शेष नारायण सिंह
गौरी शंकर राय स्मृति समिति वालों की ओर से आज यहाँ आयोजित एक समारोह में पिछली सदी के राजनीतिक इतिहास पर ज़ोरदार चर्चा हुई. गौरी शंकर राय की याद में उनके पुराने साथी और समाजवादी विचारक सगीर अहमद ने स्वर्गीय राय के समर्थकों को इकठ्ठा किया था. बहुत बड़ी संख्या में लोग आये. आज़ाद हिंद फौज के कप्तान अब्बास अली आये तो जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के आनंद कुमार आये. समाजवादी पार्टी के रेवती रमण सिंह आये तो किसी छोटे राज्य के एक राज्यपाल भी अपने फौजी सहायक के साथ मौजूद थे. कांग्रेस के हरिकेश बहादुर भी थे और जे डी ( यू ) के महामंत्री के सी त्यागी भी . बहर हाल भारी भीड़ के बीच लगभग दिन भर चले कार्यक्रम में गौरी शंकर राय के करीब ५० साल के राजनीतिक जीवन के बहाने राजनीतिक मूल्यों पर चर्चा हुई और समाजवादी लेखक मस्त राम कपूर और कम्युनिस्ट नेता अतुल कुमार अनजान ने राजनीति के बुनियादी सवालों पर बात शुरू कर दी. ज़्यादातर नेता तो स्वर्गीय गौरी शंकर राय के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते रहे लेकिन अतुल अनजान की शुरुआत के बाद बहस राजनीति और मीडिया की भूमिका पर केंदित हो गयी. अतुल अनजान ने कहा कि आज पूंजीवादी ताक़तों के एजेंट खूब सक्रिय हैं . मीडिया संगठनों पर उन्होंने लगभग पूरी तरह से क़ब्ज़ा कर लिया है . कुछ गिने चुने अखबार बचे हैं जो अभी भी आम आदमी के सवालों को उठा रहे हैं .योजनाबद्ध तरीके से प्रचार किया जा रहा है कि समाजवाद का अब कोई मतलब नहीं रह गया है .मार्क्सवादी राजनीति अब बेमतलब हो गयी है . दुर्भाग्य यह है कि पूंजीवादियों के कंट्रोल में चल रहे मीडिया घरानों में काम करने वाले लोग अपनी समझ को मालिक की मर्ज़ी के हिसाब से ढाल कर काम कर रहे हैं . और किसी सेठ के मुनीम की तरह काम कर रहे हैं , अजीब बात है कि मोटी तनखाहें उठा रहे पत्रकार टी आर पी की बात कर रहे हैं और कारोबार बढाने की बात करके उसे ही नई पत्रकारिता का व्याकरण बता रहे हैं . राजनीतिक बिरादरी के लोगों को चोर और बेईमान के रूप में पेश करके राजनीति की परम्परा को बदलने की सजिश भी साथ साथ चल रही है . भ्रष्ट राजनेता के हवाले से पूरी राजनीतिक जमात को नाकारा साबित करने की कोशिशभी इसी साज़िश का हिस्सा है .
स्वर्गीय गौरी शंकर राय ने पूंजीवादी साम्राज्यवादी राजनीतिक शक्तियों को बेनकाब करने के लिए आजीवन काम किया . अतुल अनजान ने कहा उनको याद करके आज यह संकल्प लिया जाना चाहिए कि हर तरफ जनवादी ताक़तों को कमज़ोर करने की जो कोशिश चल रही है उसे नाकाम किया जाए .
कामरेड अतुल अंजान के बेबाक विचारों को केन्द्रित करके आपने समय की आवश्यकता को उठाया है जिसकी बेहद ज़रूरत थी।
ReplyDeleteइस कार्यक्रम में वक्ताओं ने ५० वर्ष पूर्व की राजनीति व राजनैतिक मूल्यों तथा राजनैतिक चरित्र पर चर्चा की।अधोगति को प्राप्त होते मूल्यों के क्षरण के प्रति भी चिन्ता व्यक्त की गयी।
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