Tuesday, July 15, 2014

गाजा में मारे जा रहे बच्चों की चीख क्यों नहीं सुन रही है दुनिया ?



शेष नारायण सिंह 



पश्चिम एशिया में इजरायल का आतंक हर तरह से नज़र  रहा है .  इजरायली हमलों में अब तो दुधमुंहें बच्चे भी मारे जा रहे हैं . जहां तक फिलीस्तीनीअवाम का सवाल है अब तो वह पूरी तरह से इजरायल के रहमो करम पर जिंदा है . इजरायल ने यह लड़ाई अपने तीन नौजवानों के अपहरण और उनकीह्त्या  के बाद शुरू किया था . हुआ  यह था कि जून में वेस्ट बैंक के हेब्रान शहर में रहने वाले हमास के दो सदस्यों ने यहूदी  लड़कों को पकड़ लिया था औरआरोप है  कि बाद में उनकी हत्या कर  दीकथित हत्यारे हेब्रान के ही रहने वाले बताए जाते हैं .अभी इजरायल की पूरी सेना  और उनका सारा खुफिया तंत्र ,मुख्य अभियुक्तों को पकड़ने में नाकाम है . लेकिन उसी बहाने से पूरे इलाके में आतंक का राज कायम कर रखा है . पूरे फिलिस्तीन में आतंक ही आतंक है . कल ही खबर आई थी कि इजरायली सेना ने गाजा शहर में विमान से पर्चे फेंके थे जिनमें लिखा था कि जो लोग शहर छोड़कर भाग नहीं जायेगे उनकी जान की रक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती. सब लोग घर बार छोड़कर भाग रहे हैं और शहर से दूर बनायी गयी जगहों पर शरण ले रहे हैं . इजरायल ने दावा किया है कि गाजा में हमास का एक अहम सैनिक ठिकाना है जहां से इजरायली इलाकों को निशाना बनाकर राकेट दागे जाते हैं . इजरायल ने बाद में हमला किया तो गाजा शहर के पुलिस प्रमुख तासीर बत्श के घर को निशाने पर लिया गया . उनके परिवार के १८ सदस्य मार डाले गए जिनमें छः बच्चे भी थे. खुद पुलिस प्रमुख को घायल हालत में अस्पताल में दाखिल करवाया गया है जहां आई सी यू में  उनका इलाज़ चल रहा है .. उधर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने साफ़ कह दिया है कि जब तक हमास को सबक नहीं सिखा दिया जाता , तब तक हमलों में कोई ढील नहीं दी जायेगी .  उनका दावा है कि हमास को तोड़ दिया जाएगा और उसके बाद बहुत समय तक शान्ति का माहौल बना रहेगा . लेकिन यह बेकार की बात है .इसके पहले भी इजरायल ने हमास को  दुरुस्त करने के लिए हमले किये हैं . २००८-०९ और २०१२ के हमले भी इसी मकसद से किये गए थे. हालांकि उन दोनों अभियानों में हमास  की सैनिक ताक़त थोड़ी कमज़ोर तो हुई थी लेकिन बहुत जल्द ही फिर वे एकजुट हो गए थे . देखा यह गया है कि इजरायली हमले के बाद हमास के पास नए हथियार आ जाते हैं . राकेट तो उनका नया हथियार है . ज़ाहिर है कि हमास और हेज़बोल्ला को भी समर्थन देने वाली शक्तियों की कमी नहीं है . पिछले इजरायली हमलों को हमास वाले अब मजाक का विषय बताने लगे हैं और कहते हैं कि हर दो तीन साल बाद इजरायल इस तरह से हमले करता है जैसे उसके सैनिक लान की कटाई छंटाई करने आते हैं . लेकिन यह  रुख भी सही नहीं है. युद्ध के काम को बारीकी से समझने वाले हमास के कार्यकर्ता तो बच जाते हैं लेकिन हर इजरायली हमले में आम आदमी , औरतें और बच्चे काल के गाल में जाने को अभिशप्त हो जाते हैं . हमास वालों के इस तरह के रवैए का ही नतीजा है कि इस बार इजरायली सेना ने तय कर रखा है कि इस बार इजरायली सेना को तब तक काम करने दिया जाएगा जब तक कि हमास को खत्म न कर दिया जाए . इजरायल में भी पिछली दो बार के हमलों को लेकर असंतोष है.अजीब बात है कि इजरायल में इस तरह से खुले आम गैर सैनिक नागरिकों को मारने काटने का सिलसिला बदस्तूर जारी है और दुनिया भर में मानवाधिकारों की डुगडुगी बजाने वाले अमरीका के विदेशनीति के नियंताओं को कहीं नहीं नज़र आ रहा है . गाजा में हुए मौजूदा हमलों में कम से कम १६६ लोग मरे हैं जिनमें  ३६ बच्चे और २४ महिलायें शामिल हैं . संयुक्त राष्ट्र की तरफ से इस इलाके में शान्ति की कोशिश कर रही संस्थाओं के आकलन है कि हालात बहुत ही खतरनाक हैं .  

इजरायल के बड़े अधिकारियों का कहना है कि इस बात की कोई संभावना नहीं है कि हमास को पूरी तरह से तबाह किया जा सकता है . इस हमले के बाद भी हमास के सैनिक ढाँचे का कुछ  भी बिगड़ने वाला नहीं है . लेकिन हमास और उसके सभी समर्थकों का आरोप है कि इजरायल की अपनी कोई ताकत नहीं है . इस इलाके में जो भी नरसंहार हो रहा है सबके पीछे अमरीका है क्योंकि अमरीका हर साल इजरायल के लिए ३ अरब डालर की सैनिक सहायता देता है .इजरायली हमले की चारों तरफ से निंदा हो रही है . खासकर बच्चों और औरतों को जिस  बेदर्दी से मारा जा रहा है उसके कारण पूरी दुनिया में सभी समाजों में इनकी निंदा हो रही है .हालांकि इजरायल की इस मनमानी का विरोध इंसानी स्तर पर अमरीका सहित सभी देशों में हो रहा है लेकिन सरकारों के रुख स्वार्थी तरीकों से  तय हो रहे हैं. पूरी दुनिया में इस्लाम के नाम पर एकता का नारा देने वाली सरकारें भी अमरीका की दहशत के कारण इजरायल का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं .अमरीका के इस्लामी दोस्त जार्डनसंयुक्त अरब अमीरात ,तुर्की ,क़तर बहरीनओमानलेबनान और कुवैत इजरायल के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे  हैं . हालांकि हमास के आतंकवादी तरीकों को भी सही नहीं माना जा सकता लेकिन अमरीका को चाहिए कि वह इजरायल को रोके. इस सारी प्रक्रिया में भारत सरकार की भूमिका आत्मघाती लक्षणों से परिपूर्ण है . जो भारत पश्चिम एशिया में जायानिस्ट आतंक का हमेशा  विरोध करता रहा है , गाज़ा में मारे जा रहे बच्चों की चीख को क्यों नहीं सुन पा रहा है . यह बात समझ से परे है .

No comments:

Post a Comment