(10सितम्बर को लिखा था )
शेष नारायण सिंह
नई दिल्ली,१० सितम्बर.लोक प्रतिनधित्व कानून २०५१ में साफ़ लिखा है कि अगर कोई राजनीतिक पार्टी किसी से २० हज़ार रूपये से ज्यादा चंदा लेती है तो उसके बारे में चुनाव आयोग को सूचित करना अनिवार्य है . राजनीतिक पार्टियां किसी विदेशी कंपनी ,संस्था या व्यक्ति से राजनीतिक काम के लिए चंदा नहीं ले सकतीं.चुनाव सुधारों के लिए काम कर रही संस्था, ए डी आर ने २००३ से २०११ तक राष्ट्रीय पार्टियों और कुछ क्षेत्रीय पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी हासिल की है जिससे पता चलता है कि बड़ी पार्टियों ने खूब झूमकर चंदा लिया है . एक दिलचस्प बात यह है कि दान दाता कंपनियों में बड़ी संख्या उन कारपोरेट घरानों की है जो दूरसंचार और खनिज सम्पदा के घपलों में नाम कमा चुके हैं
पिछले सात वर्षों में सबसे ज्यादा आमदनी कांग्रेस को हुई है . उसे २००८ करोड़ रूपये का चंदा मिला है . दूसरे नंबर पर बीजेपी है इसी कालखंड में जिसकी आमदनी ९९४ करोड़ रूपये की है. इसके बाद उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी है जिसकी आमदनी ४८४ करोड़ रूपये हैं ,मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को ४१७ करोड़ रूपये मिले हैं जबकि समाजवादी पार्टी ओ २७९ करोड़ रूपये की आमदनी हुई है.दिलचस्प बात यह है कि बहुजन समाज पार्टी ने दावा किय है कि २००९ और २०११ के बीच में उसे एक भी स्रोत से २० हज़ार से ज़्यादा चंदा नहीं मिला है लेकिन इसी काल खंड में उसे १७२ करोड़ रूपये का चंदा नंबर एक में मिला है .यानी इतनी बड़ी रक़म २० हज़ार से कम के दान दाताओं ने दी है . यह वही काल खंड है जब उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी.
इस काल खंड में जिन कंपनियों ने राजनीतिक दलों को खूब प्रेम से दान दिया है उनमें कई कम्पनियां ऐसी हैं जो या तो कोयला घोटाले से सम्बंधित हैं या अन्य किसी घोटाले में उनका नाम है . नरेंद्र मोदी के विवादित वाइव्रेंट गुजरात प्रोजेक्ट के समर्थक सेठ भी राजनीतिक चंदे के दान दाताओं में प्रमुख रूप से पाए जा रहे हैं . सबसे बड़े दान दाताओं में टोरेंट पावर , एशियानेट टीवी होल्डिंग ,स्टरलाईट , आई टी सी ,वीडियोकान ,लार्सेन & टुब्रो आदि हैं . बहुत सारी कम्पनियाँ ऐसी हैं जिन्होंने सभी सत्ताधारी पार्टियों को चंदा दिया है . कारपोरेट घरानों ने चंदा देने के लिए एक नया तरीका निकाला है . कई बड़े घरानों ने इलेक्टोरल ट्रस्ट बना रखा है .इनमें से कुछ के नाम से तो उसकी प्रमोटर कंपनी को पहचाना जा सकता है लेकिन कुछ ऐसे हैं जिनके नाम से आसानी से उसके सेठ के बारे में जानकारी हासिल कर पाना बहुत ही मुश्किल है . ट्रस्टों के नाम बड़े ही सम्माननीय हैं . जनरल एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ,पब्लिक एंड पालिटिकल अवेयरनेस ट्रस्ट ,भारती एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ,एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट,हार्मनी एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ,सत्या एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ,चौगले एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट और कारपोरेट एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट. जिस एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट ने सबसे ज़्यादा चंदा दिया है उसका नाम है, जनरल एलेक्ट्रोरल ट्रस्ट . इसने कांग्रेस और बीजेपी को खूब खुल कर चंदा दिया है . यह वेदान्त ग्रुप का ट्रस्ट बताया जाता है . एयरटेल वाली कंपनी का भी एक ट्रस्ट है और उसने भी खूब दान किया है .
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