शेष नारायण सिंह
जस्टिस राजिंदर सच्चर ने कहा की 12 जनवरी 1998 के दिन पुलिस फायरिंग में हुयी 24 किसानों और एक पुलिस कर्मी की हत्या में डॉ सुनीलम को जो सजा हुयी है ,वह न्याय की कसौटी पर सही नहीं है .उसमें बहुत सारी गलतियाँ हैं . उन्होंने कहा कि एक किसान ने मरने के पहले एक बयान दिया था। मौत के समय दिए गए बयान को न्याय प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन अजीब बात है की कोर्ट ने उसके बयान को साक्ष्य नहीं माना . उन्होंने कहा कि मुलताई केस को देखने से लगता है की बीजेपी और कांग्रेस में कोई विवाद नहीं है।खासकर जब गरीब आदमी के अधिकारों को छीन कर पूंजीपतियों को खुश करना होता है . उन्होने कहा की जब मुलताई में गोली चली थी तो कांग्रेस नेता ,दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। उसके बाद बीजेपी के कई नेता मुख्यमंत्री बने लेकिन मध्य प्रदेश सरकार का रुख वही बना रहा .उन्होंने इस बात पर अफ़सोस जताया कि 24 किसानों को उस दिन मार डाला गया था लेकिन किसी भी न्यायिक जांच के आदेश नहीं दिए गए . पुलिस ने मनमानी करके केस बनाया और साजिशन डॉ सुनीलम और दो किसानों को सज़ा दिलवा दी। . उन्होंने कहा क़ानून का कोई भी विद्यार्थी बता देगा कि इस केस में किसी भी हालत में सज़ा नहीं होनी चाहिए थी लेकिन लगता है कि न्याय प्रक्रिया किसी दबाव के तहत काम कर रही थी।
No comments:
Post a Comment