Thursday, December 27, 2018

सुप्रीम कोर्ट में राफेल पर गलतबयानी के आरोप में सरकार फंसी ,कहीं यह सेल्फगोल तो नहीं



शेष नारायण सिंह
 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा अब एक बड़े विवाद का रूप ले चुका है . १४ दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने के बाद बीजेपी ने दावा किया था कि मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दे दिया है . लेकिन अब पता चल रहा है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बंद लिफाफे में जो जानकारी दी थी ,उसें कुछ गड़बडी थी. सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसी जानकारी के आधार पर आया था . सुप्रीम कोर्ट ने सरकार कि बात पर विश्वास करके  अपने आर्डर में लिख दिया था कि सरकार ने सी ए जी से राफेल की कीमत संबंधी जानकारी शेयर किया है ,  सी ए जी की रिपोर्ट की जांच संसद की लोकलेखा समिति ( पी ए सी ) ने कर लिया है. अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि फैसले में कुछ गलतियां आ गयी हैं . दावा किया गया है कि सरकार ने यह नहीं कहा  था कि सी ए जी की रिपोर्ट की जांच पी ए सी द्वारा कर ली गयी है . सरकार ने तो बस यह कहा था कि जब  सी ए जी की रिपोर्ट तैयार  होती है तो पी ए सी उसकी जांच करती है . सरकारी दावा यह है कि उसने तो सुप्रीम कोर्ट को प्रक्रिया की जानकारी दी थी ,यह  नहीं कहा था कि ऐसा हो चुका है. उसकी मंशा केवल कोर्ट को यह बताने की थी कि ऐसा होता है .
सरकार की इस सफाई के बाद मामला बहुत बिगड़ गया है . कांग्रेस ने आरोप लगा दिया है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने गलत जानकारी दी और माननीय सुप्रीम कोर्ट को अँधेरे में रखकर गलत तथ्यों के आधार पर फैसला होने की स्थिति पैदा की . कांग्रेस का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और तथाकथित क्लीन चिट की बुनियाद ही  यही है कि सी ए जी और पी ए सी ने  मामले को देख लिया है और वे संतुष्ट  हैं . अब फैसला आ जाने के बाद सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को व्याकरण का पाठ पढ़ाना माननीय सुप्रीम कोर्ट का अपमान है . कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु  सिंघवी ने कहा कि यह कोर्ट की अवमानना , पर्जरी और कोर्ट को गुमराह करने का केस है और इस पर सुप्रीम कोर्ट को नोटिस लेना चाहिए और सरकार को दण्डित करना चाहिए .
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसला सरकार और बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है . सरकार की चिट्ठी ने साफ़ कर दिया है कि  सी ए जी और पी ए सी के हवाले से कही गयी  बातों पर सुप्रीम कोर्ट फिर से विचार करेगा और क्लीन चिट वाली बात हवा हो जायेगी .सत्ताधारी पार्टी का उत्साह भी अब कुछ कम होगा . १४ दिसम्बर को फैसला आने के बाद बीजेपी पूरी तरह से विजयी मुद्रा में थी . बीजेपी अध्यक्ष  अमित शाह ने एक विशेष प्रेस कान्फरेंस की और कांग्रेस अध्यक्ष  राहुल गांधी पर ज़बरदस्त हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं और उनको प्रधानमंत्री  से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री को राफेल सौदे के हवाले से बार बार चोर कहा था. संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी कांग्रेस अध्यक्ष से माफी की मांग की और कहा कि  जब सुप्रीम कोर्ट ने  राफेल सौदे पर क्लीन चिट दे दी है  तो कांग्रेस अध्यक्ष को प्रधानमंत्री और देश से माफी मांगना चाहिए . राहुल गांधी अपनी बात पर अड़े हुए हैं . उनका कहना है कि राफेल में भ्रष्टाचार हुआ है .  उन्होंने फैसला आने के बाद बाकायदा प्रेस कान्फरेन्स की और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी को कोई क्लीन चिट नहीं दी है . भ्रष्टाचार के जो मुद्दे हैं वे ज्यों के त्यों हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह ज़रूरी हो गया है कि संयुक्त संसदीय  समिति ( जे पी सी ) से सारे मामले की जांच करा ली जाए और दूध का दूध ,पानी का पानी हो जाए.अब सरकार की तरफ से यह स्वीकार कर लेने के बाद कि सी ए जी की कोई रिपोर्ट नहीं आई है और पी ए सी ने उसपर कोई राय नहीं दी है , राहुल गांधी की दावे को मजबूती मिल गयी है .
