नयी दिल्ली, २२ मार्च .अमरीका ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान में असली ताक़त सेना के प्रमुख जनरल, अशफाक परवेज़ कयानी के ही हाथ में है.अमरीका में शुरू हो रहे पाक-अमरीकी बातचीत में जनरल कयानी शामिल भी हो रहे हैं . पाकिस्तान से जाने वाले प्रतिनधि मंडल के नाम भी उन्होंने ही तय किया है और एजेंडा भी उनकी मर्जी से बनाया गया है .पकिस्तान में सब को पता है कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी तो बस कहने के लिए दल के नेता रहेंगें, असली कंट्रोल सेना प्रमुख के हाथ में ही है . इस बार तो मंत्री और विदेश ,वित और रक्षा विभागों के सचिवों को भी जनरल कयानी के दरबार में हाज़री लगानी पड़ी और उनके निर्देश के अनुसार ही सारी योजना बनायी गयी. इसके पहले पकिस्तान जैसे मुल्क में भी फौज के किसी अधिकारी ने सिविलियन अधिकारियों को सेना मुख्यालय में तलब नहीं किया था.
पाकिस्तानी फौज इस बात से बहुत चिंतित है कि नैटो की सलाह पर भारत ने इस बात का ज़िम्मा ले लिया है वह अफगान सेना को प्रशिक्षण देगा. जनरल कयानी को यह बात बहुत ही नागवार गुज़री है कि अफगानिस्तान में भारत का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है .पाकिस्तान फौज के प्रवक्ता,मेजर जनरल अतहर अब्बास ने कहा है कि पकिस्तान अमरीका को पूरी गंभीरता के साथ अपनी नाराज़गी की जानकारी दे देगा. पकिस्तान ने खुद भी अफगान सेना को ट्रेनिंग देने का प्रस्ताव दे दिया है लेकिन उसके पिछले रिकॉर्ड के मद्दे-नज़र उसे यह काम मिलने की संभावना बहुत कम है .फिर भी अपना प्रस्ताव दे कर पाकिस्तान चाहेगा कि भारत को काम न मिले.
यह सारी जानकारी पकिस्तान में तो अब सबको पता है लेकिन न्यू यार्क टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक अब अमरीकी हुकूमत को भी यह जानकारी हो गयी है . और वहां किसी को कोई एतराज़ नहीं है . जहाँ तक अमरीका का सवाल है, उसे पाकिस्तान में केवल इतनी दिलचस्पी है कि वह अफगानिस्तान और पकिस्तान में सक्रिय तालिबानी लड़ाकों को ख़त्म करने में पकिस्तान का इस्तेमाल करना चाहता है . इस मकसद को हासिल करने के लिए अमरीके प्रशासन की ओर से पकिस्तान को कुछ खर्च-बर्च मिलता रहता है. पकिस्तान में बेपेंदी के लोटे के रूप में मशहूर , विदेश मंत्री, शाह महमूद कुरेशी अखबारों और सार्वजनिक मंचों पर बयान देते फिर रहे हैं कि पाकिस्तानी डेलीगेशन की अगुवाई वही कर रहे हैं और उन्हें अमरीका से बहुत कुछ हासिल करना है . लेकिन पकिस्तान में कोई उनको गंभीरता से नहीं ले रहा है और लोग जानते हैं कि उन्हें इस तरह के बयान देने के लिए जनरल अशफाक परवेज़ कयानी ने ही कह रखा है .
पाकिस्तानी अखबारों में सम्पादकीय लिखे जा रहे हैं और जनरल कयानी के बढ़ते हुए दबदबे से पाकिस्तान की जम्हूरियत पसंद अवाम सकते में है . कई अखबारों में छपे बयानों में पकिस्तान के प्रधान मंत्री युसूफ रजा गीलानी को आगाह किया गया है कि वे संभल कर रहें और ऐसा माहौल बनाएं जिस से हुकूमत पर फौज का क़ब्ज़ा फिर से न हो जाए . देश के बुद्धिजीवी वर्ग में भी दहशत का आलम है . इस्लामाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रिफात हुसैन ने कहा है कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि सेना प्रमुख ने केंद्र सरकार के सचिवों को सेना मुख्यालय में तलब किया हो ..यह दुर्भाग्य है कि जनरल कयानी आज ड्राइवर सीट पर काबिज़ हो गए हैं .
जानकार बताते हैं कि जनरल कयानी जो कुछ भी कर रहे हैं उसे अमरीकी जनरलों का आशीर्वाद प्राप्त है .. अमरीका की यात्रा पर गए जनरल कयानी ने अमरीकी सेंट्रल कमांड के तामपा स्थित मुख्यालय में जाकर अधिकारियों से बात चीत की और सोमवार को पेंटागन में ज्वाइंट चीफ ऑफ़ स्टाफ , एडमिरल कैक मुलेन और रक्षा मंत्री, रोबेर्ट गेट्स से भी बात चीत करेंगें .इस्लामाबाद में अमरीकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने बताया है कि बुधवार को शुरू हो रही दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बात चीत में जनरल कयानी भी शामिल होंगें इस बैठक में पकिस्तान अमरीका से यह फ़रियाद भी करने वाला है कि उसे जिस आर्थिक मदद का वायदा किया गया था उसमें से करीब सवा अरब डालर अभी नहीं मिली है . दर असल यह रक़म इस लिए रोक ली गयी है कि अमरीकी सरकार को अभी विश्वास नहीं है कि पाकिस्तान ने मानवीय सहायता के नाम पर मिली रक़म को सही तरीके से खर्च कर भी रहा है कि नहीं .
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