शेष नारायण सिंह
संस्कृति मंत्रालय के काम काज देखने वाली स्थाई समिति के सदस्य इस बार से बहुत निराश हैं कि महात्मा गाँधी से सम्बंधित विरासत के स्थानों के बारे में सरकार ने जो फैसले किये थे उन्हें भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है . कमेटी को पता चला है कि गाँधी हेरिटेज साईट मिशन की स्थापना के लिए 2010-11 की वार्षिक योजना में 5 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया था . अप्रैल 2006 में भारत सरकार ने गाँधी हेरिटेज साईट पैनल की स्थापना की जिसने गाँधी हेरिटेज साईट मिशन पोर्टल शुरू करने का सुझाव दिया . कमेटी को बताया गया कि 2012-13 में गाँधी हेरिटेज साईट मिशन पोर्टल के लिए 20 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया लेकिन केवल 2 करोड़ रूपये वास्तव में दिए गए. . कमेटी को इस बात पर रंज है कि जब 20 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया गया था तो उसे घटाकर 2 करोड़ रूपये क्यों कर दिया गया . सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है .
संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करने वाले ज़्यादातर महकमों में निराशा का माहौल है . इस मंत्रालय का एक विभाग है भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ( ए एस आई ).इस संगठन को मौजूदा साल के लिए 161.75 करोड़ रूपये दिए गए थे जिसमें से 29 फरवरी तक केवल 133.90 करोड़ रूपये खर्च किये जा सके . भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण का सारा काम अजीबो गरीब तरीके से हो रहा है . जब कमेटी ने मौके का मुआइना किया तो पता चला कि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पास ऐसी कोई योजना नहीं है जिसके तहत वह अपने कर्मचारियों और विशेषज्ञों का प्रशिक्षण करवाती हो या कोई रिफ्रेशर कोर्स चलवाती हो . यहाँ के अधिकारी ,ख़ास कर प्रशासन और वित्त विभाग के लोग पता नहीं कब से किसी ट्रेनिंग कार्यक्रम में नहीं गए हैं.
कमेटी को पता चला है कि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण में स्टाफ की भारी कमी है . जिसके कारण काम का बहुत नुकसान हो रहा है . पता चला है कि 1985 में एक इंस्टीटयूट आफ आर्कियोलाजी की स्थापना हुई थी जिसका काम अभी शुरू ही नहीं हो सका है. सरकारी तौर पर बताया गया कि इस संस्थान को इस लिए नहीं शुरू किया जा सका क्योंकि उसके लिए ज़रूरी कर्मचारियों की कमी है . कमेटी ने सरकार को चेताया है कि अगर काम करने के लिए कर्मचारियों की भर्ती में नौकरशाही के अड़ंगे लगते रहे तो भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण का काम कैसे चलेगा. कमेटी ने सुझाव दिया है कि भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण को एक वैज्ञानिक विभाग माना जाए और उसके लिए ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएँ
नेशनल म्यूज़ियम के बारे में भी रिपोर्ट में निराशा जताई गयी है और कहा गया है कि अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति सरकार बिलकुल लापरवाह है . और उसे राष्ट्र की धरोहर की हिफाज़त में लगी संस्थाओं को गंभीरता से लेना चाहिए
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