  जे पे सी के गठन में उसके अध्यक्ष की वैधता उनको  नियुक्तिकर्ता अधिकारी के तरफ से आती है  इसलिए उसको हटाने का अधिकार भी उसी के पास है जिसने उसको नियुक्त  किया है . जबकि लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को सदन के सदस्य नियुक्त करते हैं इसलिए उनको हटाने  का अधिकार  भी उनके पास ही होता है तो वे बात को टालने की कोशिश करते नज़र आये . बीजेपी के  प्रवक्ता की कोशिश यह भी थी कि  यह बता सके कि जे पी  सी के आधे सदस्यों के  खिलाफ होने के कारण  जे पी सी की रिपोर्ट को पास नहीं कराया जा सकता .
इस मामले में जे  पी सी के अध्यक्ष पी सी चाको ने मीडिया को दो दिन पहले ही  बता दिया था कि  जे पी सी की रिपोर्ट को पास नहीं किया जाता उसे संयुक्त संसदीय समिति अडाप्ट करती है . अगर किसी सदस्य को रिपोर्ट को स्वीकार करने में कोई परेशानी होती है तो उसे डिसेंट नोट लगाने का अधिकार है . उस सदस्य का डिसेंट नोट  भी रिपोर्ट का हिस्सा बन जाता है लेकिन रिपोर्ट को अडाप्ट  करने के लिए वोटिंग का कोई प्रावधान नहीं है . . कांग्रेस की ब्रीफिंग में जब आज की प्रवक्ता रेणुका चौधरी से सवाल पूछा गया कि  क्या कांग्रेस मौजूदा मुश्किल हालात को संभालने की कोशिश कर रही है तो उन्होंने मामले को बहुत ही अगंभीर बताया और कहा कि जे पी सी के गठन के लिए जिस बीजेपी ने एडी  चोटी का जोर लगा दिया था और  करीब एक साल तक उसकी बैठकों में शामिल होते रहे वे आज राजनीतिक लाभ के लिए अध्यक्ष की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं . उन्होने  बीजेपी से आग्रह किया कि उनको बहस से भागना नहीं  चाहिए और संसद की संस्थाओं का  सम्मान करना चाहिए 

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