शेष नारायण सिंह
यह कहना ठीक नहीं होगा कि मीडिया आँख मूदकर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अभियान चला रहा है और उनकी तारीफ़ के फर्जी पुल बाँध रहा है. ऐसे भी अखबार हैं जो सच्चाई को बयान करने की अभी तक हिम्मत रखे हुए हैं.कर्नाटक के अंग्रेज़ी अखबार डेकन हेराल्ड में वरिष्ठ पत्रकार नीना व्यास की टिप्पणी को प्रमुखता से छापा गया है जिसमें लिखा है मोदी जी जो हांकते हैं वह करते नहीं हैं.नरेंद्र मोदी के दिल्ली के फिक्की लेडीज़ संगठन में दिए गए भाषण के हवाले से यह साबित कर दिया गया है कि मोदी जी के भाषण में महिलाओं के सशक्तीकरण के बारे में कही गयी बातें गलत थीं. दिल्ली के बुद्धिजीवियों के सामने दिए गए उनके भाषण की भी विवेचना की गयी है उर यह साबित कर दिया गया है कि वहाँ भी मोदी जी सच के अलावा सब कुछ बोल रहे थे. इस सभा में उन्होंने कहा कि कम से कम सरकार और अधिक से अधिक प्रशासन . लेकिन अगर बारीकी से देखा जाये तो समझ में आ जाएगा कि सच्चाई बिलकुल इसके उपते रास्ते पार है. वहाँ सरकार तो हर जगह मौजूद है लेकिन जनहित के काम उसकी प्राथमिकता नहीं है .
लेडीज़ के सामने नरेंद्र मोदी ने कहा कि 18वीं शताब्दी में लोग बच्चियों को दूध में नहलाते थे लेकिन 21वीं शताब्दी में लोग कन्या भ्रूण की ह्त्या कर रहे हैं . उनके इस कथन से यह बात कहने की कोशिश की गयी कि मोदी जी कन्या भ्रूण की हत्याके बहुत खिलाफ हैं . लेकिन सच्चाई यह है कि गुजरात में 2001 की जनगणना के हिसाब से लड़कियों और लड़कों के जन्म का अनुपात 921:1000 था जबकि जबकि 2011 में यह अनुपात 918:1000 रिकार्ड किया गया है . जबकि राष्ट्रीय अनुपात 2011 में 940:1000 हो चुका है है असम, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश,कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश ऐसे राज्य हैं जिनके यहाँ 2001 की तुलना में लड़कियों की संख्या बढ़ी है जबकि गुजरात में घटी है . गुजरात के कस्बों में चारों तरफ जन्मपूर्व लिंग पहचान की सुविधा उपलब्ध और अल्ट्रासाउंड के कारोबारी ज़्यादातर मोदी के मतदाता ही हैं . लेडीज़ के सामने मोदी ने माता को शक्ति देने की बात की लेकिन नैशनल सैम्पल सर्वे संगठन के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में मैटरनल मोर्टलिटी रेट में वृद्धि हुई है यानी बच्चों के जन्म देते समय मरने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है जबकि केरल , तमिलनाडु और महाराष्ट्र में कमी आयी है . जहां गुजरात में 145 माताओं की मृत्यु होती है वहीं महाराष्ट्र में यह संख्या 100 है .बच्चियां और माताएं की मृत्यु गुजरात का रिकार्ड अपने आस पास के राज्यों से बहुत ही निराशाजनक है . गुजरात में बहुत सारी महिलायें आत्महत्या करने के लिये भी मजबूर होती हैं .नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2007 गुजरात में 11.5 प्रतिशत महिलाओं ने आत्महत्या की जबकि राष्ट्रीय औसत 202 का है .
दिल्ली की दूसरी सभा में उन्होंने अपने प्रिय सिद्धांत का प्रतिपादन किया . मोदी अक्सर कहते रहते हैंकि वे कम से कम सरकार और अधिक से अधिक प्रशासन में विश्वास करते हैं .यह भी गुजरात के बाहर ही की बात है . गुजरात में रहने वाले भाजपा के नेताओं से अगर बात की जाए तो पता लग जाता है कि वहाँ अधिकतम सरकार मोदी जी के हाथों में ही होती है .यह सारी बातें आंकड़ों के हिसाब से साबित कर दी गयी हैं . नरेंद्र मोदी के हाथ में सत्ता आने के बाद पार्टी व्यक्ति आय ,स्वास्थ्य और गरीबी कम करने की दिशा में भी गुजरात पहले के इस्थिति से पिछडता गया है लेकिन आंकड़ों की बात को गलत बताने में नरेंद्र मोदी और उनके मीडिया को कोई वक़्त नहीं लगेगा
नितीश कुमार के पास नरेन्द्र मोदी की क्षमताओं योग्यताओं और उपलब्धियों के विरोध में कुछ भी कहने को है ही नहीं इसीलिए पूरे देश को अपनी तरह ''टोपी'' पहनने और पहनाने की बात कर आज दिल्ली में नितीश ने नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा। नीतीश की इस कुटिल कोशिश पर मोदी विरोधी कुछ चैनली भटियार खाने मतवाले हो रहे हैं. पूरे देश को नितीश मार्का ''टोपी'' पहनने-पहनाने की नितीशी कोशिशों का महिमामंडन भटियारों की तरह कर रहे हैं. लेकिन ये भटियार ये नहीं बता रहे हैं कि नितीश ने पिछले 8 सालों में बिहार को किस तरह टोपी पहनाई है.
ReplyDeleteजरा गौर कीजिए ''टोपीबाज़'' नितीश की जमीनी उपलब्धियों पर.
आज जब ''टोपीबाज़'' नितीश का दिल्ली में टोपीपुराण चल रहा था ठीक उसी समय देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा जारी की गयी एक खबर यह बता रही थी कि,''टोपीबाज़'' नितीश के बिहार में पाइप लाइन के जरिये केवल 4% पेयजल की आपूर्ति होती है और 12536 गाँवों में लोग लोहा आर्सेनिक और फ्लोराइड युक्त जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं...!!!
इस खबर के अलावा ''टोपीबाज़'' नितीश की एक और जमीनी उपलब्धि यह है कि बिहार में 7204 गावों में बिजली है ही नहीं तथा तथा लगभग 2000 मेगावाट आवश्यकता की मांग की पूर्ति केवल 1137 मेगावाट से होती है, वह भी चालीस प्रतिशत सेंट्रल पूल से लेने के बाद तथा राष्ट्रीय औसत से ढाई गुना तथा बिहार से टूटकर अलग हुए झारखंड से दो गुना अधिक बेरोजगारी ''टोपीबाज़'' नितीश शासित बिहार में है