शेष नारायण सिंह
अन्ना हजारे अब लाइन पर आ गए लगते हैं . अब तक तो उन्हें मुगालता था कि वे जब चाहेगें किसी भी पार्टी को हरा देगें. जिस तरह से इन्होने भ्रष्टाचार जैसी भयानक बीमारी का इंस्टैंट हल निकालने की कोशिश की थी उस से यह भी लगता था कि वे किसी पार्टी की तरफ से काम कर रहे हैं . लेकिन पिछले एक साल में हुए चुनावों में उनकी वजह से किसी भी नतीजे में कोई बदलाव नहीं आया. हिसार में उनके प्रचार का बहुत प्रचार किया गया, लेकिन वहां नतीजा वही आया जो पिछली बार था. यानी भजनलाल की मृत्यु से खाली हुई सीट पर उनका बेटा जीत गया.पांच राज्यों के चुनाव में भी उनकी टीम वालों का कहीं कोई असर नहीं दिखा.और एक बात जो सारी दुनिया को मालूम थी वह अन्ना की टीम की समझ में भी आ गयी कि चुनावी नतीजों पर उनका कोई असर नहीं पड़ने वाला है . अगर अन्ना टीम चुनाव जिता सकती तो अन्ना हजारे के परम प्रिय नेता, बी सी खंडूरी को कभी हारने न देती. इस बीच अन्ना की टीम के कई सदस्यों के बीजेपी प्रेम की कहानियाँ भी चर्चा में थीं . लेकिन इस बार बीजेपी के एक मुख्यमंत्री के खिलाफ भी मुद्दा बनाया जा रहा है .शिवराज सिंह चौहान को निशाना बनाकर अन्ना हजारे ने रिस्क लिया है .इसका नुकसान भी हो सकता है क्योंकि बीजेपी अपने लोगों को कभी गलत नहीं मानते .अगर बीजेपी ने अन्ना के कार्यक्रमों में भीड़ भेजना बंद कर दिया तो अन्ना के कार्यक्रम का वही हाल होगा जो मुम्बई में हुआ था.
मुझे यह कहनेमें बहुत संकोच लगता है कि मैंने तो पहले ही कहा था लेकिन आज मैं कह देता हूँ . अन्ना हजारे का जो काम है वह भ्रष्टाचार को कम कर सकता है लेकिन उन्हें लम्बी लड़ाई के लिए तैयार रहना पड़ेगा.यह बात मैंने बहुत पहले कही थी जब उनके साथी कुछ घंटों में कोई कानून पास करवा लेना चाहते थे. अब अन्ना को चाहिए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लम्बा अभियान चलायें और चुनावों की तारीख से कोई घालमेल न करें
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