tag:blogger.com,1999:blog-8724078010716939376.post6229608842583425332..comments2023-10-24T08:08:12.534-07:00Comments on जंतर मंतर : ज्योतिबा फुले ने दलित पक्षधरता की तमीज सिखाईशेष नारायण सिंहhttp://www.blogger.com/profile/09904490832143987563noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8724078010716939376.post-72408887130189693802009-11-02T20:00:39.669-08:002009-11-02T20:00:39.669-08:00महात्मा फुले की इस क्रान्तिकारी किताब की सुन्दर चर...महात्मा फुले की इस क्रान्तिकारी किताब की सुन्दर चर्चा के लिए आभार । महाराष्ट्र सरकार द्वारा ’गुलामी’ नाम से इसका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित किया गया है । प्राध्यापक वेदकुमार विद्यालंकार अनुवादक हैं ।Aflatoonhttp://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8724078010716939376.post-90506178483955809942009-11-02T19:18:47.096-08:002009-11-02T19:18:47.096-08:00"गुलामगिरी" की अपनी भूमिका मे ज्योतिबा फ..."गुलामगिरी" की अपनी भूमिका मे ज्योतिबा फुले ने 1 जून 1873 को लिखा है कि एक विश्वप्रसिद्ध कहावत है कि दो की लड़ाई मे तीसरे का लाभ अर्थात ब्रह्मणों ने शूद्र व अतिशूद्र के बीच वैमनस्य निर्मित कर दिया है व अपना जीवन आराम से बिता रहे है । ' उन्होने अंग्रेजो से मांग की थी दलितों की शिक्षा का प्रबन्ध किया जाये ताकि वे इन पढ़े लिखो की मानसिक गुलामी से मुक्त हों ।शरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8724078010716939376.post-29077586796473452582009-11-02T19:12:15.421-08:002009-11-02T19:12:15.421-08:00ज्योतिबा के योगदान को ब्राह्मणवादी कभी स्वीकार नही...ज्योतिबा के योगदान को ब्राह्मणवादी कभी स्वीकार नहीं करेंगे |Varun Kumar Jaiswalhttp://www.blogger.com/profile/06755807348407548036noreply@blogger.com