शेष नारायण सिंह
महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के पहले और लोकसभा चुनाव २०१४ के तीन महीने बाद राज्य में साफ़ नज़र आ रहा था कि वहां अब लोग नरेंद्र मोदी को उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं जैसा लोकसभा चुनाव के समय ले रहे थे . कांग्रेस एन और सी पी मुगालते के शिकार हो गए .गठबंधन तोड़ने पर आमादा हो गए और जब गठबंधन टूट गया तो कांग्रेस ने हार मान ली, बीजेपी को उसी तरह से वाक् ओवर देने का मन बना लिया जैसे लोकसभा चुनाव के दौरान बनाया था नतीजा यह हुआ कि महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव एक बहुत ही दिलचस्प दौर में पंहुंच गया है. शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद लगने लगा था कि कांग्रेस और एन सी पी को लाभ होगा लेकिन वह गठबंधन भी लगभग साथ साथ ही टूट गया. बीजेपी की हालत कमज़ोर हो गयी लेकिन पार्टी ने तुरंत अपने सबसे बड़े आकर्षण और प्रचारक नरेंद्र मोदी को प्रचार कार्य में उतार दिया . अब नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र में धुआंधार प्रचार कर रहे हैं और कई बार तो ऐसा लगता है कि वे प्रधानमंत्री नहीं ,अपनी पार्टी के मुख्य प्रचारक ही हैं और उसके सिवा कुछ नहीं हैं . उनके प्रचार का असर पड़ा है और लोकसभा चुनाव में मोदी के पक्ष में जो माहौल बना था उसको कैश करने का अभियान तेज़ी से चल पड़ा है. अगर बीजेपी के प्रवक्ता और सेफोलाजिस्ट जी वी एल नरसिम्हा राव की मानें तो बीजेपी को अपने बल बूते पर महाराष्ट्र में स्पष्ट बहुमत मिल रहा है .
शिवसेना से रिश्ता खत्म हो जाने के बाद बीजेपी के सामने . सभी सीटों पर उम्मीदवार लड़ाने की भी दिक्कत थी . शिवसेना बीजेपी गठबंधन में जो छोटी पार्टियां थीं, उनको बीजेपी ने शिवसेना के साथ नहीं जाने दिया ,अपने साथ ही रखा .उनको करीब ३१ सीटें देकर बीजेपी ने २५७ सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया . जी वी एल नरसिम्हा राव का दावा है कि उनके गठबंधन को १५२ सीटें मिलेगीं . हालांकि गठबंधन में शामिल अन्य छोटी पार्टियों की राजनीतिक हैस्किया जीतने की नहीं हैं लेकिन वे तीनों पार्टियां अगर अपनी जातियों के वोट बीजेपी के पक्ष में ट्रांसफर कर सकीं तो बीजेपी की जीत का संभावना बढ़ जायेगी .
बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस और शिवसेना में दूसरे नंबर पर आने के लिए मुकाबला है . बीजेपी के प्रवक्ता , जी वी एल नरसिम्हा राव ,जो चुनाव सर्वे के जानकार भी हैं , बताते हैं कि कांग्रेस को ४४ और शिवसेना को ३८ सीटें मिलेगीं . महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और एन सी पी चौथे नंबर पर आने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं . जानकार बता रहे हैं कि महाराष्ट्र में जिस पार्टी को भी २७ प्रतिशत सीटें मिलेगीं वह स्पष्ट बहुमत पाने में सफल हो जाएगा. बीजेपी के सेफोलाजिस्ट का दावा है कि उनकी पार्टी की अगुवाई वाले गठबंधन को २८ प्रतिशत वोट मिलेगा जबकि कांग्रेस को २२ प्रतिशत ,शिवसेना को १७ प्रतिशत और एन सी पी को १५ प्रतिशत वोटों से संतुष्ट होना पडेगा . महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को करीब ६ प्रतिशत वोट मिलेगें .
लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन बहुत बड़ी सफलता के साथ मैदान मारने में सफल रहा था . उसी से उत्साहित हो कर बीजेपी वालों ने वहाँ शिवसेना का बड़ा भाई होने का मन बनाया लेकिन शिवसेना ने दबाव की राजनीति का विरोध किया और गठबंधन ही तोड़ दिया . नई राजनीतिक सच्चाई को देखकर लगता है कि १९ अक्टूबर को जब नतीजे आयेगें तो शिवसेना को अपने फैसले के लिए अफ़सोस होगा . इस बात में दो राय नहीं है कि महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में मोदी के पक्ष में माहौल है और मुंबई, थाणे , नवी मुंबई और पालघर में उत्तर भारतीय मतदाता भी शिवसेना से अलग होने के बाद बीजेपी की तरफ खिंच रहे हैं . बीजेपी के पास कार्यकर्ताओं की कमी थी लेकिन अब आर एस एस ने महाराष्ट्र में कार्यकर्ताओं की फौज झोंक दिया है जिसके कारण कार्यकर्ताओं की कमी की बात भी खत्म हो गयी है . ऐसे माहौल में जी वी एल नरसिम्हा राव के सर्वे पर विश्वास करने के लिए पर्याप्त कारण हैं . हालांकि यह भी सच है कि उनकी बहुत सारी भविष्यवाणियां पिछले कई वर्षों से गलत साबित होती रहीं हैं लेकिन आज कांग्रेस के अंदर जिस तरह से हताशा का माहौल है , वह लग्न्हाग हार मान चुकी है और किसी भी तरह से बीजेपी को चुनौती देने के लिए तैयार नहीं हैं . इस कठोर सच्चाई के मद्दे नज़र लगता है कि महाराष्ट्र में बीजेपी की खासी बढ़त है .यह सर्वे १ और ६ अक्टूबर के बीच किए गया और इसमें ३९ विधासभा क्षेत्रों में ३२८० लोगों से सवाल पूछे गए.