शेष नारायण सिंह
आज एक दोस्त के बारे में लिख रहा हूँ . २८ जुलाई उसका जन्मदिन है .सुल्तानपुर जिले के एक गाँव से मुंबई जाकर इस लड़के ने उद्यमिता की जो बुलंदियां तय की हैं वह निश्चित रूप से गैरमामूली हैं . हालांकि हम एक ही जिले एक रहने वाले हैं लेकिन हमारी मुलाक़ात १९६७ में हुई जब हमने ग्यारहवीं और बारहवीं की पढाई के लिए जौनपुर के टी डी कालेज में नाम लिखाया. बाद में वह इलाहाबाद चला गया . जहां से वह अपनी रिसर्च के सिलसिले में बम्बई ( अब मुंबई ) गया और वहीं का होकर रह गया.
आजकल मेरा यह दोस्त ३-डी लेंटीकुलर प्रिंटिंग का सबसे बड़ा जानकार है . कुछ नौकरियों के बाद उसने मुंबई में अपनी प्रिंटिंग प्रेस लगा ली है और छपाई की दुनिया में उसका खुद का बहुत बड़ा नाम है. है . सुलतानपुर जिले में गोमती नदी के किनारे पर स्थित धोपाप
महातीर्थ के उत्तर तरफ उसका गाँव है और दक्षिण तरफ मेरा .जब यह मुंबई गए थे तो किसी
फ़िल्मी पत्रिका में नौकरी की ,बाद में उस दौर की सबसे मशहूर पत्रिका स्टारडस्ट में चले
गए. विख्यात पत्रकार शोभा डे उनकी संपादक थीं.उन दिनों हेमा मालिनी और रेखा जैसी
अभिनेत्रियों का ज़माना था .हमारे दोस्त आदरणीय टी पी पाण्डेय ने भी उन्हीं हवाओं में सांस
ली जहां इन देवियों की हुकूमत थी . बाद में इन अभिनेत्रियों से ज्यादा खूबसूरत एक लडकी को
दिल दे बैठे .आजकल वही लडकी इनकी थानेदार है . शादी के बाद पाण्डेय जी इसी लडकी के
सामने अपनी दुम हिलाया करते थे . लेकिन पिछले कुछ वर्षों से लगता है कि दुम भी गायब हो
गयी है क्योंकि वह कभी नज़र नहीं आती .
पाण्डेय को यह तरक्की किसी इनाम में नहीं मिली है हर क़दम पर शमशीरें चली हैं लेकिन हर
क़दम पर उसने फतह हासिल की है . आज उसका जन्मदिन है . मेरी इच्छा थी कि उसके
जन्मदिन पर उसको वहीं उसकी मांद में घुसकर मुबारकवादी पेश करता लेकिन मुंबई जा नहीं
पाया. बहरहाल मेरे बिना भी उम्मीद करता हूँ कि उनका सोलहवां जन्मदिन हंसी खुशी बीत
जाएगा.
मुझे अक्सर अपने वे दिन याद आते रहते हैं जो हमने टी पी पाण्डेय के साथ टी डी कालेज
जौनपुर के राजपूत हास्टल में बिताये थे. वे सपने जो हमने साथ साथ देखे थे . उनका अब
कोई पता नहीं है लेकिन हम दोनों ने ही जो कुछ हासिल किया उसी को मुक़द्दर समझ कर खुश
हैं .अपना टी पी पाण्डेय शिर्डी के फकीर का भक्त है. हर साल वहां के मशहूर कैलेण्डर को
छापता है जिसे शिर्डी संस्थान की ओर से पूरी दुनिया में बांटा जाता है . पांडे जो भी करता है
उसी फ़कीर के नाम को समर्पित करता है . जो कुछ अपने लिए रखता है उसे साईं बाबा का
प्रसाद मानता है . अब वह सफल है . टैको विज़न नाम की अपनी कंपनी का वह प्रबंध निदेशक
है . मुंबई के धीरू भाई अम्बानी अस्पताल में एक बहुत बड़ी होर्डिंग भी इसी ने छापी है
जिसकी वजह से उसका नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज है .मेरे दोस्त, मेरी दुआ है कि
तुम अभी पचास साल और जन्मदिन मनाते रहो लेकिन यह भी दुआ है कि तुम हमेशा सोलह
साल के ही बने रहो.
आपके मित्र पांडे जी के जन्मदिन पर आपको भी और आपके माध्यम से उनको भी मुबारकवाद एवं उनके दीर्घायुष्य के लिए मंगलकामना।
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