शेष नारायण सिंह
ब्रिटेन के पूर्व प्रधान मंत्री , टोनी ब्लेयर ने कुछ दिन पहले बी बी सी को दिए गए एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि उन्होंने झूठ बोल कर इराक पर हमले की योजना बनायी थी . उनके उस इकबालिया बयान के अनुसार उनको यह मालूम था कि इराक के तत्कालीन राष्ट्रपति , सद्दाम हुसैन के पास सामूहिक जन संहार के हथियार नहीं थे लेकिन उन्होंने खुफिया रिपोर्टों में फेर बदल करके इराक पर हमला करने के लिए तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति , जार्ज डब्ल्यू बुश की योजना को समर्थन दिया था और ब्रिटिश फ़ौज को उस लड़ाई में शामिल कर दिया था. इस बयान के बाद ब्रिटिश सरकार ने अवकाश प्राप्त , नौकरशाह सर जॉन चिल्कोट की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन किया है जिसका काम इराक युद्ध में ब्रिटेन की भूमिका की विस्तृत जांच करना है ..शुक्रवार को इस कमेटी के सामने पूर्व ब्रिटिश प्रधान मंत्री, टोनी ब्लेयर पेश हुए और उन्होंने इराक युद्ध के दौरान और उसके पहले किये गए अपने कारनामों को सही ठहराया. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें फिर मौक़ा मिला तो वे दोबारा भी वैसा ही फैसला लेंगे
टोनी ब्लेयर पर अक्सर आरोप लगते रहते हैं कि उन्होंने इराक युद्ध में शामिल होने का र्फैसला इसलिए किया था कि उनकी उस वक़्त के राष्ट्रपति बुश से कोई निजी बातचीत हो गयी थी. जब वे बुश से उनके टेक्सास वाले, फ़ार्म हाउस पर मिले थे . उन पर यह भी आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने इस गैरकानूनी युद्ध में बुश से अपनी दोस्ती को पुख्ता करने के लिए , ब्रिटेन के हितों की अनदेखी करते हुए निजी कारणों से सेना को भेज दिया था . लन्दन में इराक जांच कमेटी के सामने पेश होने पर ब्लेयर ने सभी आरोपों को गलत बताया और यह भी कहा कि उनका फैसला सही था. सुनवाई के लिए जहां ब्लेयर को तलब किया गया था, वहां उन लोगों के लिए भी जगह रखी गयी थे जिनके परिवार के लोग ब्रिटिश सेना में थे और इराक युद्ध में मारे गए थे . ६ घंटे तक चली सुनवाई एक दौरान जब भी ब्लेयर ने अपने कारनामे को सही ठहराया , तो दर्शकों में मौजूद मारे गए सैनिकों के रिश्तेदारों ने उन्हें ऊंची आवाज़ में झूठा और हत्यारा कहा लेकिन ब्लेयर अपनी बात पर अड़े रहे .ब्रिटेन की जनता में ब्लेयर के प्रति बहुत नाराज़गी है क्योंकि वहां की अवाम अभी उनके इराक युद्ध के गैरज़िम्मेदार फैसले और उसके नतीजों से उबर नहीं पायी है ... ब्रितानी अखबारों की राय में २००७ में सत्ता से हटाये जाने के बाद ब्लेयर ने इराक पर हमला करने वाली अपनी छवि का फायदा उठा कर पूरी दुनिया में भाषण दिए और करीब १५० करोड़ रूपये के बराबर दौलत इकठ्ठा कर लिया है . शायद इसीलिए वे अपने आपको इराक युद्ध के हीरो के रूप में पेश करके कुछ न कुछ कमाई करते रहना चाहते हैं ... जब गवाही के लिए उनको लाया गया तो उनके ऊपर हमले का ख़तरा बना हुआ था . उनकी कार को बहुत ही कड़ी सुरक्षा के बीच अन्दर लाया गया . बाहर हल्की बारिश हो रही थी लेकिन करीब ३०० लोग जमा थे और ब्लेयर के खिलाफ नारे लगा रहे थे . हाथों में ब्लेयर विरोधी नारों की तख्तियां लिए यह लोग मांग कर रहे थे कि ब्लेयर को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए ..लेकिन पूरी जिरह के दौरान ब्लेयर ने अपनी ट्रेड मार्क बेशर्मी को बरकरार रखा .जांच कमेटी के मुखिया जॉन चिल्कोट ने जब उनसे पूछा कि क्या ब्लेयर को अपने कारनामे के लिए कोई अफ़सोस है उन्होंने कहा कि मैं पूरी ज़िम्मेदारी के साथ स्वीकार करता हूँ कि मैंने जो भी फैसला लिया राष्ट्र हित में लिया . लेकिन ब्रितानी समाज में उसकी वजह से विभाजन हो गया है उसका उन्हें अफसोस है .अलबत्ता सद्दाम को हटाये जाने के बारे में उन्हें कोई अफ़सोस नहीं है . जब ब्लेयर ने यह बात कही तो श्रोताओं में मौजूद उन महिलाओं के रोने की आवाजें साफ़ सुनाई दे रही थीं जिनके बच्चे इस गैरकानूनी और गैरज़रूरी लड़ाई में मारे गए थे ..कमेटी ने ब्लेयर से पूछा कि संयुक्त राष्ट्र की राय को प्रभावित करने के लिए भी उन्होंने खुफिया सूचनाओं में हेराफेरी क्यों की तो उनका जवाब था कि मुझे उन हालात में एक फैसला लेना था सो मैंने लिया . उन्होंने दावा किया कि वह एक फैसला था और उसे झूठ, साज़िश और धोखा जैसे नाम देना ठीक नहीं होगा . उन्होंने कहा कि सद्दाम हुसैन का जो इतिहास रहा है , उसके मद्दे-नज़र उन्हें हटाने का बुश का फैसला सही था . उसकी नैतिकता या वैधानिकता पर बहस करने की कोई ज़रुरत नहीं है . ब्लेयर ने कहा कि ११ सितम्बर २००१ के दिन अमरीका पर हुए हमले के बाद रिस्क का हिसाब किताब करने के तरीके बदल गए थे ... सवाल उठता है कि जब अमरीका भी कह रहा था कि अल कायदा का सद्दाम हुसैन से कोई सम्बन्ध नहीं था तो सद्दाम हुसैन पर हमले का क्या औचित्य है . बुश और ब्लेयर पर आरोप लगते रहे हैं कि सद्दाम हुसैन पर हमला इसलिए किया गया था कि बुश के कुछ बड़ी अमरीकी तेल कंपनियों से सम्बन्ध थे . ब्लेयर ने शुक्रवार को अपनी गवाही में बुश का साथ देने के लिए भी कोई अफ़सोस नहीं जताया.
पूरी जिरह के दौरान ब्लेयर ने जांच कमेटी को कन्फ्यूज़ करने की भी कोशिश की. बार बार कहते रहे कि अगर उस वक़्त सद्दाम को न हटाया गया होता तो आज वह बहुत खतरे पैदा कर सकते थे . जब पूछा गया कि किसी नुकसान के अंदेशे में आपने ब्रिटेन को एक गैर ज़रूरी युद्ध में क्यों धकेल दिया तो वे बगलें झांकते रहे..लेकिन इराक युद्ध पर अपनी अब तक की सोच को सही साबित करने में कोई चूक नहीं की.
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