शेष नारायण सिंह
भारत के व्यापार मंत्री आनंद शर्मा पिछले दिनों पाकिस्तान गए थे. उनकी यात्रा का मकसद पाकिस्तान को यह समझाना था कि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ने से बहुत फायदा होगा. अब बयान आया है कि भारत और पाकिस्तान इस बात पर सहमत हो गए हैं कि वे एक ऐसी योजना पर काम करेगें जिसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते पूरी तरह से सामान्य हो जायेगें.यह बड़ी बात है क्यों कि इस फैसले के एक दिन पहले ही पाकिस्तानी मंत्रिमंडल ने इसी विषय पर एक फैसले नहीं लिया था और मामले को टाल दिया था. भारत और पाकिस्तान में रहने वाले बहुत सारे परिवारों के बीच जितने क़रीबी सम्बन्ध हैं ,उतने दुनिया में किन्हीं भी दो देशों की जनता के बीच नहीं हैं .लेकिन राजनेताओं की अदूरदर्शिता के चलते रिश्तों में खटास हमेशा बनी रहती है . हालांकि पाकिस्तान और भारत में नेताओं का एक ऐसा वर्ग भी है जो दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करना चाहता है लेकिन दोनों ही देशों में ऐसे पुरातनपंथी सोच के लोग मौजूद हैं जो रिश्तों को खराब बनाए रखने में सफल रहते हैं . दोनों ही मुल्कों में ऐसे लोग हैं जिनका राजनीतिक धंधा ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर ही निर्भर करता है .
शान्ति स्थापित करने की मुहिम में लगे लोगों के लिए संतोष की बात यह है कि आजकल दोनों ही देशों के बीच उन लोगों की ताक़त बढ़ रही है रिश्तों को मज़बूत करना चाहते हैं बुधवार को इस्लामाबाद में हुए समझौते को इसी रोशनी में देखे जाने की ज़रुरत है . यह समझौता इस बात का सबूत है कि भारत के व्यापार मंत्री आनंद शर्मा और पाकिस्तान के व्यापार मंत्री,मख्दूम मोहम्मद अमीन फहीम अपने देशों के बीच के दोस्ताना रिश्तों को आगे बढ़ाना चाहते हैं .यह इस बात का भी सबूत है को दोनों देशों के बीच अब सरकारी स्तर पर भी गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं कि ट्रैक टू डिप्लोमेसी को आगे बढ़ाना है .
आनंद शर्मा की पाकिस्तान यात्रा के ठीक बाद भारत की लोकसभा की स्पीकर मीरा कुमार भी संसद सदस्यों के एक गुडविल मिशन का नेतृत्व करेगीं. वे अगले हफ्ते इस्लामाबाद जा रही हैं . इस प्रतिनिधि मंडल में अन्य लोगों के अलावा बीजेपी के सैय्यद शाहनवाज़ हुसैन और तरुण विजय भी शामिल हैं .यह यात्रा पाकिस्तान की संसद , कौमी असेम्बली की स्पीकर डॉ फहमीदा मिर्ज़ा के निमत्रण पर हो रही है . मीरा कुमार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसूफ रजा गीलानी ने भी पाकिस्तान आने की दावत दिया था.. इसके पहले लोकसभा का कोई भी स्पीकर कभी भी पाकिस्तान की यात्रा पर नहीं गया है. यह बहुत ही दिलचस्प संयोग है कि भारत और पाकिस्तान ,दोनों ही देशों में आजकल संसद के निचले सदन की पीठासीन अधिकारी महिलायें हैं . दरअसल पाकिस्तानी कौमी असेम्बली की स्पीकर डॉ फहमीदा मिर्ज़ा तो किसी भी एशियायी देश की पहली महिला स्पीकर हैं . मीरा कुमार २००९ में लोक सभा की अध्यक्ष बनीं जबकि फहमीदा मिर्ज़ा २००८ में ही पाकिस्तान की कौमी असेम्बली की स्पीकर बन चुकी थीं . मीरा कुमार और डॉ फहमीदा मिर्ज़ा के बीच निजी तौर पर भी बहुत अच्छे सम्बन्ध हैं . मीरा कुमार को लिखे एक पत्र में फहमीदा मिर्ज़ा ने कहा था कि हमारे दोनों ही देशों के लोग चाहते हैं कि इस इलाके में शान्ति और सम्पन्नता हो . यह उनका हक भी है . हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उनकी आकांक्षा को हकीकत बनाने में मदद करें.हमारे दोनों ही मुल्क पड़ोसी तो हैं ही वे गरीबी,अशिक्षा ,बीमारी और अभाव के भी शिकार हैं . मुझे उम्मीद है कि हम दो महिला स्पीकर साथ साथ काम करके अपने क्षेत्र में लोगों की ,ख़ासकर महिलाओं की तरक्की को सुनिश्चित करने में कामयाब हो सकेगीं . पाकिस्तान की संसद की स्पीकर डॉ फहमीदा मिर्ज़ा भी पाकिस्तान की राजनीति में एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजनेता हैं ,. १९९७ में पहली बार वे पाकिस्तानी कौमी असेम्बली के लिए चुनी गयी थीं. तीन टर्म से लगातार चुनाव जीत रहीं हैं .वे पाकिस्तान के एक राजनीतिक परिवार की सदस्य हैं . उनके पिता काजी आबिद , सिंध की राजनीति में बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति थे. वे सिंध की प्रांतीय सरकार और केंद्रीय सरकार में कई बार मंत्री रहे. डॉ फहमीदा के पति डॉ ज़ुल्फ़िकार मिर्ज़ा राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी के मित्र हैं और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बड़े नेता हैं .
