शेष नारायण सिंह
सरकारी ज़मीन का मालिकाना हक निजी हाथों में सौंपने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बाधा को पार कर लिया है. पी पी पी के नाम पर सरकारी ज़मीन को बहुत आसानी से निजी उद्योगों के विकास के लिए दिया जा सकेगा. अब तक सरकार के एक विभाग से दूसरे विभाग को तो ज़मीन आसानी से दी जा सकती थी लेकिन अगर सरकारी ज़मीन को किसी निजी कंपनी या व्यक्ति को देना होता था तो उसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने की ज़रुरत होती थी. ज़मीन की मिलकियत में बदलाव के लिए पी पी पी के नाम पर विकसित की जा रही योजनाओं को भी निजी क्षेत्र की तरह माना जाता था. इसलिए जब कोई भी ज़मीन किसी भी निजी भागीदारी वाली कम्पनी को देनी होती थी तो उसकी विधिवत जांच होती थी और उसके बाद ज़मीन दी जा सकती थी. प्रधान मंत्री ने आज वह बाधा भी दूर कर दी . अब अगर कोई भी मंत्री चाहता है तो वह अपने विभाग की सरकारी ज़मीन , बुनियादी ढांचागत विकास के किसी प्रोजेक्ट को बिना कैबिनेट की मंजूरी के किसी पी पी पी परियोजना को बड़ी आसानी से दे सकेगा. पिछले साल की शुरुआत में सरकारी ज़मीन को किसी भी गैरसरकारी संस्था या कंपनी को देने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गयी थी. केवल एक सरकारी विभाग से दूसरे सरकारी विभाग को ज़मीन देने की अनुमति थी. उसके बाद वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने सरकारी ज़मीन के हस्तांतरण के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की इसके पहले अगर कोई मंत्रालय अपने अधीन किसी विभाग की मिलकियत वाली ज़मीन को किसी भी पी पी पी प्रोजेक्ट को देना चाहता था तो उसे बाकायदा एक प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट के पास भेजना पड़ता था. इस काम में समय भी लगता था और सरकार के साथी उद्योगपतियों को परेशानी भी होती थी. प्रधान मंत्री ने आज आर्थिक कार्य विभाग की तरफ से तैयार पालिसी को मंजूरी देकर सरकारी ज़मीन को पी पी पी माडल के ज़रिये निजी हाथों में सौंपने की दिशा में आने वाली हर बाधा को दूर कर दिया है .सरकार का दावा है कि इसके बाद बुनियादी ढांचे वाली किसी परियोजना में कोइ अड़चन नहीं आयेगी क्योंकि आजकल ज़्यादातर इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में सरकार का काम केवल ज़मीन देने तक ही सीमित रह गया है बाकी सब कुछ तो निजी कंपनी करती है . यह भी सच है कि उसका लाभ भी निजी कंपनी ही लेती है और आम जनता उसमें आर्थिक बोझ के नीचे दबती जाती है लेकिन पूंजीवादी माडल के आर्थिक विकास को अपना चुकी यू पी ए सरकार के लिए जनता का हित आर्थिक विकास में कोई ख़ास प्राथमिकता नहीं रखता . अभी तक ज़्यादातर बुनियादी ढाँचे वाले पी पी पी प्रोजेक्ट निजी कंट्रोल में ही हैं . अब तो सड़कें ,रेल,बन्दरगाह ,हवाई अड्डे आदि भी निजी कंपनियों के हवाले कर दिए गए हैं .प्रधान मंत्री ने आज जो मंजूरी दी है उसके बाद अब अगर सरकारी नियम के अनुसार मंत्रालय के अधीन आने वाली ज़मीन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को दी जा सकेगी. अगर कोई भी प्रस्ताव पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रूवल कमेटी के ज़रिये आयेगा और उस प्रस्ताव को सम्बंधित मंत्री की मंजूरी होगी तो उसे पी पी पी कंपनी को देने में कोई दिक्क़त नहीं आयेगी. आज के बाद अब रेलवे के पास जो ज़मीन का बहुत भारी ज़खीरा है वह भी पी पी पी वालों को देने में कोई दिक्क़त नहीं आयेगी. इस काम की शुरुआत बहुत पहले कर ली गयी थी जब तत्कालीन रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने रेल लैंड डेवलपमेंट अथारिटी बनाकर यह काम चालू कर दिया था अब प्रधान मंत्री की मंजूरी के बाद पी पी पी के नाम पर रेलवे की कोई भी ज़मीने निजी कमपनियों को आसानी से दी जा सकेगी . सरकार ने दावा किया है कि इसके बाद पी पी पी माडल वाले ढांचागत उद्योगों में बहुत तेज़ी से प्रगति होगी. |
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