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सी ए जी और पी ए सी का ज़िक्र आया है . सी ए जी भारत के संविधान के अनुच्छेद १४८ के तहत स्थापित की गयी एक संवैधानिक संस्था है . भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक ( सी ए जी ) का काम है कि वह केंद्र और राज्य सरकारों और उनकी संस्थाओं के  राजस्व यानी जमा खर्च की जांच करती है . सरकारी धन का अगर कहीं दुरूपयोग हुआ है तो सी ए जी की तरफ से उसको पकड़कर उसकी रिपोर्ट सरकार को देनी होती है . सरकार की  पाबंदी यह  है कि वह सी ए जी की र्रिपोर्ट को संसद को देती है और संसद की पी ए सी उस पर बहस करके उसको लोकसभा में  प्रस्तुत करती है . जब तक सी ए जी की रिपोर्ट संसद में पेश नहीं होती तब तक उसका कोई महत्व नहीं है और वह  पब्लिक दस्तावेज़ के रूप में इस्तेमाल नहीं की जा सकती . पी ए सी संसद की एक बहुत ही ताकतवर समितिलोकलेखा समिति का सूक्ष्म नाम है और उसका प्रमुख विपक्ष का कोई बड़ा नेता होता है . सभी पार्टियों के  सांसद इस समिति  के सदस्य हो सकते हैं लेकिन अध्यक्ष का पद विपक्ष के पास ही रहता है .आजकल पी ए सी के अध्यक्ष कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन  खाडगे हैं .
सुप्रीम कोर्ट के  फैसले में सी ए जी और पी ए सी का ज़िक्र आया है . फैसले के पृष्ठ २१ पर लिखा है कि,” राफेल की कीमत के डिटेल  भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक ( सी ए  जी )के साथ शेयर किए गए हैं और सी ए जी की  रिपोर्ट की जांच पी ए सी ( लोकलेखा समिति ) ने कर लिया है . “ . माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के इसी वाक्य पर सरकार बीजेपीकांग्रेस प्रधानमंत्री राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खडगे की प्रतिष्ठा दांव पर लग गयी है . पी ए सी के अध्यक्ष माल्लिकार्जुन खडगे ने  साफ़ कह दिया है पी ए सी को राफेल के सम्बन्ध में कोई रिपोर्ट नहीं मिली है . सी ए जी से भी पता लगा है कि राफेल से सम्बंधित रिपोर्ट जनवरी के अंत तक सरकार को दी जायेगी  क्योंकि अभी रिपोर्ट तैयार नहीं है. सवाल यह उठता  है कि अगर रिपोर्ट तैयार ही नहीं है तो सरकार के अटार्नी जनरल ने कौन से रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की है जिसकी बुनियाद पर ही सुप्रीम कोर्ट  का  फैसला दे दिया गया है . राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कान्फरेंस में साफ़ साफ़ कहा कि पी ए सी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे को जब कोई रिपोर्ट नहीं मिली और पी ए सी ने उस पर बहस नहीं की तो यह कौन से रिपोर्ट है जिसकी बात फैसले में की गयी है .उनका आरोप है कि सरकार ने झूठ बोला है .
 सी ए जी की तरफ से भी साफ़ संकेत हैं कि उनकी रिपोर्ट जनवरी के अंत तक आयेगी  . यानी उनकी कोई रिपोर्ट कहीं है ही नहीं  .अब झूठ का ज़िम्मा केवल दो  पार्टियों पर आकर  टिक जाता है . या तो पी ए सी केअध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे पर यह आरोप लगेगा और या सरकार पर . यह तय है कि उन दोनों में से कोई एक निस्श्चित तौर पर झूठ बोल रहा है . जहां तक पी ए सी की बात  है उसके पास झूठ  बोलने के विकल्प नहीं हैं क्योंकि सी ए जी की रिपोर्ट पी ए सी के अधिकारियों के पास आती है और वही उसको अध्यक्ष के सामने प्रस्तुत करता है . कोई भी अफसर अपनी नौकरी दांव पर  लगाना नहीं चाहेगा . अब तो सरकार ने ही स्वीकार कर लिया है कि सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने प्रकिया की सूचना दी थी , उन्होंने यह नहीं कहा था कि सी ए जी ने जांच कर लिया है और पी ए सी ने उसका परीक्षण कर लिया है  . साफ़ लगता है कि सरकार की  तरफ से ही सारा कनफ्यूज़न फैलाया गया है .

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