मीरा कुमार को संसदीय कूटनीति की एक्सपर्ट माना जाता है .वे खुद भारत की विदेश सेवा की आला अफसर रही हैं . उन्होंने अंतर राष्ट्रीय संबंधों की बारीकियों को बहुत करीब से देखा है. विदेश सेवा के अफसर के रूप में वे स्पेन, ब्रिटेन और मारीशस में काम कर चुकी हैं . राजनीति में उन्होंने १९८५ में प्रवेश किया और लोक सभा में धमाके दार इंट्री ली. अपने पहले चुनाव में ही उन्होंने उत्तर प्रदेश की मौजूदा मुख्यमंत्री मायावती को बिजनौर संसदीय क्षेत्र से हुए उपचुनाव में हराया था. उस चुनाव में कारने वालों में लोकजनशक्ति पार्टी के नेता राम विलास पासवान भी थे. वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहीं .उनके पिता बाबू जगजीवन राम भारत की आज़ादी की लड़ाई के बहुत त बड़े नेता थे . उन्होंने महात्मा गाँधी के साथ काम किया और जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में देश में बहुत सारी ऐसी संस्थाओं की स्थापना की जो आज देश को मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं .
ज़ाहिर है दक्षिण एशिया की दो प्रभावशाली महिला राजनेताओं के प्रयास से भारत और पाकिस्तान के समबन्धों में बेहतरी का जज़बा पैदा होगा और उब लोगों को ताक़त मिलेगी जो दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्तों के लिए कोशिश कर रहे हैं . पाकिस्तान का सबसे ज्यादा विरोध भारत में बीजेपी के ओर से होता है . अगले हफ्ते जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी के दो प्रमुख नेता शामिल हैं. सैय्यद शाहनवाज़ हुसैन पहले भी पाकिस्तान जा चुके हैं . जब वे मणि शंकर ऐय्यर के साथ पाकिस्तान गए थे तो उन्होंने ही कहा था कि जो विवाद के मामले हैं उनपर बात करते रहने की ज़रूरत है लेकिन अगर व्यापार के रास्ते खोल दिए जाएँ तो दोनों की देशों के आम आदमियों का बहुत भला होगा. एक बातचीत में उन्होंने बताया कि चीन से भी भारत का सीमा विवाद है ,उस पर अलग से बात चीत चलती रहती है लेकिन कारोबार भी चलता रहता है . दो देशों के बीच रिश्तों को अच्छा बनने में कारोबार का सबसे ज्यादा योगदान है .उनका कहना है कि पाकिस्तान से भी इसी तरह की बात चीत की ज़रुरत है .
शान्ति के पैरोकारों को लोक सभा की अध्यक्ष मीरा कुमार की इस यात्रा से बहुत उम्मीदें हैं . क्योंकि गैर सरकारी तौर पर तो ट्रैक टू डिप्लोमेसी बहुत वक़्त से चल रही है लेकिन संसद की स्पीकर की संसदीय डिप्लोमेसी की पहल निश्चित रूप से भारत और पाकिस्तान के अवाम के बीच रिश्तों को मज़बूत करने की दिशा में बहुत ही कारगर साबित होगी.
आपने सही विश्लेषण किया है. और उम्मीद भी है। इंशाअल्लाह आपकी बात सच हो।
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