Friday, February 5, 2010

राहुल गाँधी बोल्या----- मुंबई में मनमानी नहीं चलेगी

शेष नारायण सिंह


राहुल गांधी ने अपनी मुंबई यात्रा से साबित कर दिया है कि उनमें जन नेता बनने की वही ताकत है जो उनके पिताजी के नाना जवाहर लाल नेहरू में थी। जवाहरलाल नेहरू के बारे में बताते हैं कि वे भीड़ के अंदर बेखौफ घुस जाते थे। राहुल गांधी ने उससे भी बड़ा काम किया है। उन्होंने मुंबई में आतंक का पर्याय बन चुके ठाकरे परिवार और उनके समर्थकों को बता दिया है कि हुकूमत और राजनीतिक इच्छा शक्ति की मजबूती के सामने बंदर घुड़की की राजनीति की कोई औकात नहीं है।

शुक्रवार को मुंबई में राहुल गांधी उन इलाकों में घूमते रहे जो शिवसेना के गढ़ माने जाते हैं लेकिन शिवसेना के आला अधिकारी बाल ठाकरे के हुक्म के बावजूद कोई भी शिवसैनिक उनको काले झंडे दिखाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। अपनी मुंबई यात्रा के दौरान राहुल गांधी के व्यवहार से एक बात साफ हो गई है कि अब मुंबई में शिवसेना का फर्जी भौकाल खत्म होने के मुकाम पर पहुंच चुका है। सुरक्षा की परवाह न करते हुए राहुल गांधी ने उन इलाकों की यात्रा आम मुंबईकर की तरह की जहां शिवसेना और राज ठाकरे के लोगों की मनमानी चलती है। लेकिन राहुल गांधी ने साफ बता दिया कि अगर सरकार तय कर ले तो बड़ा से बड़ा गुंडा भी अपनी बिल में छुपने को मजबूर हो सकता है।

मुंबई में राहुल गांधी का कार्यक्रम एसपी.जी. की सुरक्षा हिसाब से बनाया गया था। सांताक्रज हवाई अड्डे पर उतरकर उन्हें हेलीकोप्टर से जुहू जाना था जहां कालेज के कुछ लडके -लड़कियों के बीच में उनका भाषण था। यहां तक तो राहुल गांधी ने सुरक्षा के हिसाब से काम किया। कालेज में भाषण के बाद राहुल गांधी को फिर हेलीकाप्टर से ही घाटकोपर की एक दलित बस्ती में जाना था लेकिन उन्होंने इस कार्यक्रम को अलग करके मुंबई की लोकल ट्रेन से वहां पहुंचने का फैसला किया। जुहू से अंधेरी रेलवे स्टेशन पहुंचे, वहां एटीएम से पैसा निकाला, फिर वहां से चर्चगेट की फास्ट लोकल पकड़ी। दादर में उतरे और पुल से स्टेशन पार किया जैसे आम आदमी करता है। दूसरी तरफ जाकर सेंट्रल रेलवे के दादर स्टेशन से घाटकोपर की ट्रेन पर बैठे और आम आदमियों से मिलते जुलते अपने कार्यक्रम में पहुंच गए। शिवसेना वाले अपने मालिक के हुक्म को पूरा नहीं कर पाए और शहर में कहीं भी काले झंडे नहीं दिखाए गये।

राहुल गांधी की हिम्मत के यह चार घंटे भारत में गुंडई की राजनीति के मुंह पर एक बड़ा तमाचा है। अजीब इत्तफाक है कि इस देश में गुंडों को राजनीतिक महत्व देने का काम राहुल गांधी के चाचा, स्व. संजय गांधी ने ही शुरू किया था। और अब गुंडों को राजनीति के हाशिए पर लाने का बिगुल भी नेहरू के वंशज राहुल गांधी ने ही फूंका है। जो लोग मुंबई का इतिहास भूगोल जानते हैं, उन्हें मालूम है कि अंधेरी से लोकल ट्रेन के जरिए घाटकोपर जाना अपने आप में एक कठिन काम है। जिन रास्तों से होकर ट्रेन गुजरती है वह सभी शिवसेना के प्रभाव के इलाके हैं और वहां कहीं भी,कोई भी आम आदमी राहुल गांधी के खिलाफ नहीं खड़ा हुआ। इससे यह बात साफ है कि मुंबई महानगर में भी कुछ कार्यकर्ताओं के अलावा बाल ठाकरे और राज ठाकरे के साथ कोई नहीं है।

हालांकि यह मानना भी नहीं ठीक होगा कि सुरक्षा एजेंसियों ने राहुल गांधी की हर संभव सुरक्षा का पक्का इंतजाम नहीं किया होगा लेकिन मुंबई में शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुकामी दादाओं के आतंक के साए में रह रहे लोगों का यह मुगालता जरूर टूटेगा कि शिवसेना वालों को कोई नहीं रोक सकता। राहुल गांधी की ताज़ा मुंबई यात्रा से यह संदेश जरूर जायेगा कि अगर हुकूमत तय कर ले तो कोई भी मनमानी नहीं कर सकता। पता चला है कि पुलिस ने शिवसेना के मुहल्ला लेवेल के नेताओं को ठीक तरीके से धमका दिया है और पुलिस की भाषा में धमकाए गए यह मुकामी दादा लोग आने वाले वक्त में जोर जबरदस्ती करने से पहले बार बार सोचेंगे। कुल मिलाकर राहुल गांधी ने शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के फर्जी भौकाल पर लगाम लगाकर आम मुंबईकर को यह भरोसा दिलाया है कि सभ्य समाज और बाकी राजनीतिक बिरादरी भविष्य में उसे शिवसेना छाप राजनीति के रहमोकरम पर नहीं छोड़ेगी।

1 comment:

  1. ये एक अच्छा संकेत है बिलकुल सही लिखा है आपने । जब तक नेता इच्छा शक्ति से काम नही करेंगे तब तक सुधार होना मुश्किल है अगर वो ठान लें तो बहुत कुछ अच्छा हो सकता है धन्यवाद जय हिन्द्

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